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नीतीश कुमार के मंत्री ने ऐसे खोली भ्रष्टाचार की पोल, बोले- उगाही के लिए अफसर ऐसे सबूत मांगते हैं, जिनका अस्तित्व ही नहीं

नदी की धार में समा गये मकानों का सबूत मांगना सिर्फ और सिर्फ उगाही के लिए किया जाता है. राम सूरत कुमार ने कहा कि राष्ट्रीय राजमार्ग, रेलवे आदि बड़ी परियोजनाओं की मॉनीटरिंग राज्य स्तर से होती है, इस कारण बड़ी परियोजनाओं के रैयतों को तो मुआवजा मिल जाता है.

पटना. राजस्व एवं भूमि सुधार मंत्री राम सूरत कुमार ने राज्य में चल रही छोटी परियोजनाओं में भूमि अर्जन के बाद मुआवजा के भुगतान में देरी पर चिंता प्रकट की है.

अफसरों को खरी- खरी सुनाते हुए कहा कि अधिकारियों द्वारा छोटी योजनाओं में जमीन देने वाले रैयत के भुगतान में टाल- मटोल की प्रवृति अपना रहे हैं.

सभी भू-अर्जन पदाधिकारियों को आदेश दिया कि जिन रैयत का भुगतान लंबित है उनको जनवरी तक भुगतान कर दें. इसमें देरी करने वाले अधिकारियों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई की जायेगी.

गुरुवार को शास्त्रीनगर स्थित राजस्व (सर्वे) प्रशिक्षण संस्थान में जिला भू- अर्जन पदाधिकारियों की राज्य स्तरीय बैठक में मंत्री ने कहा कि बांध, सड़क या रेल के लिए जब जमीन का अधिग्रहण होता है तो पहले चरण में रैयत को 80 प्रतिशत मुआवजा दिया जाता है.

20 प्रतिशत मुआवजा देने में बिना कारण देरी करते हैं. ऐसे सबूत मांगे जाते है, जिनका अस्तित्व ही नहीं होता. मंत्री ने कहा कि गरीब इससे प्रभावित होते हैं.

नदी की धार में समा गये मकानों का सबूत मांगना सिर्फ और सिर्फ उगाही के लिए किया जाता है. राम सूरत कुमार ने कहा कि राष्ट्रीय राजमार्ग, रेलवे आदि बड़ी परियोजनाओं की मॉनीटरिंग राज्य स्तर से होती है, इस कारण बड़ी परियोजनाओं के रैयतों को तो मुआवजा मिल जाता है.

ग्राम, अंचल या जिला स्तर की योजनाओं के लिए जमीन का अधिग्रहण होता है, तो वहां के लोगों को भू- अर्जन कार्यालय से पैसा लेने में पसीना छूट जाता है.

मंत्री ने कैंप लगाकर मुखिया, प्रमुख, जिला पार्षद, विधायक के समक्ष जमीन का मुआवजा देने का सुझाव दिया.

विभाग के अपर मुख्य सचिव, विवेक कुमार सिंह ने पदाधिकारियों को अधियाची विभागों के पास लंबित राशि तुरंत मांगने का आदेश दिया ताकि लंबित मुआवजा का भुगतान शीघ्र किया जा सके.

Posted by Ashish Jha

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