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अच्छी किताबें, पाठक नहीं

प्रजातंत्र चौक स्थित जिला पुस्तकालय पर ध्यान नहीं नवादा नगर : जिला पुस्तकालय अपने गौरवशाली अतीत से दूर होता दिख रहा है. 1956 में बने जिला पुस्तकालय में आज भी कई दुर्लभ पुस्तकें हैं, जो शायद ही कहीं अन्य स्थान पर देखने को मिले. पुस्तकालय की सही संचालन व्यवस्था नहीं होने के कारण प्रजातंत्र चौक […]

प्रजातंत्र चौक स्थित जिला पुस्तकालय पर ध्यान नहीं
नवादा नगर : जिला पुस्तकालय अपने गौरवशाली अतीत से दूर होता दिख रहा है. 1956 में बने जिला पुस्तकालय में आज भी कई दुर्लभ पुस्तकें हैं, जो शायद ही कहीं अन्य स्थान पर देखने को मिले. पुस्तकालय की सही संचालन व्यवस्था नहीं होने के कारण प्रजातंत्र चौक के पास का यह संस्थान आज भी अधिकतर लोगों के आंखों से ओझल ही रहता है.
फिलहाल संस्था में स्थायी रूप से 84 पाठक सदस्य हैं, जो लाइब्रेरी से किताबें घर ले जाकर पढ़ते हैं. इसके अलावे 40 से 50 युवक प्रतिदिन लाइब्रेरी में अखबार व अन्य पत्रिकाएं पढ़ने के लिए जुटते हैं. सरकारी उपेक्षा के कारण लाइब्रेरी का लाभ अधिकतर लोग नहीं उठा पाते हैं.
किताबों का है भंडार नये सत्र में किताबों की खरीदारी भले ही कमी है, लेकिन पुस्तकालय के पास किताबों का अच्छा संग्रह है. अभी 13,218 किताबें पुस्तकालय में हैं. इनमें साहित्य के बड़े रचनाकार प्रेमचंद, विमल मत्र, दिनकर, केएम मुंशी जैसे साहित्यकारों के किताबों के साथ ही ब्रिटेनिका इनसाइकलोपिडिया के सभी 24 खंडों का संग्रह है.
पुस्तकालय में साहित्य, कला, विज्ञान, कहानियां, उपन्यास, कविता आदि के अलावे दैनिक समाचारपत्र, पत्र-पत्रिकाएं आदि भी आती हैं. किताबों को रखने के लिए पुस्तकालय में भवन व अलमारी को व्यवस्थित किया गया है. सरकारी फंड मिलने के बाद रखरखाव की समस्या को तो दूर किया गया है, लेकिन पाठक वर्ग को ही जुटा पाने में पुस्तकालय सक्षम नहीं हो पा रहा है.
23 माह से नहीं मिला है वेतन पुस्तकालय की देखरेख के लिए एक लाइब्रेरियन सह सचिव के अलावे रात्रिप्रहरी कार्यरत हैं, जो लाइब्रेरी को खोलने बंद करने के साथ ही अन्य काम करते हैं. पुस्तकालय में सहायक लाइब्रेरियन, शॉटर, आदेशपाल आदि पद रिक्त पड़े हुए हैं.
कार्यरत कर्मचारी को पिछले 23 माह से कर्मचारी को वेतन भुगतान नहीं हुआ है. पुस्तकालय की दुर्दशा के लिए इस प्रकार की व्यवस्था भी कम दोषी नहीं है.
नये सदस्य बनाने के लिए पहल की जरूरत पुस्तकालय का सदस्य बनने के लिए शुरुआत में 185 रुपये खर्च होते हैं. इसमें डेढ़ सौ रुपये सुरक्षित राशि के रूप में रखी जाती है, जिसे सदस्यता समाप्त होने पर लौटा दिया जाता है. इसके अलावे 20 रुपये प्रवेश शुल्क, 10 रुपये मासिक शुल्क व पांच रुपये परिचय कार्ड के नाम पर लिया जाता है. इसके बाद प्रत्येक माह केवल 10 रुपये सदस्यता शुल्क देना होता है. अभी 84 पुस्तकालय सदस्य हैं. कुछ लड़के नियमित अखबार या अन्य पत्रिकाएं पढ़ने के लिए नियमित पुस्तकालय आते हैं.
मुख्य द्वार पर ही गंदगी
पुस्तकालय के मुख्य द्वार के पास ही गंदगी का अंबार लगा हुआ है. गेट के पास के हिस्से को लोगों ने मूत्रालय बना दिया है. आम लोग जगह के अभाव में इसी स्थान को पेशाब घर के रूप में तब्दील कर दिया हैं. पेशाब की दुर्गंध के कारण यहां से गुजरना भी मुश्किल हो जाता है.
इस परिस्थिति में लोग किस प्रकार से पुस्तकालय तक पहुंचते हैं, इसका सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है. जिला पुस्तकालय के लिए शानदार भवन बना हुआ है, लेकिन रखरखाव के अभाव के कारण यहां तक पहुंचना भी लोगों के लिए मुश्किल हो जाता है. यदि प्रशासन थोड़ी सी भी पहल कर दे तो पुस्तकालय के रास्ते की सफाई करके इसे बेहतर बनाया जा सकता है. आगे खुला भाग होने के कारण कई नशेड़ी भी सिगरेट या अन्य नशा करने के लिए इस भाग में छिपे दिख जाते हैं.

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