शुरू हुई सीतामढ़ी मेले की तैयारी
नवादा : जिले के प्राचीन व ऐतिहासिक धर्मस्थल सीतामढ़ी में लगने वाले मेले की बंदोबस्ती एडीएम महर्षि राम की देख-रेख में गुरुवार को हुई. जिले के मेसकौर प्रखंड के सीतामढ़ी में लगने वाले इस मेले की बंदोबस्ती पांच लाख 4 हजार रुपये में कठघरा निवासी राम नरेश सिंह के नाम से हुई.
भूमि एवं राजस्व विभाग की तरफ से मिली जानकारी के अनुसार, मेले के लिए प्रस्तावित सुरक्षित जमा राशि चार लाख 89 हजार नौ सौ रुपये थी. बंदोबस्ती की राशि जमा होने के बाद उक्त ठेकेदार को परवाना निर्गत कर दिया गया. हालांकि, मेले को लेकर अभी तक सरकार की ओर से आदेश नहीं है.
इधर, मेला संचालक रवींद्र सिंह ने मेला स्थल को अतिक्रमण मुक्त कराने की मांग एडीएम व स्थानीय एसडीओ से की है. इस पर एडीएम व एसडीओ रजौली ने स्थानीय सीओ को अतिक्रमण मुक्त कराने का निर्देश दिया है. श्री सिंह ने बताया कि अतिक्रमण हटाने के लिए डीएम व आयुक्त को भी पत्र लिखा गया है. हर वर्ष मेला स्थल से अतिक्रमण हटाने की मांग की जाती है, लेकिन संतोष जनक काम नहीं हो पाता है.
होगी जरूरी व्यवस्था
श्री सिंह ने बताया कि प्रशासन की ओर से मेले में व्यवस्था को लेकर सुलभ शौचालय, पानी, लाइट के अलावा लकड़ी-कोयला आदि की व्यवस्था की जानी है. हालांकि, पिछले दो वर्षो से उक्त सभी सुविधाएं मेला स्थल पर उपलब्ध नहीं करायी गयी है. इससे मेले में आने वाले लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. जबकि, समीप के रजौली में लगने वाले गुरु पूर्णिमा मेले में प्रशासन द्वारा सभी सुविधाएं उपलब्ध करायी जाती है.
इस बार सीतामढ़ी मेले में जिला प्रशासन से बेहतर सुविधाएं मिलने को उम्मीद जतायी जा रही है. गौरतलब है कि सीतामढ़ी मेला बंदोबस्ती जिले का सबसे महंगा मेला बंदोबस्ती है. बावजूद प्रशासनिक उदासीनता के कारण सुविधाएं नहीं मिल पाती है.
मुख्यत: साप्ताहिक मेला
प्रत्येक वर्ष अगहन माह ही पूर्णिमा से यह मेला शुरू होता है. मुख्य रूप से यह साप्ताहिक मेला है, लेकिन लकड़ी का बेहतर बाजार होने के कारण मेले क ी दुकानें मकर संक्रांति तक लगी रहती हैं. आस-पास के क्षेत्र से आने वालों को इस मेले का इंतजार सालों भर रहता है.
इधर, रजौली एसडीओ हिमांशु शर्मा ने बताया कि अतिक्रमण हटाने के लिए सीओ को निर्देश दे दिया गया है. साथ ही पेयजल सहित अन्य सुविधाएं दिये जाने की तैयारी चल रही है. मनोरंजन के लिए लगने वाले थियेटरों में ईलता पर पूर्ण रोक है. स्थानीय पुलिस की सहमति के बाद ही थियेटर लगाने का आदेश दिया जा सकता है. नक्सल प्रभावित क्षेत्र रहने के कारण मेले की सुरक्षा व्यवस्था पर विशेष नजर होगी.