कभी गूंजता था गीत, इस साल गूंजा चीत्कार मौत का पर्याय बना रहा साल 2015प्रतिनिधि, काशीचकप्रखंड के कई परिवारों के लिए साल 2015 भयानक घटनाओं के लिए चर्चित रहा़ विभिन्न कारणों से दर्जनों मौतें हुई हैं. यह मानवीय संवेदनाओं को झकझोर दिया है. बहुत सारे परिवार की न सिर्फ खुशियां छीनी, बल्कि उनका भरा पूरा परिवार ही खत्म हो गया़ जहां उत्सवी चर्चाएं होनी थी, वहां पलक झपकते ही गम की खबर ने दु:ख का पहाड़ खड़ा कर दिया़ उन परिवारों के लिए यह साल काफी दु:खदायी रहा़ वह लोग इस साल की अंतिम मनहूस शाम को जल्द से जल्द भूलाना चाहते हैं. स्थानीय बाजार के दो व्यवसायी पुत्रों के अपहरण व बाद में अपराधियों द्वारा की गयी हत्या से लोग सकते में रहे. दोनों की घटनाओं में पुलिस की जमकर किरकिरी हुई. बावजूद पुलिस को शव से ज्यादा कुछ नहीं मिल सका. दोनों घटनाएं खबरों की सुर्खियां बनी रही.विभिन्न घटनाओं पर एक नजर2 मई को भट्टा गांव के श्रीकांत कुमार की टेंपो से दब कर मौत हो गयी.5 सितंबर को स्थानीय बाजार के चाय दुकानदार दिनेश प्रसाद के पुत्र धीरज का अपहरण कर लिया गया.13 सितंबर को धीरज की हत्या अपहरणकर्ताओं ने कर दी. 24 सितंबर को चंडीनामा के दो जुड़वां भाइयों सत्यम व शिवम की पोखर में डूब कर मौत हो गयी.14 अक्तूबर को व्यवसायी बिंदी लाल के बेटा मनीष का अपरहण कर लिया गया.16 अक्तूबर को अपराधियों ने मनीष की टुकड़े-टुकड़े कर के हत्या कर दी. 31 अक्तूबर को सड़क दुर्घटना के बाद विजेंद्र सिंह की मौत इलाज के दौरान हो गयी.26 नवंबर को खखरी के दो युवक संजीत कुमार व कृष्णमोहन सिंह की ट्रैक्टर से दब कर मौत हो गयी.
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कभी गूंजता था गीत, इस साल गूंजा चीत्कार
कभी गूंजता था गीत, इस साल गूंजा चीत्कार मौत का पर्याय बना रहा साल 2015प्रतिनिधि, काशीचकप्रखंड के कई परिवारों के लिए साल 2015 भयानक घटनाओं के लिए चर्चित रहा़ विभिन्न कारणों से दर्जनों मौतें हुई हैं. यह मानवीय संवेदनाओं को झकझोर दिया है. बहुत सारे परिवार की न सिर्फ खुशियां छीनी, बल्कि उनका भरा पूरा […]
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