समन्वय से दूर होगा असहिष्णुता : रत्नाकर सांस्कृतिक असहिष्णुता के कारण व उसके निदान विषय हुई गोष्ठी फोटो-12 प्रतिनिधि, कौआकोल सामुदायिक भवन मनसागर में रविवार को सांस्कृतिक असहिष्णुता के कारण व उसके निदान विषय पर एक गोष्ठी का आयोजन किया गया. गोष्ठी के मुख्य अतिथि रहे वरिष्ठ साहित्यकार व पत्रकार रामरतन सिंह रत्नाकर, ने कार्यक्रम का उद्घाटन करते हुए कहा कि आज के दौर में समाज विकास की बजाय विनाश की ओर अग्रसर होता दिख रहा है. समाज में पनप रहे इस असहिस्णुता रूपी दानव को समाज में समन्वय स्थापित करके ही समाज से खत्म किया जा सकता है. उन्होंने कहा कि जिस प्रकार पहले के दिनों में समाज में विवके, बुद्धि व अच्छे चरित्र का निर्माण होता था, आज उसका अभाव हो चुका है. जब हम बढ़ेंगे तभी हमारा समाज आगे बढ़ सकेगा. हमारी संस्कृति शुद्धता, समन्वय, स्नेह और अच्छे विचारों से भरी है. इसका मुख्य प्रणेता देश के नेता हैं. वे हमेशा वसुधैव कुटूम्बकम् का पाठ पढ़नेवाले देश वासियों में असहिस्णुता भरने का काम कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि हमारे देश की संस्कृति गंगा यमुनी संस्कृति के नाम से विख्यात है. कार्यक्रम की अध्यक्षता जनार्दन सिंह ‘ मगहिया’ ने किया. मौके पर जयराम देवशपुरी, आकाशवाणी, दयाशंकर सिंह बेधड़क, पाण्डेय गंगौट ग्राम पंचायत की मुखिया गुड़िया कुमारी, प्रो अवध किशोर पांडेय व साहित्यानुरागी रामचंद्र प्रसाद आदि मौजूद थे.
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समन्वय से दूर होगा असहष्णिुता : रत्नाकर
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