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बेहतर इलाज के दावे फेल
नवादा (नगर) : सरकार के गरीबों को मुफ्त व बेहतर इलाज के दावे की पोल जिला स्वास्थ्य समिति में कर्मचारियों की कमी से खुल रहा है. स्वास्थ्य समिति के ऊपर सभी स्वास्थ्य योजनाओं को क्रियांवित करने का जिम्मा है़ लेकिन, कर्मचारियों की कमी के कारण किसी प्रकार का काम काफी मुश्किल से हो पाता है. […]
नवादा (नगर) : सरकार के गरीबों को मुफ्त व बेहतर इलाज के दावे की पोल जिला स्वास्थ्य समिति में कर्मचारियों की कमी से खुल रहा है. स्वास्थ्य समिति के ऊपर सभी स्वास्थ्य योजनाओं को क्रियांवित करने का जिम्मा है़ लेकिन, कर्मचारियों की कमी के कारण किसी प्रकार का काम काफी मुश्किल से हो पाता है. यही कारण है कि विभाग की कई योजनाएं वर्षों से लटकी है.
जिले में राष्ट्रीय स्तर पर स्वास्थ्य विभाग के कार्यक्रमों के अनुश्रवण व मॉनीटरिंग का काम जिला प्रोग्राम मैनेजर को करना है. लेकिन, यह पद भी काफी समय से खाली है. प्रखंडों में तो और भी स्थित खराब है. सभी 14 प्रखंडों में 83 कर्मियों की आवश्यकता है. इसमें से केवल 30 पदों पर कर्मचारी काम कर रहे हैं.
कई योजनाएं हैं बाधित
जिला स्वास्थ्य समिति केंद्र व प्रदेश सरकार के स्वास्थ्य महकमे को संचालित करने का काम करती है. पिछले कई दिनों से ऐसी फाइलें अटकी पड़ी है. इसका निबटारा बेहद जरूरी है. कर्मचारियों की कमी के कारण यहां पर काफी समस्या हो रही है. एक-एक कर्मी के ऊपर चार-पांच कामों का जिम्मा है. इसके कारण काम की गुणवत्ता घटती है.
अधिकारी नहीं ले रहे रुचि
सूत्रों की मानें तो प्रदेश मुख्यालय से रिक्त पदों को भरने के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा आदेश दिया गया है. लेकिन, स्थानीय स्तर पर अधिकारियों की दिलचस्पी नहीं लेने के कारण जिला स्वास्थ्य समिति के अंतर्गत कर्मियों की कमी पूरा नहीं किया जा रहा है. एक ही कर्मचारी पर अधिक काम का बोझ होने के कारण कार्यों का निबटारा सही ढंग से नहीं हो पाता है.
रिपोर्ट भेजने में परेशानी
राज्य व केंद्रीय स्वास्थ्य विभाग को रिपोर्ट भेजने में सबसे अधिक परेशानी होती है. डाटा ऑपरेटर की कमी के साथ ही अधिकारियों व अन्य कर्मियों की भी कमी है. इसके कारण समय से रिपोर्ट भेजने में काफी समस्या आती है.
जिला स्वास्थ्य समिति के सबसे महत्वपूर्ण पदाधिकारी डिस्ट्रीक प्रोग्राम मैनेजर (डीपीएम) का पद पिछले कई दिनों से खाली पड़ा है. फिलहाल डाॅ एसकेपी चक्रवर्ती इसके प्रभारी के रूप में काम कर रहे है. स्वास्थ्य विभाग के वरीय चिकित्सक होने के नाते इनके और भी कई प्रभार मिला हुआ है. इसके कारण कार्यक्रमों के अनुश्रवण व क्रियान्वयन में भी परेशानी होती है. पिछले ढाई वर्षो से यह पद रिक्त पड़ा है. प्रभारी के भरोसे किसी प्रकार से जिला स्वास्थ्य समिति की गाड़ी खींची जा रही है.
प्रखंडों में सबसे बुरी स्थिति
जिले के प्रखंडों में कई पदों पर कर्मियों का घोर अभाव है. लैप्रोसी के लिए सभी प्रखंडों मे पारामेडिकल वर्कर के 15 पद है़ लेकिन, इनमें एक भी काम नहीं कर रहे हैं. हॉस्पिटल मैनेजर के रूप में चार पद सृजित हैं. लेकिन, इनमें केवल एक कर्मचारी काम कर रहा है. फैमिली प्लानिंग काउंसेलर के रूप में चार कर्मी रहने है. वर्तमान में दो कर्मी ही काम कर रहे है.
ब्लॉक कम्यूनिटी मोबलाइजर के 14 पद में से नौ पद में कर्मी नहीं है. इसी प्रकार से कई अन्य प्रखंडों में इसका अभाव दिखता है. लेखापाल के चार पद रिक्त पड़े है. कई लेखापाल दूसरे प्रखंडों के प्रभार में है, जो कभी भी वित्तीय अनियमितता का कारण बन सकता है.
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