गोलमाल. दुकानों व परती जमीन पर कब्जा, प्रशासनिक अधिकारी बेखबर
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कितनी है राजेंद्र फंड कमेटी की प्रोपर्टी ?
गोलमाल. दुकानों व परती जमीन पर कब्जा, प्रशासनिक अधिकारी बेखबर नवादा : शहर में करोड़ों के भू-भाग ऐसे हैं, जो या तो बेनामी हैं अथवा ऐन-केन प्रकारेण किसी के कब्जे में हैं. कहीं व्यावसायिक प्रतिष्ठान चल रहे हैं, तो कहीं शैक्षणिक संस्थान. ऐसे ही भू-भाग के एक छोटे से कोने का इस्तेमाल लोग खुले में […]
नवादा : शहर में करोड़ों के भू-भाग ऐसे हैं, जो या तो बेनामी हैं अथवा ऐन-केन प्रकारेण किसी के कब्जे में हैं. कहीं व्यावसायिक प्रतिष्ठान चल रहे हैं, तो कहीं शैक्षणिक संस्थान. ऐसे ही भू-भाग के एक छोटे से कोने का इस्तेमाल लोग खुले में शौच के लिए भी करते हैं. जिले के प्रतिष्ठित राजेंद्र मेमोरियल महिला कॉलेज भी इसी पर स्थित है. इसके अलावा नवादा लाइब्रेरी, नवादा क्लब, एंग्लो-संस्कृत स्कूल आदि भी इसकी भूमि पर संचालित है. पर,वाकई इनका इस भूमि पर मालिकाना हक है भी या नहीं, यह सोचनीय है. कानून की नजर में यह कितना बाजिब है. इन जैसे ढेरों सवाल राजेंद्र फंड कमेटी की भूमि ने शहरवासियों के लिये छोड़ रखा है. हालांकि इसका जबाव प्रशासन और कमेटी से जुड़े लोगों को देना चाहिए. पर,अब तक जो स्थिति उभर कर सामने आयी है वह चौंकानेवाली है. चूंकि प्रशासन और कमेटी से जुड़े लोग अपने हाथ खड़े कर रहे हैं.
बायलॉज बताने से परहेज
प्रभात खबर ने जब इस फंड की जमीन का ब्यौरा जानना चाहा, तो सचिव आरपी साहू ने कहा इसका कोई ब्योरा नहीं है, जो है वह किरायेदारों के पास ही है़ सचिव ने यह भी बताया कि इस मामले में डीएम से बात की गयी है. उन्होंने दो दिनों में मिलने का वक्त दिया है. क्योंकि, इस फंड के अध्यक्ष डीएम ही है़ं
कहां-कहां है राजेंद्र फंड कमेटी की जमीन
मेन रोड में प्रजातंत्र चौक से दक्षिण दायीं तरफ की दुकानें
आरएमडब्ल्यू काॅलेज परिसर
नवादा क्लब
नवादा सेंट्रल लाइब्रेरी
एंग्लो-संस्कृत स्कूल
आरएमडब्ल्यू काॅलेज परिसर के उत्तर का पुराना भवन
श्रीबाबू का स्मारक
अफसर कॉलोनी के पास गली से उत्तर की परती जमीन
लाल चौक के पास बेली सराय मुहल्ले में बना राजेंद्र मार्केट कॉम्प्लेक्स
नोट : कुछ और भी जमीन हो सकती है, जिसकी कहीं कोई जानकारी नहीं है. न प्रशासन इस संबंध में कुछ कहने को तैयार है और न ही इसके रखवाले.
स्व. महादेव राम फ्रीडम फाइटर थे. वर्ष 1996 तक उन्हें स्वतंत्रता सेनानी होने की पेंशन भी मिली. इसी साल उनका देहांत हो गया. पिताजी ने बताया था कि मेन रोडवाली दुकान गयावाले महाशयजी ने दी थी. इसमें वे किताब की दुकान चलाते थे. इसका कोई कागजात उनके पास नहीं है. दुकान पिताजी के टाइम से ही मेरे कब्जे में है. बाद में पारिवारिक स्थिति बिगड़ी, तो दुकान को चलाने के लिये एक पार्टनर रख लिया.
जमीन की बिक्री नहीं किया हूं. इसकी रसीद नियमित रूप से कट रही है. हालांकि उन्होंने कोई रसीद नहीं दिखायी. दुकान श्रवण भोजपुरी और उनके पार्टनरशिप में चलती है. इसी से घर-परिवार चलता है. श्रवण भोजपुरी ने पार्टनरशिप की डीड सौंपते हुए कहा कि उनके द्वारा जमीन खरीदने की बात गलत है.
सत्यनारायण प्रसाद, दुकानदार
दिखवाता हूं, इसमें क्या हो सकता है
राजेंद्र फंड कमेटी के बारे में कोई उन्हें कोई जानकारी नहीं है. आज अखबार में पढ़ा, तो जानकारी हुई . इस संबंध में आज तक कोई सूचना मुझे मिली ही नहीं है. दिखवाता हूं. इसमें क्या हो सकता है.
मनोज कुमार,डीएम सह राजेंद्र फंड कमेटी के अध्यक्ष
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