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पहले बरसात, अब उर्वरक की आस में किसान बेचैन
जरूरत के मुताबिक डीएपी की नहीं हुई आपूर्ति, एमओपी (पोटाश) नदारद लक्ष्य के अनुरूप जिले को नहीं मिल रहा फर्टिलाइजर आधार कार्ड व पॉश मशीन से उर्वरक देने की हो रही तैयारी नवादा : नवादा जिला पहले से ही विकास के मामले में पीछे रहा है. यहां की भौगोलिक संरचना पूरी तरह से खेती पर […]
जरूरत के मुताबिक डीएपी की नहीं हुई आपूर्ति, एमओपी (पोटाश) नदारद
लक्ष्य के अनुरूप जिले को नहीं मिल रहा फर्टिलाइजर
आधार कार्ड व पॉश मशीन से उर्वरक देने की हो रही तैयारी
नवादा : नवादा जिला पहले से ही विकास के मामले में पीछे रहा है. यहां की भौगोलिक संरचना पूरी तरह से खेती पर निर्भर है़ जिले की अर्थव्यवस्था पूरी तरह से कृषि पर आधारित है़ बावजूद अन्य जिलों की तुलना में यह उपेक्षित है़ नवादा में प्रभावित हो रही कृषि व्यवस्था पर माफियाओं ने भी अपना हाथ साफ करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ा है़ पिछले दिनों जब बारिश नहीं हुई, तो किसानों को खेतों की सिंचाई के लिए जल की जरूरत थी. अब जब बारिश हुई, तो अब फर्टिलाइजर की कमी हो गयी.
खरीफ फसलों का मौसम एक अप्रैल से सितंबर माह तक होता है़ लेकिन, धनरोपनी समापन के साथ ही फर्टिलाइजर की जरूरत बढ़ जाती है़ रोपनी के साथ ही फसलों में डीएपी, एमओपी तथा जिंक की जरूरत होती है. जुलाई माह तक 1159 मीटरिक टन की जरूरत है. इसके एवज में मात्र 695 मीटरिक टन ही उपलब्ध हो सकी है़ एमओपी की बात, तो करना ही बेकार है. जिले में विभागीयस्तर पर जुलाई माह में 317 मीटरिक टन एमओपी की जरूरत है, लेकिन यह बिल्कुल ही नील है़
हालांकि जिंक को विभाग ने फ्री सेल बता कर कहा कि इसका कोई लक्ष्य नहीं होता है़ ऐसे हालात में किसानों के लिए बड़ी समस्या उत्पन्न हो गयी है़जिले में उर्वरकों की कालाबाजारी रोकने के लिए जिला कृषि विभाग ने निर्देश दिया है कि प्रत्येक सप्ताह किसान सलाहकार के द्वारा खुदरा उर्वरक बिक्रेताओं के भंडारण की सत्यापन कर रिपोर्ट विभाग को सौंपेंगे़
इतना ही नहीं प्रखंडों में बीएओ व कृषि समन्वयकाें को निर्देश दिया गया कि बैठक कर कालाबाजारी पर रोक लगाने के लिए निगरानी रखें तथा किसी प्रकार की सूचना कालाबाजारी से जुड़े मिले, तो उस पर तुरंत कार्रवाई करें. जिले के किसानों को आधार कार्ड से जोड़ कर उन्हें पॉश मशीन के माध्यम से उर्वरक देने की तैयारी की जा रही है़ इसके लिए सरकार के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग कर जिले को जोड़ने की व्यवस्था पर पहल की जा रही है. आनेवाले दिनों में उर्वरक की कालाबाजारी को पूरी तरह से समाप्त कर दिया जाये. किसानों को जमीन के रकबा के हिसाब से उर्वरक उपलब्ध कराया जायेगा़
क्या कहते हैं अधिकारी
अब सरकार की जो रणनीति बन रही है, उसमें उर्वरक की कालाबाजारी होना असंभव है़ इसके लिए विभाग मॉनीटरिंग कर रहा है़ समय पर किसानों को उर्वरक उपलब्ध करा दिया जायेगा़ वैसे उत्तरी बिहार में बाढ़ के कारण उर्वरक की कमी नहीं हो सकती है़ िकसानों की जरूरतों पर विभाग का ध्यान है.
सुनील कुमार, जिला कृषि पदाधिकारी, नवादा
क्या कहते हैं किसान
कहने को तो योजनाएं किसानों के लिए चलायी जा रही हैं, पर जरूरत पड़ने पर इसका लाभ नहीं मिल पाता है. उर्वरक के लिए मजबूर होकर महंगे दामों में खरीदना पड़ता है़
सरयू सिंह, सिरदला
अभी पोटाश की जरूरत है, पर वह उपलब्ध नहीं है. विभागीय अधिकारी कहते हैं कि सरकारी अनुदान पर सभी यूरिया उपलब्ध है, पर ऐसा नहीं होता.
जगदीश प्रसाद, बरदाहा
रोपनी के समय उर्वरक का उपयोग
ऊपरी जमीन में जल्द पकनेवाले प्रभेदों में 60, 40 व 20 नंबर प्रति किलोग्राम नेत्रजन फासफोरस पोटाश प्रति हेक्टेयर का प्रयोग करना है़
उन्नत व अधिक उपजशील प्रभेदों में 100, 40 व 20 नंबर फासफोरसपोटाश प्रति हेक्टेयर उपयोग करना है़
सुगंधित प्रभेद
बौनी प्रभेद- 80, 40 व 20 नंबर फासफोरस पोटाश प्रति हेक्टेयर
लंबी प्रभेद- 40, 20 व 10 नंबर फाफोरस पोटाश प्रति हेक्टेयर
संकर प्रभेद- 120, 60 व 40 प्रति किलोग्राम नेत्रजन फासफोरस प्रति हेक्टेयर
कम्पोस्ट खाद का प्रयोग- 10 से 15 टन प्रति हेक्टेयर की दर से रोपाई के 20 से 25 दिन पहले करना है़
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