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उद्देश्य से भटक गये आंगनबाड़ी केंद्र
केंद्राें की जांच में ध्यान नहीं दे रहे अधिकारी टीएचआर वितरण में बरती जा रही लापरवाही रजौली : प्रखंड के आंगनबाड़ी केंद्रों में पढ़नेवाले बच्चों व पंजीकृत गर्भवती तथा प्रसूति महिलाओं को राज्य सरकार द्वारा दिया जानेवाला लाभ नहीं मिल रहा है. जिस उद्देश्य से आंगनबाड़ी केंद्रों का सृजन किया गया था, वह अब बेकार […]
केंद्राें की जांच में ध्यान नहीं दे रहे अधिकारी
टीएचआर वितरण में बरती जा रही लापरवाही
रजौली : प्रखंड के आंगनबाड़ी केंद्रों में पढ़नेवाले बच्चों व पंजीकृत गर्भवती तथा प्रसूति महिलाओं को राज्य सरकार द्वारा दिया जानेवाला लाभ नहीं मिल रहा है. जिस उद्देश्य से आंगनबाड़ी केंद्रों का सृजन किया गया था, वह अब बेकार साबित होने लगा है. रजौली प्रखंड में 138 आंगनबाड़ी केंद्र हैं. इन केंद्रों की समय-समय पर जांच करने के लिए पांच महिला पर्यवेक्षिकाएं भी हैं. लेकिन, केंद्रों की जांच के बाद इसकी सही-सही रिपोर्ट विभाग को नहीं भेजी जाती है.
इससे केंद्र की सेविकाएं मनमानी कर रही हैं. जानकारी के मुताबिक सरकार द्वारा प्रत्येक आंगनबाड़ी केंद्रों पर छह माह से तीन साल के बच्चों व गर्भवती तथा प्रसूति महिलाओं को पूरक पोषाहार देने व स्कूल पूर्व शिक्षा के तहत केंद्रों में पढ़नेवाले बच्चों को पोषाहार के लिए 15700 रुपये दिये जाते हैं. इस राशि से छह माह से तीन वर्ष के 28 कुपोषित बच्चों, 12 अति कुपोषित बच्चों, आठ गर्भवती महिलाओं व आठ प्रसूति महिलाओं को टेक होम राशन के तहत सूखा राशन के रूप में चावल-दाल, सोयाबिन व अंडे देने का प्रावधान है.
रजौली प्रखंड के जितने भी आंगनबाड़ी केंद्र हैं, उनमें से ग्रामीण क्षेत्रों के अधिकांश आंगनबाड़ी केंद्रों पर नियमित रूप से टेक होम राशन का वितरण नहीं किया जाता है. जिन आंगनबाड़ी केंद्रों पर टेक होम राशन का वितरण होता भी है, तो उस पर निर्धारित मात्रा से कम राशन दिया जाता है. जानकारी के मुताबिक 28 कुपोषित बच्चों को ढाई किलो चावल, एक किलो दाल तथा अति कुपोषित बच्चों को चार किलो चावल व दो किलो दाल तथा गर्भवती व प्रसूति महिलाओं को तीन किलो चावल व डेढ़ किलो दाल देने का प्रावधान है. प्रखंड क्षेत्र के कई आंगनबाड़ी केंद्र ऐसे हैं, जो कभी खुलते ही नहीं है. खुलते भी हैं, तो महीने में एक बार टीएचआर के दिन.
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