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हड़ताल से स्वास्थ्य सेवा पर असर
नवादा नगर : सरकारी कर्मचारियों की हड़ताल ने आमलोगों को परेशानी में डाल दिया है. दो दिनों की सांकेतिक हड़ताल के कारण कार्यालयों में काम-काज ठप हो गया. 13 सूत्री मांगों को लेकर कर्मचारियों की हड़ताल में कार्यालय तो खुले रहे, लेकिन काम नहीं हुआ. 28 जून को मशाल जुलूस निकाले जाने के बाद 29 […]
नवादा नगर : सरकारी कर्मचारियों की हड़ताल ने आमलोगों को परेशानी में डाल दिया है. दो दिनों की सांकेतिक हड़ताल के कारण कार्यालयों में काम-काज ठप हो गया. 13 सूत्री मांगों को लेकर कर्मचारियों की हड़ताल में कार्यालय तो खुले रहे, लेकिन काम नहीं हुआ. 28 जून को मशाल जुलूस निकाले जाने के बाद 29 व 30 जून को कर्मचारियों ने काम ठप कर दिया. स्वास्थ्यकर्मियों की हड़ताल के कारण सदर अस्पताल में मरीजों के साथ उनके परिजनों को दिक्कतें झेलनी पड़ी.
अस्पताल में डाॅक्टर, तो इलाज करने के लिए तैयार हैं, लेकिन स्वास्थ्यकर्मियों के काम नहीं करने के कारण मरीजों के इलाज में परेशानी हो हुई. लोहानीपुर से आये गरीबन मांझी, मिर्जापुर की सविता देवी आदि ने कहा कि अपनी बीमारी का इलाज कराने आये हैं, लेकिन इलाज में दिक्कत आ रही है.बिहार राज्य अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ व बिहार राज्य अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ गोपगुट के संयुक्त आह्वान पर दो दिवसीय हड़ताल के दूसरे दिन कार्यालयों के कर्मचारी आंदोलन को सफल बनाने के लिए सक्रिय रहे.
कलेक्ट्रेट के लगभग सभी कार्यालयों में काम ठप रहा. हड़ताल का असर शिक्षा विभाग, स्वास्थ्य, पीएचइडी, सिंचाई, जलछाजन आदि पर भी पड़ा. समाहरणालय के निकट रैन बसेरा में धरने पर बैठ कर कर्मचारी अपनी मांगों को लेकर आवाज बुलंद करते दिखे. राज्य शिक्षा अनुसचिवीय कर्मचारी महासंघ के राज्य उपाध्यक्ष सतीश कुमार, जिलाध्यक्ष सुषमा कुमारी चौधरी, जिला सचिव त्रिशुल नारायण ज्योति, प्रमंडलीय कोषाध्यक्ष राजीव रंजन,परोपकार रंजन,उपाध्यक्ष रामानंद प्रसाद, नरेंद्र कुमार, विनोद कुमार पांडेय, पवन कुमार आदि कर्मियों ने आंदोलन को सफल बनाने में सक्रिय रहे.
क्या हैं मुख्य मांगें
सातवें वेतनमान को एक जनवरी 2016 से वास्तविक रूप में लागू करने, विसंगति निवारण समिति का गठन करने, संविदा आउटसोर्सिंग, मानदेय प्रथा की समाप्ति, नयी पेंशन योजना बंद कर पुरानी पेंशन योजना को चालू करने आदि की मांग की गयी है.
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