मरीजों को निजी क्लिनिकों का सहारा
डेढ़ साल से अल्ट्रासाउंड कक्ष में लटका है ताला
बिहारशरीफ : करीब एक साल से सदर अस्पताल में मरीजों को अल्ट्रासाउंड की सेवा नहीं मिल पा रही है. जरूरतमंद मरीज इसके लिए सदर अस्पताल परिसर में भटकते रहते हैं. लाचार व विवश होकर मरीज शहर की निजी अल्ट्रासाउंड क्लीनिकों का सहारा ले रहे हैं. अस्पताल में इसकी सेवा नहीं मिलने से वैसे तो जरूरतमंद सभी मरीज परेशान हो रहे हैं लेकिन गरीब, गुरबों व असहाय रोगियों को सबसे ज्यादा फजीहत उठानी पड़ रही है.
ताले लटके देख निराश लौटते हैं मरीज
मरीजों को बेहतर आंतरिक जांच चिकित्सा सेवा उपलब्ध कराने के उद्देश्य सदर अस्पताल में पीपीमोड पर अल्ट्रासाउंड सेवा की व्यवस्था सरकार की ओर से की गयी थी. लेकिन यह सेवा करीब डेढ़ साल से अधिक समय से बंद है. लिहाजा जिन मरीजों को इसकी जरूरत होती है वैसे मरीज डॉक्टर की परची लेकर अल्ट्रासाउंड कक्ष के पास पहुंचते हैं पर कक्ष में ताले लटके देख बैरंग लौट जाते हैं. इतना ही नहीं कई मरीज लोगों से पूछते नजर आते हैं कि अल्ट्रासाउंड कक्ष का ताला कब खुलेगा. परंतु इसका सटीक जवाब कोई नहीं दे पाते.
निजी क्लिनिकों में अधिक खर्च वहन करना पड़ता
अस्पताल में इसकी सेवा बंद रहने से मरीजों को शहर की निजी अल्ट्रासाउंड क्लीनिकों में जाकर अपनी आंतरिक बीमारियों की जांच करानी पड़ती है.इसमें मरीजों को खर्च अधिक वहन करना पड़ता है. प्राइवेट क्लीनिकों में सुखी संपन्न परिवार लोग ही जाकर जांच कराने में सक्षम है. लेकिन मध्यम व गरीब मरीज चाहकर भी प्राइवेट अल्ट्रासाउंड सेवा कराने में सक्षम नहीं हो पाते हैं. अस्पताल में सेवा चालू रहने पर मरीजों को नि:शुल्क सेवा मिल जाती थी. परंतु इसकी सेवा बंद रहने से गरीब मरीजों को काफी दिक्कतों का सामना रोज करना पड़ रहा है.
रेडियोलॉजिस्ट नहीं रहने से सेवा बाधित
सदर अस्पताल में रेडियोलॉजिस्ट के कार्यरत नहीं रहने से इसकी सेवा एक साल से बंद है. एक साल पहले रेडियोलॉजिस्ट का यहां दूसरे अस्पताल में तबादला हो गया था. जब से यह सेवा बाधित है. इस पद पर पूर्व में पदस्थापित रेडियोलॉजिस्ट की प्रोन्नति हो गयी थी. प्रोन्नति के बाद वे यहां से नये पदस्थापित जगह पर चले गये. लेकिन उनके जाने के बाद इस पद पर अब तक कोई आसीन नहीं हो सका है. लिहाजा मरीजों को अल्ट्रासाउंड की सेवा नहीं मिल पा रही है.
बताया जाता है कि कुछ माह पहले सरकार ने सदर अस्पताल में एक रेडियोलॉजिस्ट की पोस्टिंग की थी. पर संबंधित रेडियोलॉजिस्ट ने यहां पर अपना योगदान नहीं दे सका. लिहाजा समस्या जस की तस बनी रह गयी. सेवा बंद रहने से हर रोज दर्जनों मरीज इसकी सेवा से वंचित रह जाते हैं.