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जिले में 1162 मरीजों की हुई पहचान
इलाज के बाद इस बार 717 मरीज हुए स्वस्थ बिहारशरीफ. पिछले तीन साल के दौरान नालंदा जिले में यक्ष्मा (टीबी)रोगियों की संख्या में कमी आयी है.आरएनटीसीपी कार्यक्रम के तहत मरीजों को बेहतर चिकित्सा सेवा प्रदान किये जाने से इसके मरीजों की संख्या में काफी कमी आयी है. जो जिलेवासियों के लिए अच्छी बात है. जिला […]
इलाज के बाद इस बार 717 मरीज हुए स्वस्थ
बिहारशरीफ. पिछले तीन साल के दौरान नालंदा जिले में यक्ष्मा (टीबी)रोगियों की संख्या में कमी आयी है.आरएनटीसीपी कार्यक्रम के तहत मरीजों को बेहतर चिकित्सा सेवा प्रदान किये जाने से इसके मरीजों की संख्या में काफी कमी आयी है. जो जिलेवासियों के लिए अच्छी बात है.
जिला यक्ष्मा विभाग के अधिकारियों व कर्मियों की मेहनत से यह उपलब्धि जिला यक्ष्मा विभाग को प्राप्त हुई है.जहां तीन साल पहले इसके मरीजों की संख्या 13 सौ अधिक थी अब घटकर चालू वर्ष में साढ़े ग्यारह सौ के करीब पहुंच गयी है. विभागीय आंकड़े पर गौर किया जाय तो तीन साल पहले यानी की वर्ष 2013 में सवा तेरह सौ टीबी के मरीज नालंदा जिले में थे. लेकिन चालू साल में इसकी संख्या घटकर 1162 तक पहुंच गयी है. इस तरह ग्राफ से स्पष्ट हो रहा है कि नालंदा जिले में टीबी के मरीजों के मिलने की संख्या में गिरावट आयी है. इसका मुख्य वजह रहा कि जिला यक्ष्मा केन्द्र की ओर से जिले में चिंहित होने वाले टीबी के रोगियों को समय पर बलगम जांच कर चिकित्सा सेवा उपलब्ध कराने का.
साथ ही मरीज भी जागरूकता के साथ चिकित्सीय सलाह के मुताबिक जीवनरक्षक दवाओं का सेवन करना.जहां साल 2013 में 1325 मरीजों की पहचान हुई थी उसमें से उस साल नियमित रूप से दवा का सेवन कर 1163 मरीज रोगमुक्त हो गये थे. यानी की रोग से स्वस्थ हो पाये थे. चालू साल में जिले में साढ़े ग्यारह सौ से अधिक टीबी के मरीजों की पहचान हो चुकी है. नवम्बर माह तक 1162 यक्ष्मा के मरीज मिले हैं.जो जिले के विभिन्न प्रखंडों में चिंहित हुए हैं.अब तक 717 मरीज चिकित्सा के बाद स्वस्थ हो चुके हैं.जिला यक्ष्मा पदाधिकारी डॉ रविन्द्र ने जिले के सभी पीएचसी प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी को निर्देश दे रखा है कि अस्पतालों के ओपीडी में आने वाले मरीजों खासकर जिन्हें दो सप्ताह से अधिक सप्ताह से अधिक समय से खांसी हो रही है तो उसे बलगम जांच के लिए उत्प्रेरित करें.
बलगम जांच के लिए संदिग्ध मरीजों को डीएमसी में रेफर करें. ताकी बलगम जांच कर बीमारी की पुष्टि की जा सके और इलाज शुरू हो सके.
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