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राजनीतिक ध्रुव्रीकरण का केंद्र रहा है राजगीर

बिहारशरीफ : बुद्ध महावीर. बाबा मखदूम. देव देवताओं की धरती राजगीर सभी काल में चर्चित रहा है. राजगीर के कण-कण में इहिहास जमींनदोज है. बस इसे कुरेदन भर की देर है फिर चर्चा ऐसी की जिज्ञासा बढ़ती ही जाती है. यही कारण है कि महाधिवेशन के दिन जब जदयू के राष्ट्रीय सह सीएम नीतीश कुमार […]

बिहारशरीफ : बुद्ध महावीर. बाबा मखदूम. देव देवताओं की धरती राजगीर सभी काल में चर्चित रहा है. राजगीर के कण-कण में इहिहास जमींनदोज है. बस इसे कुरेदन भर की देर है फिर चर्चा ऐसी की जिज्ञासा बढ़ती ही जाती है. यही कारण है कि महाधिवेशन के दिन जब जदयू के राष्ट्रीय सह सीएम नीतीश कुमार संबोधन शुरू किये तो राजगीर की महता से ही किये. देश के कोने से आने वाले लोगों को इतिहास इसकी महता की एक से बढकर एक जानकारी दिये. जब वे बोलने लगे तो मानों हॉल में सुई भी गिरे तो उसकी आवाज सुनाई दें.

नीतीश कुमार ने जब यह भी बताया कि किस तरह महावीर के परिनिर्वाण में आने वाले लोगों के द्वारा एक-एक चुटकी मिट्टी उठाने से पावापुरी के प्राचीन स्थल इतना गड हो गया कि तालाब का रूप ले लिया.इतनी बारिकी बात की जानकारी बहुत कम लोग ही जानते होंगे.
इसी प्रकारउन्होंने बताया कि राजगीर सिख गुरू के आने के बारे में भी बताया गया. बेणुवन की महता यह है कि वहां के तालाब में भगवान बुद्व स्नान करते थे.
राजनीतिक रूप से देखा जाये तो प्राचीन समय मेें दूसरा बौद्व विहार भी राजगीर में ही हृुआ था. पाण्डू भी राजगीर आये थे. आधुनिक समय में कई बड़ी पार्टी का सम्मेलन से लेकर से राष्टीय अधिवेशन भी यहां हो चुका है. लोगों में यह भी मान्यता है कि राजगीर से किसी बड़ी मुहिम को लेकर बैठक किये जाने पर सफलता अवश्य मिलती है. यही कारण है कि राजगीर की एतिहासिक धरती से राजीनीति की आगाज किये जाने की परंपरा बन गयी है.

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