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रिश्ते तो कई हैं, पर मां एक है

बेटे पढ़-लिखकर कोई बड़ा ओहदा पा ले तो मां के लिए सबसे बड़ा गिफ्ट दुनिया के सारे दुख झेल मां ने बेटे को बनाया डॉक्टर बिहारशरीफ : आज मदर्स डे है. मदर्स डे पर बच्चे अपने मों को गिफ्ट देते हैं, मगर मों को सबसे बड़ा गिफ्ट तब मिलता है, जब उसके बच्चे पढ़-लिखकर किसी […]

बेटे पढ़-लिखकर कोई बड़ा ओहदा पा ले तो मां के लिए सबसे बड़ा गिफ्ट

दुनिया के सारे दुख झेल मां ने बेटे को बनाया डॉक्टर
बिहारशरीफ : आज मदर्स डे है. मदर्स डे पर बच्चे अपने मों को गिफ्ट देते हैं, मगर मों को सबसे बड़ा गिफ्ट तब मिलता है, जब उसके बच्चे पढ़-लिखकर किसी बड़े ओहदे पर आसीन हो. मदर्स डे पर मां के लिए इससे बड़ा तोहफा और क्या हो सकता है. दीपनगर थाना क्षेत्र के सिपाह निवासी स्व. शिवचरण प्रसाद के पुत्र अंजनी कुमार ने अपनी मां बसंती देवी को ऐसा ही तोहफा दिया है. अंजनी कुमार ने एमबीबीएस की परीक्षा पास की है और उसका नामांकन वर्धमान मेडिकल कॉलेज पावापुरी में हुआ है. पिता की मौत के बाद मां ने बेटे की पढ़ाई में कोई कमी नहीं छोड़ी.
मेडिकल की तैयारी के लिए बेटे को जहां जरूरत हुई, वहां भेजा. एक-दो बार असफल होने के बाद भी मां कभी निराश नहीं हुई और हमेशा बेटे का हौसला बढ़ाती रही. अंजनी कुमार बताते हैं कि जब मैं दो वर्ष का था और अपने पांवों पर चलना ही सीख रहा था, पिता साथ छोड़ गये. पिता का चेहरा भी मुझे याद नहीं रहा.
जब मुझे होश आया, तब से लेकर अब तक मां ही सबकुछ है. पिता के साथ मां का रोल भी मां ने ही निभाया है. अंजनी बताते हैं कि आज युवा पीढ़ी तरक्की के लिए अपने मां-बाप से मीलों दूर चले जाते हैं. लेकिन थककर जब बिस्तर पर पहुंचते हैं तो मां का ही प्यार से सिर सहलाना उन्हें याद आता है. मां ऐसी ही होती है, जिसे बदले में कुछ नहीं चाहिए होता है. उनका प्यार नि:स्वार्थ होता है.

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