बिहारशरीफ : गांव-गांव व शहर के हर मोहल्ले में खुली शराब की दुकानों से सामाजिक सदभाव दिन प्रतिदिन बिगड़ता जा रहा है. काम कर परिवार का भरन पोषण करने के बजाय लोग शराब के नशे में चूर रहते हैं. जो लोग कमाते भी है तो अपनी कमाई का दो-तिहाई हिस्सा शराब पर खर्च कर देते हैं.
स्कूल जाने वाले बच्चे भी पढ़ाई लिखाई छोड़ शराब के शौकीन होते जा रहे हैं. सबसे ज्यादा परेशानी महिलाओं को झेलनी पड़ रही हैं. छींटाकशी, छेड़खानी, दुराचार, अपहरण और यहां तक की घर भी महिलाओं के लिए सुरक्षित नहीं रह गया है. शराब अब पूरी तरह सामाजिक बुराई का रूप से चुका है.
शराब नहीं, सामाजिक बुराई पर पाबंदी:
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शराब पर पाबंदी लगाने की घोषणा का अमन पसंद लोगों व महिलाओं ने जम कर सराहना की है. लोगों का कहना है कि यह शराब पर नहीं, सामाजिक बुराई पर पाबंदी है. इससे कई प्रकार की बुराई अपने आप दूर हो जायेगी.
सबसे ज्यादा असर आधी आबादी पर:मुख्यमंत्री के इस घोषणा का सबसे ज्यादा असर महिलाओं पर पड़ेगा. शराब के कारण सबसे ज्यादा फजीहत महिलाओं को झेलनी पड़ती है. घर में पति से झगड़ा, बाहर निकलने पर छींटाकशी, छेड़खानी, दुर्व्यवहार, बलात्कार का शिकार होना पड़ता है. स्कूल कॉलेज आने जाने वाली छात्राओं के साथ दुर्व्यवहार की घटनाएं अक्सर होती रहती हैं. ऐसी ज्यादातर घटनाएं शराब पीकर अंजाम दिया जाता है.
खून-खराबे पर लगेगी रोक:
शराब के नशे में मारपीट व खून खराबे की घटनाएं होती रहती है. बात-बात पर मारपीट व गोली बंदूक की बातें होने लगती है. चोरी की घटनाएं भी शराब के नशे में होती हैं. गांवों में रोज-रोज यह नजारा देखने को मिलता है. शराब बंद हो जाने से इन घटनाओं पर लगाम लगेगा.
दुर्घटनाओं में होगी कमी:
शराब पीकर वाहन चलाने का शौक तेजी से पनपा है. शराब पीकर बाइक, कार, बस, ट्रक चलाने का रिवाज हो गया है. शराब के नशे में गाड़ी किस गति से दौड़ रही है यह भी पता नहीं होता है. सड़क पर लहेरिया मारते बाइकर, वाहन चालक आसानी से देखे जा सकते हें. इसके कारण अक्सर सड़क दुर्घटनाएं होती रहती हैं. वाहन पलटने, वाहन से कुचलने की घटनाएं आम बात हो गयी है.
मजदूरी का बड़ा हिस्सा शराब पर खर्च:
ग्रामीण क्षेत्रों में मेहनत कस लोगों के थकान मिटाने का जरिया शराब बन गया है. काम करने के बाद मिले पैसे से पहले परिवार की आवश्यकता व भोजन की सामग्री खरीदने से पूर्व एक बड़ा हिस्सा शराब पर खर्च कर दिया जाता है. घर की माली हालत चाहे जो हो, लोग शराब पर खर्च करना नहीं भूलते हैं. शराब बंदी की घोषणा से मजदूर आर्थिक रूप से सबल होंगे.