राजगीर : रविवार को नमूम्यो हो रेगं को मंत्रोच्चार व रंग बिरंगे पतंगों से रत्नागिरी पर्वत की वादियां गुंजमान होती रही. यहां का चप्पा-चप्पा शांति की जश्न में सराबोर होती रही. विश्व शांति स्तूप की 46 वीं वर्षगांठ समारोह की मुख्य अतिथि के रूप में बिहार के महामहिम राज्यपाल राम नाथ कोबिंद विराजमान थे.
इस मौके पर देश-विदेश से आये सैकड़ों बौद्ध धर्मालंबियों द्वारा पूजा-अर्चना कर इस समारोह की शुरुआत की गयी. पूजा करीब निर्धारित समय नौ बजे आरंभ हो गयी थी. ताई को और ढमको की थाप से भगवान बुद्ध की पावन नगरी के पंच पर्वत हरिभरी वादियां मानो शांति और सौहार्द की जश्न में डूबती रही. नमूम्यो हो रेगं करो का मंत्रोच्चारण से गुंजायमान होती रही. बौद्ध भिक्षु एवं उपस्थित अतिथि विश्व शांति व मानव कल्याण की कामना की.
भारत जापान मैत्री का प्रतीक राजगीर का विश्व शांति स्तूप विगत 46 वर्षों से विश्व में ज्ञान व शांति का संदेश दे रहा है. राज्य पाल के संबोधन में कहा गया कि मानवों को अपने में मानवीय मूल्यों का स्थापित करनी चाहिए. जन मानस का कल्याण और विश्व में शांति का माहौल रहे. सबों को ऐसी सोच व विचार हो, भगवान बुद्ध ने विश्व कल्याण और हित के लिए ही अपने वैभवशाली राजपाट छोड़ कर यहां के विहड़ घने जंगलों में कई वर्षों तक तपस्या में लीन रहे.
उन्होंने कहा कि आज राजगीर का नाम दुनिया में उल्लेखनीय एवं वंदनीय है. विश्व शांत स्तूप के मुख्य भिक्षु प्रबंधक टीओ को नोगी जपानी बाबा ने अतिथियों का स्वागत की. राजगीर की बुद्ध बिहार सोसायटी की सचिव और उपेन्द्र महारथी की सुपुत्री श्वेता महारथी उर्फ गोपा जी ने मंच संचालन की. बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की शुभकामना संदेश दिया. व्यवस्था में डा. जेएन उपाध्यक्ष, जमुना तिवारी, रोपवे प्रबंधक संजीव कुमार के अहम भूमिका निभाई.