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तालाब निर्माण पर 50 फीसदी मिलेगा अनुदान
बिहारशरीफ (नालंदा) : जिले में मछली उत्पादकों के दिन जल्द बहुरेंगे. राज्य सरकार का इस दिशा में किया जा रहा प्रयास रंग ला रहा है. जिले का मत्स्य विभाग मछली उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए मछली उत्पादकों के लिए अपना पिटारा खोल दिया है. अगर सब कुछ ठीकठाक रहा, तो सरकार द्वारा जिले में […]
बिहारशरीफ (नालंदा) : जिले में मछली उत्पादकों के दिन जल्द बहुरेंगे. राज्य सरकार का इस दिशा में किया जा रहा प्रयास रंग ला रहा है. जिले का मत्स्य विभाग मछली उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए मछली उत्पादकों के लिए अपना पिटारा खोल दिया है.
अगर सब कुछ ठीकठाक रहा, तो सरकार द्वारा जिले में शुरू की गयी कई महत्वकांक्षी योजना का फायदा सैकड़ों मत्स्यपालकों के घरों में खुशियां भर देंगी. जिलावासियों के लिए सबसे खुशी की बात यह होगी कि मछली उत्पादन में उनका नालंदा जिला आंध्र प्रदेश को भी मात दे सकेगा. सचमुच अगर ऐसा हुआ तो मछली के लिए नालंदा का आंध्र प्रदेश पर निर्भरता काफी हद तक कम हो जायेगी.
पानी उपलब्धता के लिए लगेगा ट्यूबवेल पंपसेट : जिले में मछली उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए जिले का मत्स्य विभाग पर्याप्त पानी उपलब्ध करायेगा. इसके लिए मछली तालाबों में 30 ट्यूबवेल लगाने का लक्ष्य रखा गया है. बताते चलें कि एक तालाब के निर्माण पर करीब 75 हजार रुपये खर्च आता है. इसमें मछलीपालकों को राहत देते हुए 50 फीसदी राशि अनुदान के रूप में राज्य सरकार उपलब्ध करायेगी.
अनुसूचित जाति को मिलेगा विशेष प्रोत्साहन : मत्स्यपालन से जुड़े अनुसूचित जाति वर्ग के लोगों को मत्स्यपालन के लिए विशेष प्रोत्साहन दिया जायेगा. विभाग द्वारा ऐसे वर्ग के लोगों के लिए शुरू की गयी योजना में ज्यादा तब्बजो देगा. बताते चलें कि 30 डिसमिल नर्सरी तालाब बनाने में एक लाख 51 हजार रुपये की लागत आती है. लेकिन अनुसूचित जाति से जुड़े लोगों को इसके निर्माण पर नब्बे फीसदी राशि सरकार अनुदान के रूप में देगी. इसी प्रकार ट्यूबवेल पंपसेट लगाने में 75 हजार की लागत में 90 फीसदी राशि अनुदान स्वरूप दी जायेगी. सरकार ने 10 एकड़ नर्सरी तालाब निर्माण एवं 20 ट्यूबवेल लगाने का लक्ष्य रखा है.
मत्स्यपालकों को मिलेगा नि:शुल्क प्रशिक्षण : जिले का मत्स्य महकमा वैसे मत्स्य पालक जिनके पास अपना तालाब उपलब्ध है, उनलोगों को नि:शुल्क प्रशिक्षण देने के लिए राज्य से बाहर प्रशिक्षण देगा. ऐसे मत्स्यपालकों को विभाग अपने खर्च पर प्रशिक्षण के लिए पश्चिम बंगाल, आंध्र प्रदेश एवं उत्तर प्रदेश भेजेगा. प्रशिक्षणोपरांत मछली पालक जिले में उत्कृष्ट मछली का उत्पादन कर सकेंगे.
क्या कहते हैं अधिकारी
‘‘ जिले में 10.52 मीटरिक टन लोकल मछली का उत्पादन हो रहा है. वर्ष 2014- 15 में विभाग द्वारा 16.15 मीटरिक टन मछली उत्पादन का लक्ष्य रखा गया है. यहां रेहू, कतला, नैनी, ग्रासकाय आदि मछली उत्पादित हो रही है. राष्ट्रीय कृषि योजना के तहत जिले में 14 हेक्टेयर में नये मत्स्य तालाब निर्माण कराने की योजना पर कार्य शुरू किया गया है. प्रत्येक इकाई की लागत प्रति हेक्टेयर 06 लाख 97 हजार है. इसमें विभाग द्वारा 50 प्रतिशत अनुदान जबकि शेष यानी 50 प्रतिशत राशि बैंकों या फिर अपनी जमा पूंजी से मत्स्यपालकों को लगानी होगी.’’
अशोक कुमार सिन्हा
जिला मत्स्य पदाधिकारी, नालंदा
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