पहल. साल में दो बार हो रही प्याज की खेती
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आलू से मिला धोखा, खरीफ प्याज से किसानों को आस
पहल. साल में दो बार हो रही प्याज की खेती कोलकाता से खरीफ प्याज का बीज लाते हैं किसान बिहारशरीफ : जिले के किसान रबी मौसम में प्याज की खेती करते हैं. लेकिन, दो-तीन वर्षों से किसान खरीफ मौसम में भी प्याज की खेती कर रहे हैं. एक-दो साल पहले एक-दो किसान ही खरीफ प्याज […]
कोलकाता से खरीफ प्याज का बीज लाते हैं किसान
बिहारशरीफ : जिले के किसान रबी मौसम में प्याज की खेती करते हैं. लेकिन, दो-तीन वर्षों से किसान खरीफ मौसम में भी प्याज की खेती कर रहे हैं. एक-दो साल पहले एक-दो किसान ही खरीफ प्याज लगाते थे, लेकिन अब इनकी संख्या बढ़ गयी है. सोहडीह, आशानगर समेत बिहारशरीफ के आसपास के गांवों में इसकी खेती जोर पकड़ती जा रही है. प्याज की फसल इतनी अच्छी है किसान खुश हैं. ठंड के मौसम में रोग व कीड़ों का प्रकोप कम होता है और प्याज की अधिक कीमत मिलती है और मुनाफा भी अच्छा होता है. पिछले दो-तीन वर्षों से आलू की खेती में लगनेवाली लागत, उसके बाद आलू को सुरक्षित रखने के लिए कोल्ड स्टोरेज में रखने की मजबूरी भी है.
कोल्ड स्टोरेज से जब आलू बाहर निकलता है तो किसानों की कोई खरीदार नहीं मिल पाता है. इसके कारण आलू को कोल्ड स्टोरेज में छोड़ने के सिबा किसानों के पास और कोई चारा नहीं बचता है. कई सालों से इस समस्या से जूझ रहे किसान पछेती खरीफ प्याज की खेती करने की ओर मुड़ते जा रहे हैं. पछेती खरीफ प्याज खेत से निकलते ही हाथों-हाथ बिक जाते हैं
और अच्छी खासी प्याज की कीमत भी मिल जाती है.
कोलकाता से दो हजार रुपये किलो लाते हैं बीज : सोहडीह के किसान राकेश कुमार ने बताया कि खरीफ प्याज की खेती के प्रति किसानों का काफी रुझान है. मगर इधर बीज उपलब्ध होने की वजह किसान इसकी खेती नहीं कर पा रहे हैं. यहां के किसान कोलकाता से बीज लाते हैं. कोलकाता से 70-80 किलोमीटर दूर जिराट रेलवे स्टेशन के पास इस प्याज का बीज खरीदकर लाते हैं. वहां बीज दो हजार रुपये किलोग्राम मिलता है.
अगस्त-सितंबर में होती है बीज की बोआई : खरीफ प्याज की खेती में बीज की बोआई अगस्त-सितंबर में होती है, जबकि रोपनी अक्तूबर-नवंबर में की जाती है. प्याज जनवरी-फरवरी माह में निकलने लगते हैं. फरवरी-मार्च महीने में प्याज की कीमत अच्छी होती है, इसलिए किसानों को अधिक मुनाफा मिलता है. इसलिए धीरे-धीरे जिले के किसान प्याज की इस खेती की ओर मुड़ते जा रहे हैं. प्याज की इस खेती से किसानों को 12 से 15 मन प्रति कट्ठा उत्पादन प्राप्त हो जाता है.
क्या कहते हैं किसान व अधिकारी
जिले के कृषि विज्ञान केंद्र को नालंदा के वातावरण के अनुकूल खरीफ प्याज के बीज तैयार करना चाहिए. इससे बीज की खरीद में किसानों को परेशानी नहीं होगी और इस खेती से जड़ने की इच्छा रखने वाले किसानों को फायदा होगा.
हारो प्रसाद वर्मा, किसान, सोहडीह
खरीफ प्याज की खेती किसानों के लिए काफी फायदेमंद है, मगर सबसे बड़ी परेशानी यहां बीज का नहीं मिलना है. बीज लाने के लिए कोलकाता जाना पड़ता है. वहां दो हजार रुपये प्रति किलोग्राम बीज मिलता है.
सुबोध कुमार, सोहडीह
आलू की खेती पिछले कई वर्षों से धोखा दे रही है. लागत निकलना भी मुश्किल हो रहा है. इसलिए हमलोग आलू की जगह खरीफ प्याज की खेती करने लगे हैं. इस बाद डेढ़ बीघा खेत में खरीफ प्याज की खेती की है.
अजय प्रसाद, सोहडीह
खरीफ प्याज की खेती का प्रचलन धीरे-धीरे जिले में बढ़ रहा है. इससे फायदा हो रहा है. इस मौसम में प्याज की फसल पर रोग कम लगते हैं और जल्दी-जल्दी सिंचाई भी नहीं करनी पड़ती है. इससे लागत काफी कम हो जाता है. इस मौसम में प्याज की कीमत अधिक होने की वजह से किसानों को अधिक मुनाफा होता है. प्याज की यह खेती किसानों के लिए काफी लाभदायक है.
धनंजय कुमार, तकनीकी सहायक, कृषि विभाग
कब-कब होती है प्याज की फसल
खरीफ प्याज : मई-जून में बीज की बोआई
पछेती खरीफ प्याज : अगस्त-सितंबर में बीज की बोआई
रबी प्याज : अक्तूबर-नवंबर में बीज की बोआई
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