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नालंदा जीविका का कार्य सूबे में अव्वल

उपलब्धि. जिले में उद्यमिता का विकास कर रही जीविका की दीदियां 24106 स्वयं सहायता समूहों से जुड़ी हुई है 2.83 लाख महिलाएं बिहारशरीफ : नालंदा की महिलाएं स्वयं सहायता समूहों से जुड़ कर आज महिला सशक्तीकरण की नयी इबारत लिख रही है. जिले में 24106 स्वयं सहायता समूहों से दो लाख 83 हजार महिलाएं जुड़ी […]

उपलब्धि. जिले में उद्यमिता का विकास कर रही जीविका की दीदियां

24106 स्वयं सहायता समूहों से जुड़ी हुई है 2.83 लाख महिलाएं
बिहारशरीफ : नालंदा की महिलाएं स्वयं सहायता समूहों से जुड़ कर आज महिला सशक्तीकरण की नयी इबारत लिख रही है. जिले में 24106 स्वयं सहायता समूहों से दो लाख 83 हजार महिलाएं जुड़ी हुई है. जीविका के माध्यम से स्वयं सहायता समूहों से जुड़ी इन महिलाओं को जीविका दीदी के नाम से पुकारा जाता है. समूह की महिलाएं सब्जी, डेयरी, पॉल्ट्री, अगरबत्ती निर्माण, बकरी पालन का व्यवसाय से अच्छी आमदनी कर अपने परिवार के भरण-पोषण में सहयोग कर रही है.
पांच सूत्र पर समूह की महिलाएं काम करती है. नियमित साप्ताहिक बैठक, नियमित साप्ताहिक बचत, नियमित आपसी लेन-देन, नियमित कर्ज वापसी व नियमित कार्यों का लेखा जोखा इन पांच सूत्री फॉर्मूले पर कार्य करने वाली समूह की महिलाएं आज उद्यमिता की नयी परिभाषा गढ़ रही है. हरनौत में सहयोग महिला जीविका कृषि उत्पादक कंपनी का गठन किया गया है. इस कंपनी में 1057 दीदियां शेयर होल्डर है. तीन प्रखंडों नूरसराय, रहुई व बिहारशरीफ की दीदियां इस कंपनी से जुड़ी हुई है.
इस कंपनी के माध्यम से 1234 मीटरिक टन आलू की खरीद की है. कंपनी ने डिजिटल मशीन से आलू का वजन करा कर खरीदी गयी है. आलू की यह खरीदारी सीधे किसानों से की गयी है. इसमें बिचौलयों की कोई भूमिका नहीं है. आलू की ग्रेडिंग कर यह खरीदारी हुई है और आलू की कीमत किसानों के बैंक खाते में आरटीजीएस के माध्यम से तीन दिन के अंदर करीब एक करोड़ का ट्रांजैक्शन किया गया है. खरीदे गये आलू को दीपनगर के एक कोल्ड स्टोरेज में रखा गया है. जब आलू का रेट बाजार में अच्छा होगा तब इसको बेचा जायेगा. इससे जो मुनाफा होगा उसका बंटवारा डिविडेंट के रूप में दीदियों के खाते में जायेगा.
1800 महिलाएं बन रही इंटरनेट साथी : जीविका द्वारा प्रथम चरण में जिले में 1800 महिलाओं को डिजिटल साक्षर बना कर उन्हें इंटरनेट साथी का नाम दिया जा रहा है. इन महिलाओं को डिजिटल प्रशिक्षण देने के लिए गूगल एवं टाटा ट्रस्ट कंपनियों से मदद ली जा रही है. इसके लिए 1800 महिलाओं को चिह्नित किया गया है. इनको स्मार्ट फोन एवं टेबलेट दिया गया है. इन महिलाओं को पूरी तरह ट्रेंड किया जायेगा. ट्रेंड महिलाएं छह माह में 500-500 महिलाओं को ट्रेंड करेगी. अगले छह माह में जिले में करीब एक लाख महिलाएं डिजिटल रूप से परिपक्व हो जायेगी. ट्रेनिंग देने वाली महिलाओं को मानदेय मिलेगा .
एवं एक स्मार्ट फोन अथवा टेबलेट दिया जायेगा.
बैंकों को लोन देने को विवश कर रही महिलाएं: वित्तीय वर्ष 2016-17 में बैंकों के उदासीन रवैये के बावजूद इन स्वयं सहायता समूहों 137.25 करोड़ रूपये का लोन प्राप्त किया है. समूह की महिलाएं अपने बेहतर परफॉरमेंस के आधार पर बैंकों को लोन देने पर विवश कर रही है. आज तक जिले की किसी भी समूह ने लोन को वापस करने में कोई चूक नहीं की है. इसके कारण बैंकों को लोन नहीं देने का कोई बहाना नहीं मिल पा रहा है.
महिलाएं हाे रहीं आत्मनिर्भर
जिले में जीविका स्वयं सहायता
समूह – 24106
जुड़ी महिलाएं – 2.83 लाख
जिले में ग्राम संगठन – 2021
कलस्टर लेबर फेडरेशन – 49
जिला स्तरीय ट्रेनिंग सेंटर – 01
जिले में जीविका की सामुदायिक साधनसेवी – 1800
जिले में जीविका की दूध को-ऑपरेटिव सोसाइटी – 60
60 दूध को-ऑपरेटिव से जुड़ी महिलाएं – करीब 2500
अगरबत्ती प्रोड्यूशर ग्रुप – 08
बकरी पालन योजना से जुड़ेगी महिलाएं – 3300
7913 समूहों को बैंकों से मिला
लोन – 137.25 करोड़
नालंदा में कुल सीआरपी: 1800
दूसरे जिलों में ट्रेनिंग देने पर भुगतान –
Rs 350-450 प्रतिदिन
दूसरे राज्यों में ट्रेनिंग के लिए जाने पर
Rs 1150 से 1450 प्रतिदिन
सीआरपी की सालाना आमदनी
Rs 50 हजार से 1.25 लाख
दूसरे राज्यों में ट्रेनिंग
के लिए भुगतान
Rs 5 करोड़
सूबे के दूसरे जिलों से ट्रेनिंग
के लिए भुगतान
Rs 4.50 करोड़
चिरागा मेले में चिकित्सा की मुकम्मल व्यवस्था
लगातार मॉनिटरिंग व दिशा-निर्देश से नालंदा जीविका पूरे सूबे में अव्वल है. नीरा उत्पादन एवं नीरा के अन्य उत्पाद में नालंदा पहले स्थान पर है. जिले में जीविका स्वयं सहायता समूह से 2.83 लाख महिलाएं जुड़ी हुई है. सभी का डाटाबेस कंप्यूटराइज्ड कर दिया गया है.
डॉ त्याग राजन एसएम, डीएम, नालंदा

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