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तीन हजार शिक्षकों का रिकॉर्ड नहीं

मुजफ्फरपुर : जिले में कार्यरत करीब तीन हजार नियोजित शिक्षकों का शैक्षणिक व प्रशैक्षणिक रिकॉर्ड न तो नियोजन इकाइयों के पास है, न ही विभाग के पास. उनका रिकॉर्ड खंगालने में विभागीय अधिकारियों के अब पसीने छूट रहे हैं. पिछले महीने प्रखंडवार समीक्षा के दौरान सभी बीइओ को फोल्डर जमा करने या फोल्डर नहीं देनेवाली […]

मुजफ्फरपुर : जिले में कार्यरत करीब तीन हजार नियोजित शिक्षकों का शैक्षणिक व प्रशैक्षणिक रिकॉर्ड न तो नियोजन इकाइयों के पास है, न ही विभाग के पास. उनका रिकॉर्ड खंगालने में विभागीय अधिकारियों के अब पसीने छूट रहे हैं. पिछले महीने प्रखंडवार समीक्षा के दौरान सभी बीइओ को फोल्डर जमा करने या फोल्डर नहीं देनेवाली नियोजन इकाइयों पर कार्रवाई करने को कहा गया था.

31 मई तक अंतिम मौका दिया गया था, लेकिन किसी प्रखंड से बुधवार तक कोई प्रतिवेदन नहीं मिला. निगरानी अन्वेषण ब्यूरो के अधिकारी नियोजन की जांच में हो रहे विलंब के लिए लगातार विभागीय लापरवाही को कारण बता रहे हैं, जिससे सरकार व कोर्ट का दबाव विभाग पर ही है.

जून 2015 से सरकार ने नियोजित शिक्षकों के अभिलेखों की जांच का जिम्मा निगरानी अन्वेषण ब्यूरो को दिया है. इसके लिए विभाग को सभी शिक्षकों के अभिलेखों का फोल्डर निगरानी जांच टीम को देना है. दो साल में विभाग केवल नौ हजार शिक्षकों का फोल्डर दे सका है, जबकि तीन हजार शिक्षकों का फोल्डर नहीं मिल रहा है.
दबाव बढ़ने के बाद पिछले दिनों डीपीओ स्थापना ने सभी बीइओ की बैठक बुलाई थी. 31 मई तक का समय निर्धारित करते हुए निर्देश दिया कि बाकी बचे शिक्षकों का फोल्डर जमा कर दें. साथ ही यह भी कहा गया था कि जो नियोजन इकाई फोल्डर नहीं दे रही है, उनके खिलाफ कार्रवाई करके विभाग को प्रतिवेदन भेज दें.
कई प्रखंडों से मिली है अधूरी फोल्डर
विभाग के रिकॉर्ड के अनुसार विभिन्न प्रखंडों से अब तक करीब नौ हजार शिक्षकों का फोल्डर मिल चुका है. हालांकि इसमें कई प्रखंडों से अधूरी फोल्डर ही मिली है, जो निगरानी ने विभाग को वापस लौटा दिया है. कई में अभिलेख की कॉपी धुंधली है, तो कुछ में शैक्षणिक या प्रशैक्षणिक अभिलेख की कॉपी नहीं है. ये फोल्डर डीपीओ कार्यालय में ही रखे गए हैं. संबंधित बीइओ को आवश्यक अभिलेख की कॉपी लगाकर दुबारा निगरानी को भेजने के लिए कहा गया है.
बयान:::
मुजफ्फरपुर : जिले में कार्यरत करीब तीन हजार नियोजित शिक्षकों का शैक्षणिक व प्रशैक्षणिक रिकॉर्ड न तो नियोजन इकाइयों के पास है, न ही विभाग के पास. उनका रिकॉर्ड खंगालने में विभागीय अधिकारियों के अब पसीने छूट रहे हैं. पिछले महीने प्रखंडवार समीक्षा के दौरान सभी बीइओ को फोल्डर जमा करने या फोल्डर नहीं देनेवाली नियोजन इकाइयों पर कार्रवाई करने को कहा गया था. 31 मई तक अंतिम मौका दिया गया था, लेकिन किसी प्रखंड से बुधवार तक कोई प्रतिवेदन नहीं मिला. निगरानी अन्वेषण ब्यूरो के अधिकारी नियोजन की जांच में हो रहे विलंब के लिए लगातार विभागीय लापरवाही को कारण बता रहे हैं, जिससे सरकार व कोर्ट का दबाव विभाग पर ही है.
जून 2015 से सरकार ने नियोजित शिक्षकों के अभिलेखों की जांच का जिम्मा निगरानी अन्वेषण ब्यूरो को दिया है. इसके लिए विभाग को सभी शिक्षकों के अभिलेखों का फोल्डर निगरानी जांच टीम को देना है. दो साल में विभाग केवल नौ हजार शिक्षकों का फोल्डर दे सका है, जबकि तीन हजार शिक्षकों का फोल्डर नहीं मिल रहा है.
दबाव बढ़ने के बाद पिछले दिनों डीपीओ स्थापना ने सभी बीइओ की बैठक बुलाई थी. 31 मई तक का समय निर्धारित करते हुए निर्देश दिया कि बाकी बचे शिक्षकों का फोल्डर जमा कर दें. साथ ही यह भी कहा गया था कि जो नियोजन इकाई फोल्डर नहीं दे रही है, उनके खिलाफ कार्रवाई करके विभाग को प्रतिवेदन भेज दें.
कई प्रखंडों से मिली है अधूरी फोल्डर
विभाग के रिकॉर्ड के अनुसार विभिन्न प्रखंडों से अब तक करीब नौ हजार शिक्षकों का फोल्डर मिल चुका है. हालांकि इसमें कई प्रखंडों से अधूरी फोल्डर ही मिली है, जो निगरानी ने विभाग को वापस लौटा दिया है. कई में अभिलेख की कॉपी धुंधली है, तो कुछ में शैक्षणिक या प्रशैक्षणिक अभिलेख की कॉपी नहीं है. ये फोल्डर डीपीओ कार्यालय में ही रखे गए हैं. संबंधित बीइओ को आवश्यक अभिलेख की कॉपी लगाकर दुबारा निगरानी को भेजने के लिए कहा गया है.
बयान:::
बढ़ी बेचैनी
निगरानी जांच के लिए अभिलेख जुटाने
में अधिकारियों का छूटा पसीना
हाइकोर्ट के आदेश पर दो साल से निगरानी कर रही नियोजन जांच
दोषियों को बचाने का खेल
फरजी शिक्षकों के साथ ही उनके नियोजन में दोषी अधिकारियों को बचाने का खेल चल रहा है. आशंका है कि इसी कारण इतनी बड़ी संख्या में शिक्षकों के अभिलेख गायब हो गये हैं. जब तब अभिलेख नहीं मिलेंगे, जांच प्रभावित होगी. करीब दो साल से निगरानी विभाग के अधिकारी फोल्डर जुटाने में ही लगे हुए हैं.
जांच के लिए फोल्डर जमा कराने में बीइओ की लापरवाही सामने आयी है. 31 मई तक सभी प्रखंडों से प्रतिवेदन मांगा गया था. दो दिनों में समीक्षा बैठक कर लापरवाही करने वाले बीइओ को चिह्नित कर कार्रवाई की जायेगी.
जियाउल होदा खां, डीपीओ स्थापना
अब बीइओ पर लटकी तलवार
समीक्षा के दौरान सभी बीइओ को मौका दिया गया था कि फोल्डर की स्थिति हर हाल में 31 मई तक शून्य कर दें. फोल्डर नहीं मिलने पर संबंधित नियोजन इकाई के खिलाफ कार्रवाई कर रिपोर्ट दें. किसी बीइओ ने गंभीरता नहीं दिखाई. अब जिला स्तरीय अधिकारी लापरवाही के मामले में बीइओ पर कार्रवाई करने की तैयारी में हैं.

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