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सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट रूल्स जुलाई से लागू

मुजफ्फरपुर: कचरा आज हम सभी के सामने एक बड़ी चुनौती बनकर सामने आया है, लेकिन इससे निबटना आसान है. बस हमें अपनी आदतों में बदलाव में लाने की जरूरत है. इसके बाद हम ठोस कचरा प्रबंधन कर सकते हैं. उक्त बातें सीएसइ के उप निदेशक चंद्र भूषण ने शुक्रवार को माड़ीपुर स्थित एक होटल के […]

मुजफ्फरपुर: कचरा आज हम सभी के सामने एक बड़ी चुनौती बनकर सामने आया है, लेकिन इससे निबटना आसान है. बस हमें अपनी आदतों में बदलाव में लाने की जरूरत है. इसके बाद हम ठोस कचरा प्रबंधन कर सकते हैं. उक्त बातें सीएसइ के उप निदेशक चंद्र भूषण ने शुक्रवार को माड़ीपुर स्थित एक होटल के सभागार में ठोस कचरा प्रबंधन पर आयोजित कार्यशाला में कहीं.
उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने ठोस कचरा प्रबंधन को लेकर सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट रूल्स बनाया है, जो एक माह बाद निगम बोर्ड से पास कर यहां लागू होगा. इसमें कॉमर्शियल सेंटर जहां से अधिक कचरा निकलता है, उनकी अलग से जिम्मेदारी तय की गयी है. इसमें वे खुद से अपने कचरे को सेग्रीगेट करेंगे. अगर यह सुविधा उनके पास नहीं है, तो वे गीला, सूखा व केमिकल कचरा अलग-अलग कर रखें, जिसे नगर निगम हटायेगा. लेकिन इसके लिए उन्हें कुछ शुल्क देना होगा, जो कचरे की मात्रा के मुताबिक 1500 से 2500 रुपये के बीच होगा. वहीं प्रत्येक हाउस होल्ड को इसके लिए 50 रुपये शुल्क देना होगा. सड़क पर कचरा फेंकने पर जुर्माना लगेगा.
सीएसइ की प्रोग्राम मैनेजर स्वाती सिंह सांब्याल ने प्रोजेक्टर के माध्यम से शहर के पांच वार्डों में चल रहे कचरा ट्रीटमेंट के बारेे में जानकारी दी. इसमें बताया कि एमआरडीए कार्यालय में गीले कचरे से खाद बनाने का पिट बन चुका है. यहां रोज तीन टन गीला कचरा को पिट में डाला जा रहा है. भविष्य में इन पिटों की संख्या बढ़ेगी. बैठक में आइटीसी के जीएम जीएन मूर्थी, सीएसइ के एसबी पंडित, सिटी मैनेजर रविशचंद्र वर्मा, वरीय टैक्स दारोगा अशोक कुमार सिंह सहित अन्य लोग मौजूद थे.
बेला में केमिकल कचरे का होता है डिस्पोजल. बेला फेज टू में नर्सिंग होम से निकलने वाले केमिकल व मेडिकल कचरे का डिस्पोजल होता है. कंपनी के प्रतिनिधि राजीव कुमार ने बताया कि सरकारी अस्पतालों के अलावा 106 नर्सिंग होम यहां कचरा भेजते हैं. शहर में करीब 277 छोटे-बड़े निजी नर्सिंग होम हैं. अगर एक जगह सभी कचरा मुहैया कराया जाये, तो हम उसे खरीद लेंगे.
नगर निगम काम नहीं करता. कार्यशाला में सिंधि सेवा समिति के सचिव अमित कुमार ने कहा कि नगर निगम इस काम में फिसड‍्डी है. कहते तो बहुत कुछ हैं, लेकिन कोई काम नहीं होता. समिति के सुजीत चौधरी ने बताया कि प्लान तो सही है, लेकिन इसके बारे में लोगों को जानकारी दी जाये. वहीं दीपक पोद्दार ने कहा कि यहां छोटे-छोटे काम के लिए निगम की खुशामद करनी होती है. साल में दो बार छिड़काव होता है, जो सप्ताह में दो-तीन दिन होना चाहिए. फॉगिंग नहीं होती. इस पर सिटी मैनेजर रविशचंद्र वर्मा ने कहा कि प्रत्येक 50 दुकान पर 100 केजी का डस्टबिन रखा जायेगा. इसके अलावा हर आधा किमी पर दो डस्टबिन रखे जायेंगे. एक सूखा व एक केमिकल कचरे के लिए. 300 रिक्शा खरीदने की तैयारी है. इन सभी के लिए प्रक्रिया चल रही है. वरीय टैक्स दारोगा अशोक सिंह ने कहा कि अबतक 25 हजार डस्टबिन बांटे जा चुके हैं. 50 हजार का टेंडर हो चुका है. सभी हाउस होल्ड को दो डस्टबिन दिये जायेंगे. जिस मकान में चार परिवार रहते हैं, वहां सभी परिवार को अलग-अलग यह सुविधा मिलेगी.
जुलाई तक शहर के 30 वार्डों में शुरू होगा काम
सीएसइ के चंद्र भूषण ने बताया कि जुलाई तक शहर के 30 वार्डों में कचरा प्रबंधन का काम शुरू हो जायेगा. अभी पांच वार्डों में यह काम चल रहा है, जहां लोगों का सपोर्ट पूरा मिला है. इसी तरह सहयोग मिलता रहा, तो साल के अंत तक पूरे शहर में ठोस कचरा प्रबंधन को हम पूरी तरह लागू कर पायेंगे. अभी हम तीन टन गीला कचरा रोज कंपोस्ट के लिए डाल रहे हैं. भविष्य में यह 70 से 80 टन होगा. नगर निगम जल्द ही 300 रिक्शा लाने जा रहा है ताकि तेजी से इस काम को किया जा सके. शहर के सभी कूड़ा डंपिंग प्वाइंट का जीआइएस पर मैपिंग किया जा चुका है. सब्जी व फूल मंडी के पास ही ट्रिटमेंट की सुविधा बनाने की योजना है. हर एक क्षेत्र में नया एक्शन प्लान बनेगा. अभी हमारी छह सदस्यीय टीम 40 वॉलंटियर के साथ काम कर रही है, एक माह बाद 150 वॉलंटियर इस काम में लगेंगे. साल के अंत तक कचरे की व्यवस्था सेटल हो जायेगी.

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