मुजफ्फरपुर : ग्रामीण विकास मंत्रालय ने मिशन जल संरक्षण के लिए फ्रेमवर्क तैयार कर लिया है. इसे मनरेगा के तहत लागू किया जायेगा. इसे 2017-18 में प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के फ्रेमवर्क में शामिल करने की योजना है. इसके लिए जनवरी के पहले सप्ताह में राष्ट्रीय स्तर की कार्यशाला का आयोजन किया जायेगा.
केंद्र के निर्देश पर राज्य ग्रामीण विकास विभाग के निदेशक सीपी खंडूजा ने डीएम व डीडीसी को पत्र भेज कर जिले में जल संरक्षण की उपलब्धियों से संबंधित पावर प्वाइंट प्रजेंटेशन तैयार कर भेजने को कहा है.
फिलहाल जल संरक्षण के उद्देश्य से मनरेगा के तहत पुराने पोखरों की उड़ाही व नये पोखरों की खुदाई करवायी जा रही है. 16 से 18 दिसंबर तक मनरेगा के श्रम बजट तैयार करने के लिए पंचायतों में ग्रामसभा का आयोजन कराया गया था. इसमें भी जल संरक्षण के लिए योजना तैयार करने का निर्देश जिला प्रशासन की ओर से दिया गया था.
सरकार का मानना है कि जल के अत्यधिक दोहन व जल संरक्षण की व्यवस्था नहीं होने के कारण कई क्षेत्रों में सिंचाई की उचित व्यवस्था नहीं हो पाती है. यदि आंकड़ों की बात करें तो सरकारी रिकॉर्ड के अनुसार, देश के 112 जिले सिंचाई सुविधा से सबसे ज्यादा वंचित हैं. इसकी एक बड़ी वजह जल का इन इलाकों में अत्यधिक दोहन होना भी है. देश के 1068 प्रखंडों को अत्यधिक दोहित व 217 प्रखंडों को गंभीर स्थिति वाले ब्लॉक की श्रेणी में डाला गया है.
कई राज्यों में जारी है पहल
पिछले कुछ वर्षों में कई राज्यों में जल संरक्षण के लिए सफल प्रयास हुए हैं, तो कुछ इस दिशा में काम कर रहे हैं. राजस्थान में मुख्यमंत्री
जल स्वावलंबन अभियान, झारखंड में डोभा या पोखरों का निर्माण, तेलंगाना में काकातिया मिशन, आंध्रप्रदेश में नीरू चेट्टू, मध्यप्रदेश में कपिल धारा, कर्नाटक में बोरवेल
पुनर्भरण, महाराष्ट्र में जलयुक्ति शिवर, कुछ ऐसी ही योजनाएं हैं. ग्रामीण विकास मंत्रालय की ओर से तैयार नये
फ्रेमवर्क में इसे शामिल किया गया है. अब ऐसी ही योजनाएं पूरे देश में लागू करने की है.
केंद्र सरकार ने शुरू की पहल, इसी माह राष्ट्रीय स्तर की कार्यशाला का होगा आयोजन
डीएम व डीडीसी को जल संरक्षण से संबंधित उपलब्धि का पीपीटी तैयार कर भेजने का निर्देश
मनरेगा के श्रम बजट में भी जल संरक्षण के लिए होगा प्रावधान