फिलहाल जो सवारी गाड़ियां चलती है. उसका परिचालन काफी अनियमित तरीके से होता है. ऐसे सवारी गाड़ी को मुजफ्फरपुर से पाटलीपुत्र स्टेशन के बीच 75 किलोमीटर की दूरी को 11 छोटे-बड़े स्टेशनों पर रूकते हुए करीब ढाइ घंटे में तय करना है, लेकिन यात्री ट्रेन में बैठते हैं, तो उन्हें पांच से छह घंटे मुजफ्फरपुर से पटना जाने में लग जाता है. रेलवे ने तीन फरवरी को जब ब्रिज चालू किया, तब समय के साथ लोगों के बस किराया में लगनेवाले पैसे में बचत की बात कही थी, लेकिन ट्रेन से यात्रा करने पर पैसा बचता है पर समय काफी बरबाद होता है.
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रेलवे लाइन से जुड़ा पटना ”दिल” में नहीं बना सका जगह
मुजफ्फरपुर: फरवरी 2016 में गंगा नदी में दीघा रेल ब्रिज के चालू होने से मुजफ्फरपुर, वैशाली समेत उत्तर बिहार के लोगों को राहत मिलने की उम्मीद जगी थी, लेकिन उम्मीदों पर पानी फिर गया़ रेल ब्रिज के चालू हुए दस माह बीत गये, लेकिन अब तक कोई भी एक्सप्रेस ट्रेनों को सीधे पटना से हाजीपुर-मुजफ्फरपुर […]
मुजफ्फरपुर: फरवरी 2016 में गंगा नदी में दीघा रेल ब्रिज के चालू होने से मुजफ्फरपुर, वैशाली समेत उत्तर बिहार के लोगों को राहत मिलने की उम्मीद जगी थी, लेकिन उम्मीदों पर पानी फिर गया़ रेल ब्रिज के चालू हुए दस माह बीत गये, लेकिन अब तक कोई भी एक्सप्रेस ट्रेनों को सीधे पटना से हाजीपुर-मुजफ्फरपुर के रास्ते चलाने की घोषणा नहीं हुई है. हां, तीन जोड़ी सवारी गाड़ी जरूर चलती है. वह भी काफी लेटलतीफी़ ट्रेन से सफर करना समय की बरबादी यदि आप मुजफ्फरपुर से पाटलीपुत्र जाने के लिए ट्रेन से जाना चाहेंगे, तो काफी समय लग जायेगा़.
पीएम ने 12 मार्च को समर्पित किया था पुल : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 12 मार्च 2016 को रेल पुल राष्ट्र को समर्पित किया. ऐसे दीघा रेल पुल से तीन फरवरी 2016 को पहली सवारी गाड़ी का परिचालन शुरू हुआ. अभी उत्तर बिहार के लिए छह सवारी गाड़ी का परिचालन हो रहा है. इसके अलावा राजधानी सहित कई मेल-एक्सप्रेस ट्रेनों का परिचालन हो रहा है. मोकामा में गंगा नदी पर राजेंद्र सेतु के बाद यह दूसरा रेल पुल चालू हुआ. इसके बाद मुंगेर में गंगा नदी पर रेल पुल पर परिचालन शुरू हुआ.
रो-रो सेवा भी हो बंद
महात्मा गांधी सेतु पर भारी वाहनों के परिचालन पर रोक लगने के बाद रेलवे ने रॉल-ऑन-रॉल ऑफ (रो-रो) सेवा की शुरुआत की. इससे बालू व गिट्टी लदे ट्रक को ट्रेन पर लाद दीघा ब्रिज से तुर्की स्टेशन पर लाने का सिलसिला शुरू हुआ. रेलवे की इस पहल के बाद बालू की बढ़ी रेट अचानक कम गयी, लेकिन कुछ दिनों में ही यह सेवा ठप हो गयी.
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