9.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

आठ वर्षों बाद महादलित योगेंद्र को मिला न्याय

मुजफ्फरपुर : औराई के धरहरवा अंबेदकर नगर निवासी योगेंद्र बैठा को आठ वर्षों बाद न्याय मिला है. योगेंद्र बैठा के दरवाजे पर पहुंच कर उसके पड़ोसियों ने ही उसे मार-पीट कर जख्मी कर दिया था. हाजीपुर स्थित अनुसूचित जाति जनजाति थाने में उसने प्राथमिकी दर्ज करायी थी. मामले की जांच की जिम्मेवारी औराई पुलिस को […]

मुजफ्फरपुर : औराई के धरहरवा अंबेदकर नगर निवासी योगेंद्र बैठा को आठ वर्षों बाद न्याय मिला है. योगेंद्र बैठा के दरवाजे पर पहुंच कर उसके पड़ोसियों ने ही उसे मार-पीट कर जख्मी कर दिया था. हाजीपुर स्थित अनुसूचित जाति जनजाति थाने में उसने प्राथमिकी दर्ज करायी थी. मामले की जांच की जिम्मेवारी औराई पुलिस को ही मिली थी. तत्कालीन डीएसपी ने कांड दर्ज होने के एक साल बाद मामले को असत्य करार दे दिया था. लेकिन अनुसंधानक को जांच जारी रखते हुए गवाहों का बयान केस डायरी में दर्ज करने का भी निर्देश दिया था.

अनुसंधानक बबन बैठा ने इस मामले में स्थानीय गवाहों का बयान लेकर केस डायरी में दर्ज कर दिया था. डायरी में दर्ज गवाहों के बयान पर वर्तमान पूर्वी डीएसपी मुत्तफिक अहमद ने मामले के चारों आरोपियों के विरुद्ध न्यायालय में आरोप पत्र गठित करते हुए उचित मुआवजे के लिए प्रस्ताव समर्पित करने का निर्देश दिया है.

वर्ष 2008 में दर्ज करायी थी प्राथमिकी : औराई के धरहरवा आंबेदकर टोला निवासी योगेन्द्र बैठा अपने ही पड़ोस के रामाशीष साह से वर्ष 2002 में एक जोड़ा बैल 17 हजार में खरीदा था. इसमें कुछ राशि बकाया था. कुछ ही दिनों बाद उसने बैल बेच दिया. लेकिन इसमें घाटा लगने के कारण उसने रामाशीष साह को बकाया रुपया निर्धारित समय पर नहीं लौटा सका. इसके लिए पंचायती हुई और उसे बकाया लौटाने का एक निश्चित समय दिया गया. लेकिन पंचायती में बकाया लौटाने के लिए दिये गये समय सीमा के पहले ही रामाशीष साह ने उसपर न्यायालय में धोखाधड़ी कर राशि हड़पने का मुकदमा दर्ज करा दिया. योगेन्द्र न्यायालय से जमानत ले लिया.
इसकी जानकारी होने के बाद 3 सितंबर 2008 की रात्रि 8 बजे रामाशीष साह,लक्ष्मी साह, नारायण साह, बिल्टु साह उसके दरवाजे पर पहुंच गये और उसके साथ मारपीट करने लगे. बचाने गयी उसकी पत्नी को भी मारपीट कर घायल कर दिया. इस मामले की लिखित शिकायत उसने हाजीपुर स्थित अनुसूचित जाति जनजाति थाने में कर दी. पुलिस इस मामले में प्राथमिकी संख्या-289/08 दर्ज कर मामले की जांच की जिम्मेवारी औराई थाना पुलिस को दे दी.
तत्कालीन डीएसपी ने केस को असत्य किया : मामले का पर्यवेक्षण तत्कालीन डीएसपी राजेश कुमार ने 21 अक्तूबर 2009 को किया. अपने पर्यवेक्षण में उन्होंने इस मामले को असत्य करार देते हुए सभी को बरी कर दिया था. लेकिन अनुसंधानक को इस मामले में जांच जारी रखते हुए गवाहों का बयान लेकर केस डायरी में दर्ज करने का निर्देश दिया था.
पूर्वी डीएसपी ने दिया कार्रवाई का निर्देश : डीएसपी राजेश के निर्देश के बाद तत्कालीन अनुसंधानक केस को दबाये रहें. इसी बीच औराई थाने में दारोगा बबन बैठा को थानाध्यख बनाया गया. योगेंद्र के केस के जांच की जिम्मेवारी उन्हें मिली. उन्होंने इस मामले के गवाह रामनंदन ठाकुर,किरण व रेखा देवी का बयान लिया. तीनों गवाहों ने योगेंद्र के साथ अन्याय होने की गवाही दी, जिसे उन्होंने अपनी केस डायरी में दर्ज कर दी. उक्त केस डायरी के आधार पर पूर्वी डीएसपी मुत्तफिक अहमद ने योगेंद्र बैठा के साथ मारपीट करनेवाले चारों आरोपियों पर न्यायालय में आरोप पत्र दाखिल करने व उसे उचित मुआवजा दिलाने के लिए अनुशंसा करने का निर्देश अनुसंधानक को दिया है.
औराइ के अांबेदकर नगर का मामला
डीएसपी मुत्तफिक अहमद ने केस डायरी के आधार पर की कार्रवाई
योगेन्द्र को प्रताड़ित करनेवाले चार आरोपियों पर जुर्माना व चार्जशीट का दिया निर्देश
वर्ष 2008 में दरवाजे पर पहुंच कर मारपीट करने की दर्ज करायी थी प्राथमिकी
तत्कालीन डीएसपी ने केस को असत्य बता किया था रफादफा

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें