मुजफ्फरपुर: प्रगतिशील सीनियर सिटीजन्स की ओर से प्रो डॉ राज नारायण राय के गन्नीपुर स्थित आवास पर शुक्रवार को राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर की जयंती मनायी गयी. अध्यक्षता संगठन के कार्यकारी अध्यक्ष पूर्व जिलाधिकारी विष्णुदेव प्रसाद सिंह ने की. श्री सिंह ने दिनकर की राष्ट्रीय चेतना और साहित्यिक प्रतिभाओं के बारे जानकारी दी.
डॉ भोज नंदन प्रसाद सिंह ने दिनकर की ऐतिहासिक चेतना का उल्लेख किया. ई राम स्वार्थ साह ने राष्ट्रकवि की साहित्यिक रचनाओं का उल्लेख किया. साहित्यकार विजेंद्र सिंह ने कवि की कविताओं में व्यक्त राष्ट्रीय चेतना का उल्लेख किया. अनामिका मिश्रा व अनुराधा राय ने दिनकर की कविता का पाठ किया. कमलेश राय ,शैलेंद्र मिश्र, रणवीर, रत्नेश्वर चौधरी, राम सकल सिंह, विमल पांडेय, प्रो कामेश्वर सिंह ने भी अपनी बातें रखीं. प्रगतिशील सीनियर सिटीजन्स के अध्यक्ष, रेडक्रॉस के सचिव उदय शंकर प्रसाद सिंह ने अपने विचार रखे. मंच संचालन प्रो राज नारायण राय और धन्यवाद ज्ञापन दिवाकर शाही ने किया.
विवि में कार्यक्रम : दिनकर को भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के सबसे बड़ा कवि होने का गौरव प्राप्त है. आम आदमी विशेष रूप से निम्न मध्यमवर्गीय व्यक्ति की तरह संघर्ष करते हुए उन्होंने हिंदी कविता को शिखर तक पहुंचाया. उक्त बातें हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ रेवती रमण ने बीआरए बिहार विवि के हिंदी विभाग में दिनकर जयंती पर कही. रवींद्र उपाध्याय, डॉ कुमकुम राय, पूनम सिन्हा ने भी अपने विचार रखे. अध्यक्षता रेवती रमण ने की. संयोजक की भूमिका में पूनम सिन्हा का विशेष योगदान रहा. कार्यक्रम संचालन कर छात्रा समीक्षा सुरभि ने दिनकर की कविताओं का जिक्र किया.
काव्य गोष्ठी : एलएस कॉलेज के बैचलर ऑफ मास कम्यूनिकेशन विभाग में काव्य गोष्ठी हुई. कार्यक्रम का आरंभ समन्वयक डॉ वीरेंद्र कुमार सिंह व बीएस झा ने संयुक्त रूप से उनकी प्रतिमा पर दीप प्रज्वलित कर किया.
हिंदी साहित्य सम्मेलन : जिला हिंदी साहित्य सम्मेलन की ओर से मिठनपुरा स्थित सुधांजलि के सभागार में गोष्ठी हुई. वक्ताओं ने कहा कि दिनकर शौर्य व पराक्रम के साथ ही प्रेम व भावना के भी कवि थे. उनसे नयी पीढ़ी बहुत कुछ सीख सकती है. मुख्य वक्ता डॉ संजय पंकज ने कहा कि दिनकर राष्ट्रीय चेतना व सांस्कृतिक बोध के बड़े कवि थे.
मनुष्य और मूल्य के समग्र संदर्भ में वे सोचते व लिखते रहे. कई कालजयी कृतियों के श्रेष्ठ रचनाकार दिनकर अपनी सृजनशीलता के कारण हिमालय की तरह साहित्य के इतिहास में अचल है. वे दर्शन, ज्ञान व चिंतन की भूमि भी गढ़ते रहे. भाव व भाषा दोनों स्तरों पर उनकी पकड़ थी. अध्यक्षता करते हुए डॉ शिवदास पांडेय ने अपने छात्र जीवन में याद की गयी कविता का पाठ सुनाया. मौके पर उपाध्यक्ष अमरनाथ मेहरोत्रा, नागेंद्र नाथ ओझा, कृष्णमोहन कुमार, रणवीर अभिमन्यु ने भी दिनकर की रचनाओं पर विचार रखा. संचालन गणेश प्रसाद सिंह ने किया.
दिनकर के साहित्य पर समाज की गहरी छाप
डॉ श्यामजी सुमांती मिश्र पुस्तकालय- पताहीरूप में दिनकर जयंती पर सेमिनार व कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया. मुख्य अतिथि शिक्षाशास्त्री डॉ श्याम जी मिश्र ने दीनकर के चित्र पर माल्यार्पण व दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया. डॉ मिश्र ने कहा कि राष्ट्रकवि दिनकर को साहित्य समाज से अलग करके नहीं देखा जा सकता. उनके साहित्य पर समाज की गहरी छाप है. दिनकर ने वैसा साहित्य समाज को दिया, जहां से मुक्ति का द्वार खुलता है. अध्यक्षता करते हुए कवि रमेश कुमार मिश्र प्रेमी ने कहा कि दिनकर राष्ट्रीय चेतना के ओजस्वी कवि थे. देश की आजादी के लिए युवाओं की शक्ति को अपने काव्योद्गार से जगाये थे. कवयित्री शुभ्रा सौम्या ने कहा कि देश के विकास एवं सुरक्षा के लिए राष्ट्रकवि दिनकर की कविताओं को जीवंत रखना जरूरी है. शिक्षक मनोज कुमार मिश्र ने साहित्यिक, दार्शनिक व मानवीय मूल्यों पर प्रकाश डाला.
मीडिया प्रभारी राकेश कुमार मिश्र ने बिहार सरकार से बीआरए बिहार विवि के हिंदी विभाग में दिनकर की प्रतिमा लगाने की मांग की. दूसरे सत्र कवि सम्मेलन की अध्यक्षता शुभ्रा सौम्या ने की. मौके पर सीमा कुमारी, टिंकू कुमारी, भवानी, सौम्या सृष्टि, बंटी बाबू, अनंत वैभव, पुटू बाबू, अंबिका राजलक्ष्मी, पुष्पकर आनंद, लड्डू बाबू, वीणा कुमारी, सुमांती मिश्र, मेजर श्रीराम जी मिश्र, अशोक शाही, रूपकांति शाही, विजय शाही, हेमंत कुमार मिश्र, सुनीति शर्मा, जयनारायण शर्मा आदि थे.