मुजफ्फरपुर: कमरा मोहल्ला स्थित मो तकी खां वक्फ स्टेट की चार बीघा जमीन भूमाफियाओं ने बेच दी. वर्ष 1961 के नक्शे में वक्फ की सात बीघा 10 कट्ठा 12 धुर जमीन दर्शायी गयी है. जबकि, 1981 के नक्शे में तीन बीघा 12 कट्ठा जमीन का ही जिक्र है. इस बीस वर्ष के दौरान करीब 25 करोड़ मूल्य का की चार बीघा जमीन भूमाफियाओं ने अपने हिस्से कर लिया. वक्फ की यह जमीन किस प्लाट की थी, इसका पता लगाने में प्रशासन के पसीने छूट रहे हैं.
जमीन के मिलान के लिए एडीएम धनंजय ठाकुर के नेतृत्व में मुशहरी सीओ नृपेंद्र भूषण, सरकारी व वक्फ के अमीन शनिवार को कमरा मोहल्ला पहुंचे. दिन भर मशक्कत के बाद बी नक्शा के हिसाब से जमीन का मिलान पूरा नहीं हो सका. पटना से मंगाये गये पुराने व नये नक्शे के अनुसार, खेसरा नंबर व तौजी का मिलान करने में अधिकारियों को काफी मशक्कत करनी पड़ी. जांच में कई कट्ठे जमीन का खाता खेसरा पुराने से अलग था.
1961 में पूर्व मोतवल्ली असगर हुसैन ने सर्वे करा कर वक्फ की सात बीघा दस कट्ठा 12 धुर जमीन घोषित की थी. लेकिन नये सर्वे में चार बीघा जमीन कम होने पर वक्फ के इमाम सैयद काजिम शबीब ने जिला प्रशासन से जमीन की मापी की मांग की थी. हालांकि, प्रशासन ने नये नक्शे के हिसाब से मापी कर रिपोर्ट इमाम को सौंप दी थी. लेकिन इमाम व मोहल्ले के लोगों का कहना था कि उन्हें पुराने नक्शे के हिसाब से जमीन चाहिए. जब सरकार के खाते में सात बीघा दस कट्ठा 12 धुर जमीन है तो नये नक्शे में चार बीघा जमीन कम क्यों दिखाया जा रहा है. उनकी मांग पर डीएम ने एक बार फिर जमीन की मापी का निर्देश दिया था.
नक्शा मिलान के मौके पर जम रहे लोग : नक्शा मिलान के मौके पर कमरा मोहल्ला के करीब एक सौ लोग बाहर जमे रहे. अलग-अलग समूह में लोग हर क्षण यह जानकारी ले रहे थे कि चार बीघा जमीन की पहचान हुई या नहीं. देर शाम तक नक्शे के अनुसार, कई कट्ठा जमीन की पहचान कर ली गयी. हालांकि किसके नाम से सर्वे कराया गया है. इस बाबत कुछ नहीं बताया गया. लोगों का कहना था कि जांच में जो बात सामने आ रही है, उसे जिला प्रशासन लिख कर दे.
जमीन बेचने व खरीदने वाले का नाम भी बताया जाये. इमाम मो शबीब ने कहा कि जांच पूरी होने के बाद वे जमीन बेचने वालों का नाम मोहल्ले के सामने रखेंगे.
कोर्ट जायेंगे इमाम : इमाम मो शबीब ने कहा कि जिला प्रशासन की जांच रिपोर्ट के आधार पर वे कोर्ट जायेंगे. रविवार की सुबह तक उन्हें रिपोर्ट मिल जायेगी. सोमवार को मामला दर्ज किया जायेगा. उन्होंने कहा कि वक्फ बोर्ड ने आबिद असगर को मोतवल्ली नियुक्त कर रखा है. जमीन बचाने की जवाबदेही उनकी थी. चार बीघा जमीन के बारे में जवाब उन्हें देना पड़ेगा. यदि जनता ने जमीन ली है तो वे उसका नाम बतायें. वक्फ की जमीन किसी की निजी संपत्ति नहीं है. इसे बचाने के लिए हम कोर्ट की शरण लेंगे.