विशिष्ट अतिथि अवध विवि प्राचार्य मैथिलि विभाग गिरिजा किशोर झा ने कहा कि मैथिली का विकास कम है. इसके लिए उन्होंने विद्वानों से आग्रह किया कि वे मैथिली पर अधिक से अधिक रचनाएं लिखे. साथ ही शोध करने वाले छात्रों से कहा कि वे केवल डिग्री ने ले, बल्कि उस पर शोध कर किताबें लिखे. बांग्ला साहित्य की तुलना करते हुए कहा कि जितनी रचनाएं बांग्ला में है, उतनी रचनाएं मैथिली में नहीं है. कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कॉलेज के प्रचार्य डॉ आेम प्रकाश सिंह ने कहा कि सेमिनार में जब तक कुछ निकल कर न आएं, तब तक सेमिनार को कोई महत्व नहीं है. सेमिनार में बौद्धिक चर्चा की जरूरत है.
सेमिनार में डेलीगेट की भूमिका सबसे महत्वपूर्ण है. कार्यक्रम को डॉ अमरनाथ झा ने भी संबोधित किया. धन्यवाद ज्ञापन के दौरान विवि के मैथिली विभाग के अध्यक्ष डॉ राजन कुमार सिंह ने कहा कि मिथिला के विकास में ललित जी का योगदान अतुलनीय है. बताया कि विवि में मैथिली विभाग में 12 पद रिक्त है, इनमें विवि को केवल दो प्रतिभागी ही मिल सका. इसलिए मैथिली पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है. कार्यक्रम में एलएस कॉलेज के प्राचार्य डॉ उपेंद्र कुंवर, एमडीडीएम की प्राचार्या डॉ ममता रानी, डॉ संजय, एमएसकेबी की प्राचर्या डॉ निर्मला सिंह, राम प्रताप नीरज आदि मौजूद रहे.