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विवि में डेढ़ साल में सौ से अधिक फरजी डिग्री

मुजफ्फरपुर: बीआरए बिहार विवि में फर्जी डिग्री के मामले विवि के साख पर सवाल खड़े कर रहे हैं. पिछले डेढ़ सालों के अंदर सौ से अधिक फर्जी डिग्री के मामले इस बात की तस्दीक कर रहे हैं कि कहीं न कहीं विवि में फर्जी डिग्री का रैकेट करने वाला गिरोह सक्रिय है. अबतक जितनी भी […]

मुजफ्फरपुर: बीआरए बिहार विवि में फर्जी डिग्री के मामले विवि के साख पर सवाल खड़े कर रहे हैं. पिछले डेढ़ सालों के अंदर सौ से अधिक फर्जी डिग्री के मामले इस बात की तस्दीक कर रहे हैं कि कहीं न कहीं विवि में फर्जी डिग्री का रैकेट करने वाला गिरोह सक्रिय है. अबतक जितनी भी डिग्री फर्जी मिली है, वह विवि के डिग्री से पूरी तरह से मैच करती है. पिछले एक पखवारे के अंदर जिस तरह चार फर्जी डिग्रियां मिली हैं, उसमें इस बात का खुलासा हुआ है. कंट्रोलर डॉ पकंज कुमार ने बताया कि करीब डेढ़‍ साल के अंदर सौ से अधिक फर्जी डिग्री की जांच हुई है.
डिग्री के फार्मेट हूबहू
विवि खुद इस बात को स्वीकार कर रहा है कि फर्जी डिग्री के फार्मेट विवि के असली डिग्री के फार्मेट से पूरी तरह से मैच कर रहे हैं. साथ ही जो कागज विवि डिग्री में इस्तेमाल कर रहा है वह कागजात भी हूबहू हैं. ऐसे में इन कागजों और फार्मेटों को विवि से फर्जी डिग्री का धंधा करने वालों को कौन पहुंचा रहा है. यह अपने आप में एक बड़ा सवाल है? विवि के पदाधिकारी इस बात को स्वीकार भी कर रहे हैं कि लगातार फर्जी डिग्री के मामले आ रहे हैं. विवि सूत्रों की मानें तो विवि के कुछ तथाकथित लोग इस रैकेट से जुड़े हैं, जो पैसों के एवज में आसानी से डिग्री देने का धंधा करते हैं. दिल्ली में पकड़ी गयी फर्जी डिग्री में इस बात का खुलासा हुआ है. इसके बाद भी विवि की तरफ से अब तक इस दिशा में कोई कार्रवाई न करना भी विवि पर भी कई सवाल खड़े कर रहे हैं.
बिहार में नहीं उपयोग हो रही फर्जी डिग्री : फर्जी डिग्री के बल पर नौकरी पाने वाले लोग बीआरए बिहार विवि की फर्जी का उपयोग बिहार में नहीं कर रहे हैं. अब तक जितनी भी फर्जी डिग्री पायी गयी है, वह पंजाब, झारखंड, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, नेपाल, हरियाणा में नौकरी करने वालों के हैं. सबसे ज्यादा मामले डेढ़ सालों में पंजाब से आये हैं.

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