बीपीएल परिवार के बच्चों की शिक्षा में खेल – 25 फीसदी के कोटे में प्राइवेट स्कूल कर रहे मनमानी- आरटीइ के तहत पास के बच्चों का लेना है एडमिशन- सरकार स्कूलों को देती हैं बच्चों की फीस व अन्य खर्च संवाददाता 4 मुजफ्फरपुर शिक्षा के अधिकार अधिनियम के तहत बीपीएल परिवार के बच्चों का प्राइवेट स्कूलों में चयन स्कूल संचालकों की मनमानी के भेंट चढ़ रहा है. सरकारी रिकॉर्ड में तो लगभग सभी स्कूल कोटे के तहत बच्चों का चयन कर लेते हैं, लेकिन हकीकत में इस योजना से लाभान्वित होने वाले बच्चों की संख्या काफी कम है. हर साल हो-हल्ला मचता है, प्रशासन पर निगरानी के लिये दबाव बनाया जाता है. लेकिन आखिर में मामला बेनतीजा ही दबा दिया जाता है. प्राइवेट स्कूलों में आरटीइ के तहत आसपास के रहने वाले बीपीएल परिवारों के 25 फीसदी बच्चों का एडमिशन लेना अनिवार्य है. बच्चों की शिक्षा के प्रति गंभीरता दिखाते हुये सरकार इस पर हर साल करोड़ों रुपये खर्च भी कर रही है. स्कूल संचालक कोटे के तहत नामांकित बच्चों की रिपोर्ट शिक्षा विभाग को देेते हैं, जहां से उन्हें बच्चों की फीस व अन्य खर्च का भुगतान किया जाता है. दूसरी ओर कई स्कूल संचालक बीपीएल के लिए निर्धारित कोटे में सामान्य बच्चों का नामांकन कर लेते हैं. ऐसे में वे बच्चों से भी फीस वसूल लेते हैं और सरकार से भी ले लेते हैं. कई बड़े स्कूलों के आसपास रहने वाले गरीब परिवार के लोगों को तो पता भी नहीं चलता कि कब एडमिशन शुरू होगा या कब खत्म होगा. पिछले साल 4422 बच्चों का एडमिशन शिक्षा विभाग के रिकॉर्ड के मुताबिक पिछले साल विभिन्न प्राइवेट स्कूलों में 4422 बच्चों का एडमिशन हुआ था. सीबीएसइ द्वारा मान्यता प्राप्त 21 स्कूलों में 1300 बच्चों का नामांकन दिखाया गया है. वहीं बिहार सरकार से मान्यता प्राप्त 117 प्राइवेट स्कूलों ने भी नामांकित बच्चों की संख्या के 25 फीसदी के आधार पर 2122 बच्चों का एडमिशन लेने का दावा किया है. हालांकि इसके कितने बच्चे बीपीएल परिवार है, इसको लेकर हमेशा सवाल उठते रहे हैं. कुछ स्कूलों ने लॉटरी से किया चयन शिक्षा सत्र 2016-17 में शिक्षा का अधिकार अधिनियम के तहत बीपीएल परिवार के बच्चों का पास के प्राइवेट स्कूल में कोटे के आधार पर एडमिशन कराने को लेकर प्रशासनिक स्तर पर कवायद चल रही है. हालांकि कुछ स्कूलों ने बच्चों का आवेदन लेकर लॉटरी सिस्टम के आधार पर कुल नामांकन के 25 फीसदी सीटों पर चयन किया है. वहीं अधिकतर स्कूलों की प्रक्रिया पारदर्शी नहीं है. गुपचुप तरीके से एडमिशन लेने के बाद वे सीधे शिक्षा विभाग को अपनी रिपोर्ट दे देते हैं. दब जाती है गरीबों की लड़ाई प्राइवेट स्कूलों में बीपीएल परिवार के बच्चों के एडमिशन को लेकर कई बार आवाज तो उठती है लेकिन अन्य मांगों के बीच वह दब जाती है. प्राइवेट स्कूलों की मनमानी, फीस वृद्धि, बिना सूचना सेलेबस चेंज होने सहित अन्य कई समस्याओं को लेकर लगभग हर साल आंदोलन छिड़ता है. समाज के कुछ अगुवा टोली बनाकर धरना-प्रदर्शन व आंदोलन चलाते हैं, लेकिन कुछ दिनों बाद उनकी आवाज भी धीमी हो जाती है. समस्याएं आज भी जस की तस है, या यूं कहें तो लगातार बढ़ रही है, लेकिन प्रशासन व शिक्षा विभाग के जिम्मेदार चुप्पी साधे बैठे हैं.
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बीपीएल परिवार के बच्चों की शक्षिा में खेल
बीपीएल परिवार के बच्चों की शिक्षा में खेल – 25 फीसदी के कोटे में प्राइवेट स्कूल कर रहे मनमानी- आरटीइ के तहत पास के बच्चों का लेना है एडमिशन- सरकार स्कूलों को देती हैं बच्चों की फीस व अन्य खर्च संवाददाता 4 मुजफ्फरपुर शिक्षा के अधिकार अधिनियम के तहत बीपीएल परिवार के बच्चों का प्राइवेट […]
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