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कर्मचारी आते ग्यारह बजे , साहब बारह बजे

मुजफ्फरपुर: सरकार की नाक तले संयुक्त भवन के दफ्तरों में न कोई नियम है न कायदा. अधिकारी 12 बजे तक भी ऑफिस नहीं पहुंच पाते हैं. एकाध आ भी जाते हैं तो वे गप्प मारने में मशगूल हो जाते हैं. काम से आया आदमी इधर से उधर भटकता रहता है, उसे सही जवाब तक नहीं […]

मुजफ्फरपुर: सरकार की नाक तले संयुक्त भवन के दफ्तरों में न कोई नियम है न कायदा. अधिकारी 12 बजे तक भी ऑफिस नहीं पहुंच पाते हैं. एकाध आ भी जाते हैं तो वे गप्प मारने में मशगूल हो जाते हैं. काम से आया आदमी इधर से उधर भटकता रहता है, उसे सही जवाब तक नहीं दिया जाता.

यह स्थिति किसी एक दफ्तर का नहीं है, बल्कि 90 फीसदी कर्मचारी इस कार्य संस्कृति के आदी बन चुके हैं. बावजूद इसके कि भवन से चंद कदम की दूरी पर प्रमंडलीय आयुक्त व जिला पदाधिकारी का कार्यालय है. ये दोनों अधिकारी भवन के कार्यालयों का कभी निरीक्षण तक नहीं करते. प्रभात पड़ताल की कड़ी में चौथे दिन शुक्रवार को प्रभात खबर की टीम ने संयुक्त भवन के प्रथम तल के सरकारी कार्यालयों की स्थिति की पड़ताल की.

10 बजे नहीं खुलता कोई दफ्तर
छठे वेतन आयोग के नियमों के मुताबिक, सभी कार्यालय सुबह 10 बजे खुल जाने चाहिए. मगर निचले तल से लेकर दूसरे तल तक के एक भी दफ्तर 10 बजे नहीं खुला था. पूछने पर पता चला कि इस समय तो कभी कोई दफ्तर खुलता ही नहीं है. आधा घंटे बाद साढ़े दस बजे से चहल-पहल शुरू हुई. 10:35 बजे ग्रामीण कार्य विभाग का एक चतुर्थ वर्गीय कर्मचारी आया व बाबुओं के बैठने वाला कमरा खोल दिया. एक और कर्मी के आने के बाद दोनों गप्प में जुट गये. आगे बढ़ने पर पीएचइडी अंचल का दफ्तर खुला था. सहकारिता विभाग का दफ्तर भी इसी समय खुला. मगर दो-तीन कर्मचारी अलाव जला कर बरामदे में बैठ गए.

समय पर आया कीजिए
सुबह 11:10 बजे एक कर्मचारी ई असीम कुमार का चैंबर खोल रहा था. यह देख एक कर्मी ने नसीहत दी कि समय पर दफ्तर खोलिए. फोटो खींचा चुका है. इस पर कर्मचारी ने बिना किसी प्रतिक्रिया के चैंबर खोल प्रवेश किए और कुछ कागज लेकर पुन: ताला जड़ निकल गए. ई. रामकुमार पोद्दार, पीएचईडी के अधीक्षण अभियंता विजय प्रकाश, को-ऑपरेटिव के संयुक्त निबंधक अशोक कुमार रजक व एनएच सब डिविजन सीतामढ़ी के सहायक अभियंता का दफ्तर 12 बजे तक बंद था. जिला सहकारिता पदाधिकारी और ग्रामीण कार्य विभाग के कार्यपालक अभियंता विजयशील कश्यप के चैंबर 11:30 बजे खुले.

कहते हैं लोग
इस भवन से जुड़े ठेकेदार बच्च प्रसाद ठाकुर, आरटीआइ कार्यकर्ता हेमंत कुमार, ठेकेदार डीके सिंह आदि ने बताया कि किसी न किसी दफ्तर में वे प्राय: आया करते हैं. यहां का यही चलन है. 12 बजे तक अधिकारी नहीं मिलेंगे. तीन बजने के बाद सभी घर जाने की तैयारी में रहते हैं. 12 बजे तक दफ्तर नहीं पहुंचने वाले कई अधिकारियों से उनके मोबाइल पर संपर्क किया गया, मगर उनसे बातें नहीं हो पाई.

कहते हैं अधिकारी
कार्यालय तो समय से जरुर खुलना चाहिए. लेट क्यों खुला, इसकी छानबीन की जाएगी. वैसे शुक्रवार को ग्रामीण कार्य विभाग पटना की मीटिंग

में थे. प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना को लेकर प्रधान सचिव ने बैठक आहूत की थी. ई. विजयशील कश्यप, कार्यपालक अभियंता, ग्रामीण कार्य विभाग

सुबह सवा ग्यारह बजे दफ्तर आकर एमडी साहब के साथ सकरा चले गए थे. वहां पैक्स अध्यक्षों के साथ बैठक थी. जिस वक्त ऑफिस आए, उस वक्त सभी कर्मचारी कार्य कर रहे थे.

वीरेंद्र ठाकुर

जिला सहकारिता पदाधिकारी

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