शहर के आमगोला में आमगोला नाका, बनारस बैंक चौक पर चंदवारा नाका, अखाड़ाघाट पुल के पास अखाड़ाघाट नाका, कलगबाग चौक पर कलमबाग नाका, डीआइजी आवास के पास चक्कर चौक नाका, झपहां में झपहां पुलिस नाका, चतुर्भुज स्थान रोड में कन्हौली नाका, मिठनपुरा पानी टंकी चौक के पास मिठनपुरा नाका, बैरया बस स्टैंड में बैरिया नाका, लक्ष्मी चौक पर ब्रह्मपुरा नाका व सरैयागंज टावर के बगल में सरैयागंज नाका खोला गया था. लेकिन पुलिस अधिकारियों की कमी के कारण धीरे-धीरे नाकों का अस्तित्व समाप्त हो गया.
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बंद हैं पुलिस नाके, कैसे होगी सुरक्षा
मुजफ्फरपुर : पुलिस पदाधिकारियों व कर्मचारियों की कमी के कारण शहर के कई महत्वपूर्ण नाके बंद पड़े हैं. शहरी क्षेत्र में पूर्व में संचालित पुलिस नाका बंद होने से भी सुरक्षा व्यवस्था पर असर पर रहा है. अभी 12 में से सिर्फ चार या पांच नाके ही अस्तित्व में है. अपराधिक घटनाओं के बाद आक्रोशित […]
मुजफ्फरपुर : पुलिस पदाधिकारियों व कर्मचारियों की कमी के कारण शहर के कई महत्वपूर्ण नाके बंद पड़े हैं. शहरी क्षेत्र में पूर्व में संचालित पुलिस नाका बंद होने से भी सुरक्षा व्यवस्था पर असर पर रहा है. अभी 12 में से सिर्फ चार या पांच नाके ही अस्तित्व में है. अपराधिक घटनाओं के बाद आक्रोशित लोग बार-बार बंद पड़े नाके को पुन: खोलने की मांग करते रहे हैं.
वर्तमान में सिर्फ पांच नाके संचालित
शहर के बारह में से मात्र पांच नाके ही संचालित हैं. शहर के कन्हौली, सरैयागंज, पुरानी बाजार, आमगोला व चक्कर चौक नाका ही संचालित है. पानी टंकी चौक नाका के बंद होने के कारण पानी टंकी चौक से लेकर कल्ब रोड के लोग असुरक्षित हैं. इस रोड में एमडीडीएम कॉलेज, महत्वपूर्ण बैंक व एलआइसी कार्यालय, कोचिंग सेंटर व छात्रा छात्रावास हैं. इस रोड में आये दिन महिलाओं से छिनतई, छेड़खानी व सड़क लूट की घटनाएं घटित होती रहती हैं. बैरिया नाका के बंद होने से बैरिया गोलंबर, बैरिया बस स्टैंड व दादर पुल पर आये दिन लूट व अपराधिक घटनाएं होती रहती हैं. इसी तरह शहर के अन्य पुलिस नाके के बंद होने से लोग अपने-आपको असुरक्षित मान रहे हैं.
अपराधिक घटनाओं के बाद लोग घटनास्थल पर पहुंचे वरीय पुलिस अधिकारियों से बंद पड़े नाका को खोलने की लगातार मांग कर रहे हैं.
अपराधियों की गिरफ्तारी में परेशानी
नाका पर एक अवर निरीक्षक या सहायक अवर निरीक्षक के साथ दो हवलदार व पांच पुलिस बल तैनात किये जाते थे. नाके की पुलिस क्षेत्र व चौक-चौराहों पर पैदल गश्ती करती थी. इस कारण स्थानीय लोगों काफी लगाव रहता था. नाका क्षेत्र मेें अपराधिक घटनाएं होने पर अपराधियों के सत्यापन में स्थानीय लोग सहयोग करते थे. इससे घटना में शामिल अपराधियों की गिरफ्तारी भी सुनिश्चित हो जाती थी. लेकिन पुलिस नाका के बंद होने के बाद इस कार्य में काफी कठिनाई हो रही है.
कई अपराधिक घटनाओं में शामिल अपराधियों की तस्वीर सीसीटीवी कैमरे में कैद है. अपराधियों का फोटो आ जाने के बाद भी सत्यापन नहीं होने के कारण उनकी गिरफ्तारी नहीं हो पा रही है.
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