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बिना रिकॉर्ड खेतों में खप गये 57 हजार क्विंटल गेहूं बीज

बिना रिकॉर्ड खेतों में खप गये 57 हजार क्विंटल गेहूं बीज कृषि विभाग के पास प्राइवेट बीज कंपनियों का रिकॉर्ड नहीं अनुदानित बीज का हिसाब रखकर गणित में उलझ रहा विभाग जांच का सैंपल भी नहीं लिया, मेहरबानी खड़ा कर रहा कई सवाल विभाग का दावा, राज्य सरकार से लाइसेंस लेकर होता कारोबार वरीय संवाददाता, […]

बिना रिकॉर्ड खेतों में खप गये 57 हजार क्विंटल गेहूं बीज कृषि विभाग के पास प्राइवेट बीज कंपनियों का रिकॉर्ड नहीं अनुदानित बीज का हिसाब रखकर गणित में उलझ रहा विभाग जांच का सैंपल भी नहीं लिया, मेहरबानी खड़ा कर रहा कई सवाल विभाग का दावा, राज्य सरकार से लाइसेंस लेकर होता कारोबार वरीय संवाददाता, मुजफ्फरपुरकृषि विभाग के पास केवल 38 हजार क्विंटल बीज का ही रिकॉर्ड है. यह बीज किसानों को अनुदानित दर पर उपलब्ध कराने के लिए करार के तहत कंपनियों ने दिया था. लेकिन जिले में 95 हजार हेक्टेयर में गेहूं की खेती होती है. इसके लिए 95 हजार क्विंटल बीज की जरूरत है. 57 हजार क्विंटल बीज प्राइवेट कंपनियों ने उपलब्ध कराये. जिसका लेखा-जोखा कृषि विभाग के पास नहीं है. यानी बिना 57 हजार क्विंटल गेहूं बीज बिना रिकॉर्ड ही खेतों में खप गये. प्राइवेट कंपनियों ने गेहूं के कितने बीज किस वितरक को उपलब्ध कराये. यह रिकॉर्ड भी विभाग के पास नहीं है. कृषि विभाग के पास केवल टीडीसी, बीआरबीएन, हिंदुस्तान इंसेक्टीसाइड, यूपी सीड्स का हिसाब है. लेकिन, बाजार में और किन कंपनियों का बीज बिक रहा है. इसका लेखा-जोखा लेने की परेशानी अधिकारियों ने नहीं उठायी. निजी कंपनी के बीजों को संभवत: जांच नमूना भी नहीं लिया गया है. जब सरकारी बीज आपूर्तिकर्ताओं की हालत इस वर्ष बीज के गुणवत्ता में पतली हो रही है तब ऐसे वक्त में इन प्राइवेट कंपनियों के बीज का सैंपल नहीं लेना, इसका रिकॉर्ड नहीं रखकर मेहरबानी दिखाना, कई सवाल खड़ा कर रहा है. हालांकि जिला कृषि पदाधिकारी सुधीर कुमार ने दावा किया है कि प्राइवेट कंपनी के बारे में किसानों से कोई शिकायत नहीं मिली है. अगर गुणवत्ता के बारे में किसान साक्ष्य के साथ आवेदन देते हैं तो कार्रवाई की जायेगी. फिलहाल किन-किन कंपनियों का बीज जिले में आया, प्रभेद कौन है, मात्रा कितनी है. किस दुकानदारों को कितना बीज बेचने के लिए वितरक ने उपलब्ध कराया है, इसकी जानकारी नहीं है. राज्य सरकार निजी बीज कंपनियों को बीज कारोबार का लाइसेंस देती है. यहां से इसका लेना-देना नहीं है.

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