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नानी के घर देखे सपनों के अब साकार होने का वक्त

नानी के घर देखे सपनों के अब साकार होने का वक्त -आदर्श ने दुकानदार की पेंटिंग देख कला के क्षेत्र में जाने की ठानी -सरकार व ललित कला अकादमी से मिले सम्मान से बढ़ा उत्साह फोटो::: संवाददाता, मुजफ्फरपुर बचपन में जब नानी के घर जाता था, तो बगल में ही एक पेंटर की दुकान थी. […]

नानी के घर देखे सपनों के अब साकार होने का वक्त -आदर्श ने दुकानदार की पेंटिंग देख कला के क्षेत्र में जाने की ठानी -सरकार व ललित कला अकादमी से मिले सम्मान से बढ़ा उत्साह फोटो::: संवाददाता, मुजफ्फरपुर बचपन में जब नानी के घर जाता था, तो बगल में ही एक पेंटर की दुकान थी. कैनवास पर उसकी उंगलियों का सहारा लेकर थिरकते रंग-बिरंगे ब्रशों ने मानों कोई जादू कर दिया. घंटों वहां बैठकर निहारता रहता था. ननिहाल में जो सपने आंखों ने सजाए थे, अब उनके पूरा होने का वक्त करीब आ गया है. अपनी शानदार पेंटिंग के लिए सरकार के कला, संस्कृति एवं युवा विभाग तथा ललित कला अकादमी की ओर से पटना में पुरस्कृत आदर्श विक्रम काफी उत्साहित है. बताया कि प्रथम राज्य स्तरीय कला प्रदर्शनी में चित्रकला के अलग-अलग विधाओं का प्रदर्शन किया जा रहा है. इसमें उनकी ‘द आर्ट कैंप’ पेंटिंग लगी है, जिसके लिए पुरस्कृत 10 कलाकारों में उनका भी नाम शामिल था. बताया कि कला-संस्कृति मंत्री 25 हजार रुपये का चेक, अंगवस्त्रम, स्मृति चिन्ह व प्रमाण पत्र प्रदान किया. बताया कि प्रदर्शनी के लिए 192 लोगों की इंट्री आई थी, लेकिन 92 का ही चयन किया गया है. आर्टिस्ट ए रामाचंद्रन के वर्क पर रिसर्च शहर ब्राह्मण टोली निवासी अधिवक्ता अंजनी कुमार पाठक के तीन पुत्रों में दूसरे नंबर के आदर्श महाराजा मान सिंह तोमर कला एवं संगीत महाविद्यालय-ग्वालियर से मशहूर आर्टिस्ट ए रामाचंद्रन के वर्क पर रिसर्च कर रहे हैं. मुजफ्फरपुर वाणिज्य महाविद्यालय से प्लस टू करने के बाद आदर्श ने फाइन आर्ट से स्नातक करने का मन बनाया. घरवाले तो राजी हो गए, लेकिन बिहार में कोई विकल्प नहीं था. वाराणसी व दिल्ली जामिया मिलिया में प्रयास किया और जामिया मिलिया में दाखिला मिल गया. 2007 में बीएफए व 2010 में एमएफए का कोर्स पूरा करने के बाद रिसर्च कर रहे हैं. शौक के चलते स्कूल से आता था कंप्लेन आदर्श का शौक पढ़ाई के दिनों में घरवालों के लिए टेंशन बन गया था. खुद आदर्श भी उन दिनों को याद कर अपनी हंसी रोक नहीं पाते. बताया कि जब बुक्स व नोटबुक पर अक्सर पेंटिंग करते रहता था. टीचर्स को यह बात नागवार लगती. पहले मुझे डांटते, फिर घर तक कंप्लेन किया. हालांकि यह आदत कभी छूटी नहीं. बताया कि प्लस टू की पढ़ाई पूरी करने के बाद घरवालों काॅमर्स से ग्रेजुएशन कराना चाहते थे, लेकिन जब आदर्श ने अपनी मंशा बताई तो वे भी साथ हो गए. आदर्श ने बताया कि पिता व भाइयों के साथ परिवार का पूरा सहयोग मिला. कला व संस्कृति को बढ़ावा दे सरकार आदर्श विक्रम ने कहा कि राज्य सरकार बिहार में कला व संस्कृति को बढ़ावा दे तो यहां के मेधावी पूरे देश में नाम रौशन कर सकते हैं. इसके लिए कलाकारों को प्रोत्साहित करने के साथ ही राज्य व जिला स्तर पर प्रतियोगिता कराने की भी जरूरत है. समय-समय पर प्रदर्शनी भी लगानी होगी. आदर्श की पेंटिंग अब तक करीब दो दर्जन प्रदर्शनी में चर्चा बटोर चुकी हैं. बताया कि उनकी पेंटिंग में पुरानी यादें नजर आती है. दिल्ली में बैठकर भी बिहार की कला, संस्कृति, पर्व-त्योहार को कैनवास पर उकेरते हैं.

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