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सदर अस्पताल में बिना जांच दी जा रही रिपोर्ट!
मुजफ्फरपुर: आपने सदर अस्पताल के पैथोलॉजिकल लैब में जांच करायी है, तो रिपोर्ट की गुणवत्ता के बारे में कुछ भी कहना मुश्किल है. जिस मशीन से जांच की जाती है, वह खराब है. हैरत की बात है कि उसके बाद भी मरीजों को रिपोर्ट दी जा रही है. जी हां! लैब का माइक्रोस्कोप दो साल […]
मुजफ्फरपुर: आपने सदर अस्पताल के पैथोलॉजिकल लैब में जांच करायी है, तो रिपोर्ट की गुणवत्ता के बारे में कुछ भी कहना मुश्किल है. जिस मशीन से जांच की जाती है, वह खराब है. हैरत की बात है कि उसके बाद भी मरीजों को रिपोर्ट दी जा रही है. जी हां! लैब का माइक्रोस्कोप दो साल से खराब पड़ा है, जबकि रोज दो सौ से 250 मरीजों की जांच यहां की जा रही है. ओपीडी में जिन मरीजों को जांच की जरूरत होती है, उन्हें नि:शुल्क जांच के लिए यहां भेजा जाता है. यहां तकनीशियन जांच से इनकार नहीं करते. मरीजों की जांच कर रिपोर्ट भी देते हैं.
बिना माइक्रोस्कोपिक जांच के दे रहे रिपोर्ट
पैथोलॉजिकल लैब में कई तरह की जांच माइक्रोस्कोप से की जाती है. टीसीडीसी, यूरिन, स्टूल, प्लेटलेट्स व सीमन की जांच के लिए यह उपकरण जरूरी है, लेकिन यहां के तकनीशियन व डॉक्टर बिना माइक्रोस्कोपिक जांच के ही रिपोर्ट तैयार कर रहे हैं. अस्पताल प्रबंधन की ओर से इसे दुरुस्त करने के बजाये ऐसे ही रिपोर्ट देने की छूट मिली है. हालांकि पैथोलॉजिस्ट डॉ राजेश कुमार कहते हैं कि उपकरण बहुत पुराना हो गया है. अब ऐसे माइक्रोस्कोप से जांच नहीं होती. अस्पताल प्रबंधन को लिखा गया है.
अधिक कीमत के कारण नहीं हुई खरीद
अस्पताल प्रबंधन की मानें, तो माइक्रोस्कोप की कीमत 85 हजार रुपये है. इसकी खरीद के लिए 2014 में विचार किया गया था, लेकिन कीमत बहुत अधिक होने के कारण अस्पताल प्रबंधन ने हाथ खड़े कर दिये. सीएस के अधिकार क्षेत्र में नहीं होने के कारण राज्य स्वास्थ्य समिति से मार्गदर्शन मांगा गया, लेकिन वहां से भी इसकी खरीद के लिए कोई पत्र नहीं आया.
क्यों जरूरी है माइक्रोस्कोप
सदर अस्पताल में हर दिन चार सौ से पांच सौ मरीज इलाज के लिए पहुंचते हैं. इनमें औसतन सौ मरीजों को माइक्रोस्कोप से होने वाली जांच लिखा जाता है. सर्दी-खांसी, बुखार व स्नोफीलिया की जांच के लिए टीसी-डीसी, पेशाब में संक्रमण की जांच के लिए यूरिन टेस्ट व पेट की खराबी की जांच के लिए स्टूल टेस्ट लिखा जाता है. इन सब की जांच माइक्रोस्कोप से होती है. अस्पताल में पहुंचने वाले एेसे मरीजों को ओपीडी से पैथोलॉजिकल लैब में जांच के लिए भेजा जाता है. मरीज वहां जांच करा कर संतुष्ट हो जाते हैं. मरीज को यह नहीं पता होता कि जांच कितना सही है. इसी जांच रिपोर्ट के आधार पर डाॅक्टर दवा लिखते हैं. जांच में गड़बड़ी होने का खामियाजा मरीजों को ही भुगतना होता है.
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