भारत वैगन कर्मियों ने छह अधिकारियों को बनाया बंधक- इकाई में ‘नो वर्क नो वेज’ का परचा चिपकाने पर भड़के कर्मचारी- काजीमोहम्मदपुर पुलिस के हस्तक्षेप से छह घंटे बाद मुक्त हुए अधिकारी- आठ माह से कंपनी के कर्मचारियों को नहीं मिला है वेतन- जून 2014 से बंद है इकाई में डिब्बों का प्रोडक्शनफोटो : दीपक मुजफ्फरपुर. भारत वैगन के कर्मचारी आठ माह का बकाया वेतन नहीं मिलने से शनिवार उस वक्त आक्रोशित हो गये, जब भारत वैगन में ‘नो वर्क नो वेज’ का परचा चिपका दिया गया. परचा चिपकाने के बाद कर्मचारियों ने एक कमरे में इकाई प्रधान प्रभारी विजय शंकर भट्ट, वर्क मैनेजर विश्वजीत कुमार श्रीवास्तव, चंद्रशेखर प्रसाद सिंह, कुमार श्याम सिंह, रंजीत प्रसाद सिंह व तौकीर अहमद को बंद कर ताला जड़ दिया. इसके बाद कर्मचारी धरने पर बैठकर हंगामा करने लगे. घटना की सूचना मिलने पर पहुंची काजीमोहम्मदपुर पुलिस ने कर्मचारियों को समझाने का प्रयास किया. करीब छह घंटे तक चली बातचीत के बाद कर्मचारियों ने अधिकारियों को मुक्त कर दिया. परचा चिपकते ही आक्रोशित हो गये कर्मचारी इकाई प्रधान प्रभारी विजय शंकर भट्ट ने भारत वैगन के अंदर एक परचा चिपका कर सभी कर्मचारियों को देखने को कहा. परचा पर लिखा था कि अगर काम नहीं किया जा रहा है तो उसका भुगतान भी नहीं किया जायेगा. इस परचा को देखते ही कर्मचारी आक्रोशित होकर इकाई प्रधान प्रभारी से मिलने पहुंचे. उन्होंने मिलने आये कर्मचारी से वही बात कही. इसके बाद कर्मचारी एकजुट होकर सभी अधिकारियों को एक कमरे में बंद कर ताला जड़ दिया. इसके बाद कर्मचारी इकाई के गेट पर धरना पर बैठ गये और हंगामा करने लगे. कर्मचारियों का कहना था कि पिछले आठ माह से वेतन नहीं दिया जा रहा है, जबकि अधिकारियों को सातवें वेतन का लाभ मिल रहा है. शाम पांच बजे मुक्त हुए कर्मचारी काजीमोहम्मदपुर पुलिस ने मौके पर पहुंचने के बाद कर्मचारियों से बातचीत की गयी. इसके बाद पुलिस ने ताला खुलवाकर अधिकारियों से भी बातचीत की. बातचीत के बाद कर्मचारियों को अाश्वासन दिया गया कि उन्हें जल्द ही बकाया वेतन मिलेगा. इसके बाद कर्मचारियों ने शाम पांच बजे बंधक बने कर्मचारियों को मुक्त किया. कर्मचारियों का कहना था कि आठ माह पहले से भारत वैगन बंद पड़ा है. रेल बजट में जो 16 करोड़ प्रावधान किया गया था, वह अब आवंटित नहीं किया गया है. इसके अलावा पिछले रेल बजट का 20 करोड़ निकासी नहीं होने के कारण लैप्स कर गया. राशि आवंटित नहीं होने के कारण भारत वैगन में काम बंद पड़ा है. 2014 से बंद है इकाई में प्रोडक्शन जून 2014 से भारत वैगन इकाई में प्रोडक्शन बंद है. इस बीच भारत वैगन में कोई काम नहीं मिला. काम नहीं मिलने के बाद कर्मचारियों का वेतन भी बंद हो गया. कर्मचारियों ने कहा कि बिहार में रेल का एक मात्र उपक्रम भारत वैगन एंड इंजीनियरिंग कंपनी है, लेकिन कर्मचारियों का वेतन पिछले एक साल से भी अधिक समय से बकाया है. सेवानिवृत्त कर्मियों को ग्रेच्यूटी व भविष्य निधि का भी भुगतान नहीं हुआ है. कर्मचारी पैसे के अभाव में इलाज तक नहीं करवा पा रहे हैं. उन्होंने कहा कि भारत वैगन की बंदी की वजह रेल डिब्बों की लागत बढ़ना है. सरकार ने रेल डिब्बों की कीमत को घटा दी है. 2013 में डिब्बे की कीमत 16.38 हजार थी, जो उसी साल 11.74 लाख हो गयी. ऐसे में भारत वैगन को घाटा होने लगा. 2013 के बाद से ही स्थिति डांवाडोल होने लगी. 2014 में काम का ऑर्डर मिला, जिसकी लागत 16 लाख आयी, लेकिन बिका 11.74 लाख में. इस साल सरकार ने डिब्बों की कीमत 10.80 लाख कर दी है. इसके कारण यहां काम बंद हो गया.
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भारत वैगन कर्मियों ने छह अधिकारियों को बनाया बंधक
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