मुजफ्फरपुर: बीआरए बिहार विवि में अधिकारी के मौखिक आदेश से स्पेशल टेबुलेटर रखने का मामला सामने आया है. इसको लेकर विवाद शुरू हो गया है. वित्त अधिकारी राज नारायण प्रसाद सिन्हा ने इस पर आपत्ति जतायी है. इससे इनका भुगतान लटक सकता है. ऐसे में विवि प्रशासन अब इनकी बहाली को वैध बनाने की प्रक्रिया में जुट गया है. छठ पूजा की छुट्टियां खत्म होने के बाद इस संबंध में परीक्षा बोर्ड व फाइनेंस कमेटी की बैठक बुलायी जायेगी, ताकि आठों स्पेशल टेबुलेटर की बहाली को सत्यापित किया जा सके.
बीते साल दिसंबर व जनवरी माह में स्नातक पार्ट वन, टू व थ्री की परीक्षा हुई थी. इसमें हजारों की संख्या में रिजल्ट पेंडिंग हुए.
पेंडिंग रिजल्ट के कारण इन छात्र-छात्राओं के इस साल होने वाले स्नातक पार्ट थर्ड की परीक्षा में शामिल होने व पीजी में नामांकन फंस गया था. इसको लेकर छात्रों ने कई दिनों तक लगातार विवि में हंगामा किया. मामला बिगड़ता देख विवि प्रशासन ने पेंडिंग सुधार के लिए स्पेशल टेबुलेटर रखने का फैसला लिया. शुरुआत में कुलसचिव व कुलानुशासक ने इसके लिए नौ लोगों की सूची बनायी. लेकिन बाद में प्रतिकुलपति ने यह जिम्मेदारी आठ अन्य शिक्षकों को दे दी.
हालांकि, इसके लिए न तो कोई आधिकारिक पत्र निकाला गया और नहीं शिक्षकों को नियुक्ति पत्र ही दिया गया. इधर, प्रतिकुलपति के आदेश पर सभी टेबुलेटर ने दिन-रात मेहनत कर अधिकांश पेंडिंग रिजल्ट का सुधार किया. लेकिन मामला भुगतान के समय फंस गया. वित्त अधिकारी का तर्क है कि जिस तरह रिजल्ट प्रकाशन के लिए अनुमति ली जाती है, ठीक उसी तरह पेंडिंग सुधार व टेबुलेटर बहाली के लिए भी अनुमति ली जानी चाहिए.
स्पेशल टेबुलेटर की बहाली की प्रक्रिया पर एफओ ने आपत्ति जतायी है. लेकिन स्पेशल टेबुलेटर ने काम किया है, ऐसे में उनका भुगतान होना चाहिए. ऐसे में छुट्टियां खत्म होने के बाद उनकी बहाली को सत्यापित करने के लिए पहल शुरू होगी. इसके लिए परीक्षा बोर्ड व फाइनेंस कमेटी की बैठक भी बुलायी जा सकती है.
डॉ सतीश कुमार राय, कुलानुशासक