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तवायफ मंडी की समस्याओं से बेपरवाह जन प्रतिनिधि

तवायफ मंडी की समस्याओं से बेपरवाह जन प्रतिनिधिआजादी के बाद से अबतक किसी जन प्रतिनिधि ने नहीं ली सुधिमंडी की समस्याओं पर इस बार भी नहीं गयी प्रत्याशियों की नजरसमाज के हाशिए पर स्थित मंडी में रहते हैं 1500 लोगवरीय संवाददाता, मुजफ्फरपुर शहर के केंद्र में स्थित शहर का चतुर्भुज स्थान मंडी. घुंघरू की झनकार […]

तवायफ मंडी की समस्याओं से बेपरवाह जन प्रतिनिधिआजादी के बाद से अबतक किसी जन प्रतिनिधि ने नहीं ली सुधिमंडी की समस्याओं पर इस बार भी नहीं गयी प्रत्याशियों की नजरसमाज के हाशिए पर स्थित मंडी में रहते हैं 1500 लोगवरीय संवाददाता, मुजफ्फरपुर शहर के केंद्र में स्थित शहर का चतुर्भुज स्थान मंडी. घुंघरू की झनकार के बीच रोटियां तलाशती जिदंगी. जन प्रतिनिधियों से उम्मीद लगायी आंखें. शरीर के साथ सपनों के मरने का लंबा इतिहास. लेकिन बदलाव की कोई उम्मीद नहीं. इस बार चुनाव में भी बूढ़ी हो चुकी आंखें बेहतरी का सपना पाले है. जी हां, यह हाल सामाजिक व्यवस्था के हाशिए पर स्थित तवायफ मंडी का है. आजादी के बाद से अब तक तवायफों की समस्याओं का निदान नहीं हो सका. इस बीच 16 सांसद व 15 विधायक अपना कार्यकाल पूरा कर चुके. अंतर सिर्फ इतना है कि पहले यहां दो-तीन सौ लोग थे, अब 1500 लोग हैं. पेशे में लंबा अरसा गुजार चुकी रिंकी खातून कहती हैं कि हमारे बेटे-बेटियां इस पेशे से अलग होना चाहते हैं, लेकिन उनके लिए रास्ता बंद है. मलका, अलका, पिंकी व नीलम कहती हैं, अब इसे पेशे से तौबा है. हम चाहते हैं कि मेरी बेटियां इस पेशे में नहीं आयें. हम उनकी शादी करना चाहते हैं. जनप्रतिनिधि पांच साल में एक बार हाथ जोड़ने आते हैं, लेकिन समस्याएं नहीं सुनते. हमलोगों की बेहतरी के लिए कभी प्रयास नहीं हुआ.मंत्री की घोषणाएं भी हुईं हवापिछले वर्ष कला संस्कृति मंत्री विनय बिहारी ने तवायफों का दर्द समझा था. उन्होंने उनकी बेहतरी के लिए कई घोषणाएं की, लेकिन उसका लाभ इन्हें नहीं मिला. सामाजिक कार्यकर्ता पाले खां कहते हैं कि इस क्षेत्र की समस्याओं पर किसी भी जन प्रतिनिधि ने कोई ध्यान नहीं दिया है. एक बेहतर पहल नहीं होने के कारण कई लोगों के लिए रोजीरोटी का संकट है. हमने अपनी समस्याएं सबके पास रखीं, लेकिन किसी भी पार्टी ने हमलोगों के लिए कुछ नहीं किया. चतुर्भुज स्थान मंडी की प्रमुख समस्या- इस क्षेत्र में बच्चों की पढ़ाई के लिए प्राथमिक स्कूल नहीं- पेशे से जुड़ी महिलाओं के स्वास्थ्य जांच की व्यवस्था नहीं- बिना पिता का नाम बताये स्कूल में नहीं होता बच्चों का एडमिशन- बिना पति के नाम के नहीं मिलता वृद्धापेंशन- बेटियों की शादी के लिए नहीं मिलती सरकारी सहायता- लाइसेंस के बावजूद पुलिस प्रशासन से बना रहता है भय- परिवार के बच्चों के लिए व्यावसायिक शिक्षा का नहीं केंद्र- महिलाओं को कुटीर उद्योग के लिए नहीं मिलता लोन

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