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16 सालों में प्रखंड नहीं बन सका मनियारी

16 सालों में प्रखंड नहीं बन सका मनियारी13 पंचायतों को मिला कर बनाना था प्रखंड कई नेता इस मुद्दे पर विधायक बने, मंत्री बने आज तक मनियारी को नहीं बना सके प्रखंड प्रमाण पत्र के लिए करते 32 किलोमीटर का सफर सर्वेक्षण के बाद फाइल में दब गयी सारी बातें संवाददाता, मुजफ्फरपुर/ मनियारीकुढ़नी प्रखंड में […]

16 सालों में प्रखंड नहीं बन सका मनियारी13 पंचायतों को मिला कर बनाना था प्रखंड कई नेता इस मुद्दे पर विधायक बने, मंत्री बने आज तक मनियारी को नहीं बना सके प्रखंड प्रमाण पत्र के लिए करते 32 किलोमीटर का सफर सर्वेक्षण के बाद फाइल में दब गयी सारी बातें संवाददाता, मुजफ्फरपुर/ मनियारीकुढ़नी प्रखंड में 39 पंचायत हैं. सूबे का सबसे बड़ा प्रखंड का सौभाग्य इसे प्राप्त है. लेकिन इस सौभाग्य के साथ यहां के 13 पंचायतों के लोगों की परेशानियां भी जुड़ी हैं. मनियारी को प्रखंड बनाने के नाम पर कई नेताओं ने वोट लिया, विधायक बने, मंत्री बने. लेकिन काम नहीं हो सका. सर्वेक्षण के 16 साल भी मनियारी को प्रखंड का दर्जा नहीं मिला. आखिर क्यों नहीं मिला? यहां के लोगों को कचोट रहा है. चुनावी जंग में अब तो लोग मुखर भी हो गये हैं. यह मुद्दा जोर पकड़ रहा है. लोगों का साफ कहना है कि प्रखंड मुख्यालय से दूरी के कारण जरूरत के प्रमाणपत्र बनाने में परेशानी होती है. वर्ष 2000 में सर्वे हुआ. इसमें प्रस्तावित मनियारी प्रखंड में 13 पंचायतों को रखा गया. इनमें महंथ मनियारी, अमरख, चैनपुर वाजिद, मोहम्मदपुर मुबारक, जमहरुआ, रघुनाथपुर मधुबन, हरिशंकर मनियारी, रतनौली, छितरौली, सोनबरसा, किनारू, अख्तियारपुर परेया, मरीचा पंचायत रखे गये थे. जनता के सामने आज तक कोई काम नहीं हुआ. लोगों ने साफ कहा, नेताओं को मनियारी प्रखंड बनाने के लिए वोट दिया. लेकिन काम नहीं हुआ. हालांकि, इस मुद्दे को कई लोगों ने पकड़ लिया है. स्थानीय लोगों का कहना है कि हर बार नेताओं ने मनियारी को प्रखंड बनाने के सवाल पर लोगों का वोट बटोरा. केवल राजनीति की रोटी ही सेकीं. चुनाव खत्म हुए मुद्दे भी गायब हो गये. मनियारी को प्रखंड बनाने के लिये संघर्ष कर रहे मनियारी प्रखंड बनाओ संघर्ष समिति के संयोजक डॉ पीएन गुप्ता बताते हैं, करीब दो दशकों से मनियारी को प्रखंड बनाने की मांग उठ रही है. अबतक मांग पूरी नहीं हुई. अलग प्रखंड बनने से क्षेत्र का समुचित विकास हो पायेगा. शिक्षा, स्वास्थ्य, कृषि में तब सुधार हो सकेगा. चैनपुर वाजिद के डॉ अजहरुल हक बताते हैं कि प्रखंड बनाने की मांग पर नेताओं ने सफेद राजनीति की. वर्तमान में इन पंचायतों के लोगों को प्रखंड मुख्यालय पहुंचना बड़ी समस्या है. आफताब आलम बताते हैं, यहां के नेता विधायक बने, मंत्री बने. मनियारी प्रखंड नहीं बन सका. प्रखंड बनने से सोलह किलोमीटर की लंबी दूरी तय कर मुख्यालय जाने की समस्या समाप्त होती. व्यवसायी शमीम आलम कहते हैं, अलग प्रखंड बनने से व्यवसाय की स्थिति भी सुधरेगी. हर पंचायतों में जरूरत पड़ने पर बीडीओ और सीओ समय पर जायेंगे. लेकिन, ऐसा नहीं हो सका. महंथ मनियारी के प्रमोद शर्मा कहते हैं कि सन 2000 में प्रखंड विभाजन को लेकर सर्वे भी हुआ लेकिन उसका क्या हुआ? सब फाइल में दब गया. सोनबरसा के सादात आलम भी मनियारी को प्रखंड बनाये जाने से कई फायदे होने की बात कहते हैं.

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