बिहार के स्कूल इस बार भी टॉप लिस्ट में शामिल नहीं हो पाये. हमें बेहतर शिक्षा की व्यवस्था करनी होगी. टॉपर तो यहां पर अच्छे परसेंटेज तक पहुंच जाते हैं, लेकिन ओवरऑल रिजल्ट में स्कूल पिछड़ जाते हैं. ऐसे में स्कूल को क्वालिटी एजुकेशन पर फोकस करना होगा.
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सीबीएसइ के टॉप-20 में बिहार के किसी भी स्कूल को जगह नहीं
मुजफ्फरपुर : सीबीएसइ के टॉप-20 स्कूलों की लिस्ट में इस बार भी बिहार से एक भी स्कूल शामिल नहीं हो सका है. सीबीएसइ ने 2015 में आयोजित 12वीं के रिजल्ट के आधार पर टॉप स्कूलों की लिस्ट जारी की है, लेकिन इस लिस्ट में बिहार का एक भी स्कूल शामिल नहीं है. सीबीएसइ की मानें […]
मुजफ्फरपुर : सीबीएसइ के टॉप-20 स्कूलों की लिस्ट में इस बार भी बिहार से एक भी स्कूल शामिल नहीं हो सका है. सीबीएसइ ने 2015 में आयोजित 12वीं के रिजल्ट के आधार पर टॉप स्कूलों की लिस्ट जारी की है, लेकिन इस लिस्ट में बिहार का एक भी स्कूल शामिल नहीं है. सीबीएसइ की मानें तो टाॅप -20 स्कूलों की लिस्ट में दक्षिण भारत के 15 स्कूल इस बार बेस्ट स्कूल में शामिल हुए हैं. वहीं पटना जोन (बिहार और झारखंड) से एकमात्र स्कूल रामकृष्ण मिशन, देवघर को टॉप लिस्ट में शामिल किया गया है.
सीबीएसइ की ओर से हर साल बोर्ड रिजल्ट के आधार पर टॉप स्कूलों की लिस्ट जारी की जाती है. इस लिस्ट में स्कूल के ओवरऑल रिजल्ट को मुख्य माध्यम बनाया जाता है. इस बार बोर्ड ने 92.3 परसेंट से लेकर 89.6 परसेंट तक का रिजल्ट परसेंटेज रखा था. इन परसेंट के बीच बिहार का एक भी स्कूल नहीं आ पाया. बोर्ड की मानें तो बिहार के एक भी स्कूल में ओवरऑल रिजल्ट 89.6 परसेंट तक भी नहीं पहुंच पाया. इस परसेंटेज के नीचे ही तमाम स्कूल रहे. बिहार के स्कूल पिछले तीन वर्षों से सीबीएसइ के टॉप लिस्ट स्कूल में शामिल नहीं हो पा रहे हैं. यह राज्य के लिए चिंता का विषय है.
देवघर के रामकृष्ण मिशन को मिला 91.8 परसेंट
झारखंड के देवघर स्थित रामकृष्ष्ण मिशन को देश भर के टॉप-20 स्कूलो की लिस्ट में चौथा स्थान प्राप्त हुआ है. राम कृष्ष्ण मिशन को 91.8 फीसदी अंक प्राप्त हुए हैं.
देश में पहला स्थान डीएवी ब्वाॅयज सीनियर सेकेंडरी स्कूल, चेन्नइ को मिला है. स्कूल 92.3 परसेंटेज के साथ पहले स्थान पर है. वहीं दूसरे और तीसरे टॉप स्कूल भी चेन्नई से ही चुने गये हैं.
बिहार के स्कूल इस बार भी टॉप लिस्ट में शामिल नहीं हो पाये. हमें बेहतर शिक्षा की व्यवस्था करनी होगी. टॉपर तो यहां पर अच्छे परसेंटेज तक पहुंच जाते हैं, लेकिन ओवरऑल रिजल्ट में स्कूल पिछड़ जाते हैं. ऐसे में स्कूल को क्वालिटी एजुकेशन पर फोकस करना होगा.
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