यही नहीं इस मामले में सरकार को भी अंधेरे में रखने का प्रयास किया गया. इसके लिए अप्रैल माह में पीएचडी प्रशाखा ने संचिका भी बढ़ायी. लेकिन अभी यह संचिका कहां है, इसका पता नहीं चल पा रहा है.यूजीसी के नये रेगुलेशन के तहत शोधार्थियों को शोध पूरा करने के बाद शोध पत्र की दो सीडी तैयार करनी होती है. एक सीडी सुपरवाइजर या गाइड के पास जाती है. वहीं एक सीडी विवि कार्यालय में जमा होती है.
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कार्यालय में पड़ी है सीडी, वेबसाइट पर अपलोड नहीं
मुजफ्फरपुर: यूजीसी के पीएचडी रेगुलेशन 2009 के तहत शोध कार्य पूरा होने के बाद शोध पत्र वेबसाइट पर अपलोड करने का प्रावधान है. लेकिन ऐसा हुआ नहीं. गत 14 जुलाई को एक जून 2012 के बाद पंजीकृत जिन बारह शोधार्थियों को शोध पत्र दिया गया, उनके शोध पत्र की सीडी अभी भी विवि कार्यालय में […]
मुजफ्फरपुर: यूजीसी के पीएचडी रेगुलेशन 2009 के तहत शोध कार्य पूरा होने के बाद शोध पत्र वेबसाइट पर अपलोड करने का प्रावधान है. लेकिन ऐसा हुआ नहीं. गत 14 जुलाई को एक जून 2012 के बाद पंजीकृत जिन बारह शोधार्थियों को शोध पत्र दिया गया, उनके शोध पत्र की सीडी अभी भी विवि कार्यालय में पड़ी हुई है.
नियमों के तहत इस सीडी को यूजीसी व विवि के वेबसाइट पर अपलोड करना होता है. इसका मकसद शोध कार्य में पायरेसी की घटना को रोकना होता है. विवि में पूर्व में हुए शोध कार्यो में विदेशी शोध पत्र से कॉपी का मामला सामने आ चुका है. प्रभात खबर ने ही ‘देशी शोध में लग रहा विदेशी तड़का’ शीर्षक से खबर छाप कर इसका खुलासा किया था.
कार्यालय में जमा है दो सौ से ढाई सौ सीडी. प्रभात खबर ने मामले की तह तक जाने के लिए जब पड़ताल किया, तो पता चला कि विवि की पहल महज खानापूर्ति थी. सरकार को जवाब भेजने के बाद पीएचडी सेक्शन से एक संचिका बढ़ायी गयी, लेकिन फिलहाल वह ठंडे बस्ते में है. एक जून 2012 या उसके बाद पंजीकृत शोधकर्ताओं की करीब दो सौ से ढ़ाई सौ सीडी अभी तक कार्यालय में जमा हो चुकी है. ये सभी शोध पत्र के साथ ही कार्यालय में रखी हुई है.
संबंधित लोगों से जब इस मामले में पूछा गया तो उन्होंने बताया कि सिर्फ शोध पत्र की सीडी ही कार्यालय में नहीं है, बल्कि सिनॉप्सिस की सीडी भी यूं ही पड़ी है. यह सीडी शोधार्थियों से इसलिए लिया जाता है, ताकि वे बीच में शोध का शीर्षक, विषय या गाइड नहीं बदल सकें. 2012 से पूर्व हुए शोध कार्य की भी कई सीडी कार्यालय में दिखायी पड़ी. उसमें से कई सीडियां खराब हो चुकी है.
विधान परिषद में उठा था सवाल
बिहार विधान परिषद के 179 वें सत्र में विधान पार्षद डॉ दिलीप कुमार चौधरी ने सरकार से तारांकित प्रश्न पूछा था. इसमें तीन सवाल थे. पहला सवाल था कि क्या राज्य के विश्वविद्यालयों में यूजीसी रेगुलेशन के तहत शोध पत्र की सीडी यूजीसी व विवि के वेबसाइट पर अपलोड की जाती है? दूसरा, क्या समेकित सूचना नहीं होने के कारण शोध कार्य की गुणवत्ता प्रभावित हो रही है. तीसरा, क्या सरकार सभी विश्वविद्यालयों में हुए शोध कार्य की सीडी यूजीसी व विवि के वेबसाइट पर अपलोड कराना सुनिश्चित करना चाहती है? यदि हां तो कब तक? सरकार ने इस मामले में विवि प्रशासन को पत्र लिख कर जवाब देने को कहा था. तब विवि की ओर से जवाब भेजा गया कि इसके लिए पहल जारी है. जल्दी ही ऐसा सुनिश्चित कर दिया जायेगा.
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