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दूध को लंबे समय तक सुरक्षित रखेगा बीएमसी

मुजफ्फरपुर: लंबे समय तक दूध सुरक्षित रखने के लिए बल्क मिल्क कूलर (बीएमसी) की स्थापना होगी. प्रतिदिन एक हजार लीटर दुग्ध उत्पादन क्षमता वाली समितियों में बीएमसी का निर्माण होगा. बीएमसी के निर्माण से दुग्ध उत्पादकों को तुरंत दूध ठंडा करने व जीवाणुओं की संख्या में वृद्धि रोकने में मदद मिलेगी. इससे उत्पादकों को अच्छी […]

मुजफ्फरपुर: लंबे समय तक दूध सुरक्षित रखने के लिए बल्क मिल्क कूलर (बीएमसी) की स्थापना होगी. प्रतिदिन एक हजार लीटर दुग्ध उत्पादन क्षमता वाली समितियों में बीएमसी का निर्माण होगा. बीएमसी के निर्माण से दुग्ध उत्पादकों को तुरंत दूध ठंडा करने व जीवाणुओं की संख्या में वृद्धि रोकने में मदद मिलेगी. इससे उत्पादकों को अच्छी कीमत भी मिलेगी. पशुपालन विभाग के विशेष सचिव देवेंद्र प्रसाद ने इस योजना को धरातल पर उतारने के लिए कंफेड के प्रबंध निदेशक को पत्र लिखा है.

बीएमसी की स्थापना राष्ट्रीय कृषि विकास योजना से होगी. सूबे में 39 बल्क मिल्क कुलर की स्थापना होगी. इनमें पांच हजार लीटर क्षमता वाले 20 यूनिट तथा तीन हजार लीटर क्षमता वाले 19 यूनिट का निर्माण होगा. सरकार ने राष्ट्रीय कृषि विकास योजना अंतर्गत इसके निर्माण की स्वीकृति दी है.

सरकार के पत्र के अनुसार, पांच हजार लीटर क्षमता के बल्क मिल्क कुलर व स्वचालित दुग्ध संग्रहण इकाई की स्थापना पर 16.25 लाख रुपये खर्च होंगे. 20 स्थानों पर निर्माण के लिए 325 लाख रुपये स्वीकृत हुए हैं. तीन हजार लीटर क्षमता वाले एक बल्क मिल्क कूलर व स्वचालित दुग्ध संग्रहण इकाई पर 13.10 लाख रुपये खर्च होंगे. 19 स्थानों पर निर्माण के लिए 248.90 लाख रुपये मिले हैं.

तिमुल को मिला पांच बीएमसी
मुजफ्फरपुर में पांच हजार लीटर वाले तीन यूनिट तथा तीन हजार लीटर वाले दो यूनिट की स्थापना होगी. वहीं, समस्तीपुर में पांच हजार लीटर क्षमता वाले तीन यूनिट तथा तीन हजार क्षमता वाले तीन यूनिट की स्थापना होगी.

बीएमसी से लाभ
इस योजना का उद्देश्य दुग्ध उत्पादकों के दूध की गुणवत्ता को अक्षुण्ण रखना है. ग्रामीण स्तर पर बीएमसी के निर्माण से दूध को तुरंत ठंडा किया जा सकता है. इससे जीवाणुओं की संख्या में वृद्धि रोक कर स्वच्छ दूध का उत्पादन करना है.

एक हजार लीटर प्रतिदिन या इससे अधिक दूध का उत्पादन करने वाली समितियों में बीएमसी स्थापित किया जायेगी. विद्युत आपूर्ति व्यवस्था वाली समितियों को प्राथमिकता दी गई है. समिति का दुग्ध पथ पर होना जरूरी है. समिति में पांच से सात गांवों का दुग्ध संग्रह आसानी से किया जा सके.

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