मुजफ्फरपुर: इंडियन पेडियाट्रिक्स एकेडमी ने रविवार को मिशन उदय प्रोजेक्ट का शुभारंभ किया. इसके तहत आइएपी तिरहुत ब्रांच की ओर से तिलक मैदान स्थित होटल कावेरी में कार्यशाला आयोजित की गयी, जिसमें सूबे के विभिन्न जिलों से आये डॉक्टरों ने मिशन उदय का लक्ष्य पूरा करने की बात कही. कार्यक्रम की शुरुआत जिला संयोजक शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ अरुण साह ने स्वागत भाषण से किया. उन्होंने कहा कि आइएपी के इस गोल्डन जुबली प्रोजेक्ट का लक्ष्य पांच वर्षो तक के बच्चों की मृत्यु दर कम करना है.
कार्यशाला में विभिन्न जिलों से आये डॉक्टरों को कई बीमारियों से बच्चों के बचाव की ट्रेनिंग दी जायेगी. वे अपने जिलों में भी अन्य डॉक्टरों को ट्रेंड करेंगे. उन्होंने कहा कि दुनिया में प्रति वर्ष पांच वर्ष से कम उम्र के एक लाख 70 हजार बच्चों की मृत्यु होती है, जबकि इन बीमारियों के समय पर इलाज व जागरूकता से बच्चों की जिंदगी बचायी जा सकती है. मौके पर बच्चों की डायरिया, टीबी, इनटेरिक फीवर, निमोनिया आदि बीमारियों के इलाज पर डॉक्टरों ने व्याख्यान दिये. कार्यशाला में राज्य ट्रेनर डॉ बीपी जायसवाल, डॉ मनाजिर अली, डॉ निगम प्रकाश नारायण ने व्याख्यान दिये. मौके पर सीतामढ़ी से डॉ युगल किशोर प्रसाद, डॉ संजय कुमार, मोतिहारी से डॉ सुमित सौरभ, ढाका से डॉ एलपी प्रसाद, दरभंगा से डॉ ओम प्रकाश, डॉ एमपी गुप्ता, हाजीपुर से डॉ अरविंद ओंकार, डॉ आलोक गोप, शहर के डॉ राम गोपाल जैन,
डॉ ब्रज मोहन, डॉ गोपाल शंकर सहनी मौजूद थे.
जिंक व ओआरएस से कंट्रोल होता है डायरिया : मुजफ्फरपुर. जिंक व ओआरएस से डायरिया पर पूरी तरह नियंत्रण हो जाता है. लेकिन जागरूकता के अभाव में देश के 50 फीसदी लोग ही डायरिया से पीड़ित होने पर बच्चों को ओआरएस का घोल देते हैं. उसी तरह जिंक का उपयोग भी नहीं होता है, जबकि ये दोनों डायरिया रोकने में बहुत कारगर है. इसके अलावे बच्चों की हाथ की सफाई भी जरूरी है. अभिभावकों को अपने हाथ साबुन से धो कर ही बच्चों को खाना खिलाना चाहिए. बच्चों में सफाई रहे तो डायरिया से बचा जा सकता है. यह बातें दिल्ली के लेडी होर्डिग हॉस्पिटल के शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ प्रवीण कुमार ने कही. वे आइएपी के कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे. उन्होंने सफाई के लिए लोगों में जागरूकता लाये जाने की बात कही.