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जिला परिषद की दुकानों के आवंटन में खेल ?

मुजफ्फरपुर: योजनाओं में अनियमितता से लेकर दुकानों के आवंटन को लेकर विवादों में रहे जिला परिषद् में प्रभावों का खेल कोई नया नहीं है. अपने प्रभाव का लाभ उठाने में जिला परिषद् के अभियंता सैयद आले हुसैन भी पीछे नहीं हैं. उनके पुत्र व परिवार के नाम पर आधा दर्जन दुकानों व जगहों का आवंटन […]

मुजफ्फरपुर: योजनाओं में अनियमितता से लेकर दुकानों के आवंटन को लेकर विवादों में रहे जिला परिषद् में प्रभावों का खेल कोई नया नहीं है. अपने प्रभाव का लाभ उठाने में जिला परिषद् के अभियंता सैयद आले हुसैन भी पीछे नहीं हैं. उनके पुत्र व परिवार के नाम पर आधा दर्जन दुकानों व जगहों का आवंटन किया गया है. पुत्र के नाम ही पांच दुकानें हैं. कई ऐसे भी हैं, जिनके नाम से चार-पांच दुकान या पर्याप्त जगह आवंटित हैं. यह खुलासा जिला पार्षद अंजना कुशवाहा के दो मार्च को अनशन पर बैठने के बाद जिला अभियंता की ओर से उपलब्ध करायी गयी सूची से हुआ है.
दुकानों के आवंटन की सूची के अनुसार अभियंता सैयद आले हुसैन के पुत्र आले नुरैन के नाम पर जो दुकान आवंटित है, उसका मासिक किराया इतना कम है कि उससे कई गुना अधिक सड़कों के किनारे लगी गुमटी व फुटपाथी दुकानदारों से वसूला जाता है.
अभियंता पुत्र के नाम आवंटित दुकानें
जिला परिषद् के डाक बंगला अहाते में सैयद आले नुरैन के नाम दुकान संख्या की जगह पैसे दर्शा कर 225 रुपये मासिक किराया तय किया गया है. इसका आवंटन सात अगस्त, 2003 को किया गया है. दूसरे चरण के 11वें यूनिट में दुकान संख्या आठ का आवंटन सैयद आले नुरैन के नाम पर आठ नवंबर, 2014 को किया गया. इसका भाड़ा मात्र 315 रुपया है. दुकान नं. 9 का भाड़ा 276 रुपये है. दुकान संख्या 18 भी आले नुरैन के नाम पर है, जिसका भाड़ा 378 रुपये मासिक है. दूसरे चरण की प्रथम यूनिट में द्वितीय तल्ला के नाम से 28 जून 2012 को आले नुरैन व कटरा थाना के बुधकारा निवासी यदुवंश कुमार सिंह की पत्नी शीला सिंह के नाम आवंटित जगह का किराया 6560 रुपये मासिक तय है. शीला सिंह व मासूमा बेगम के नाम 18 अक्टूबर 2004 को ऊपरी तल्ला का आवंटन दिखाया गया है, जिसका भाड़ा 5000 रुपया तय किया गया है.
रसूखदारों के नाम पर कई दुकानों का आवंटन
जूरन छपरा स्थित मार्केट में सिर्फ जिला अभियंता के पुत्र के नाम पर ही कई दुकानों का अवंटन है. कई रसूखदार लोगों के नाम पर चार से पांच दुकानें आवंटित हैं. अंजना कुशवाहा को जो आवंटन लिस्ट उपलब्ध करायी गयी है, उसमे कई पेच भी हैं. आवंटित दुकानों के क्षेत्रफल का जिक्र न करके प्रथम तल्ला, द्वितीय तल्ला, तृतीय तल्ला व भूमि तल आदि दिखाया गया है. आले हुसैन के पुत्र आले नुरैन के पार्टनर कटरा थाना के बुधकारा तेघरा निवासी यदुवंश कुमार के नाम भी कई दुकानों का आवंटन हुआ है. यदुवंश सिंह के परिवार के नाम डाक बंगला अहाता में जगह आवंटित हुआ है. उनकी पत्नी शीला सिंह के नाम पर ऊपरी तल्ला के नाम आवंटित जगह का भाड़ा पांच हजार मासिक दिखाया गया है. वहीं, उनके नाबालिग पुत्र विकास कुमार सिंह के नाम कमरा संख्या दो का भाड़ा 451 रुपया, उनके पुत्र विवेक कुमार सिंह के नाम कमरा संख्या पांच का भाड़ा 495 रुपये, पत्नी शीला सिंह के नाम द्वितीय तल्ला का भाड़ा 6560 रुपया, यदुवंश सिंह के नाम भूमि तल व प्रथम तल का भाड़ा 1755 रुपया फिर द्वितीय तल्ला का भाड़ा 780 रुपया मासिक तय किया गया है.
बाजार व परिषद के भाड़े में भारी अंतर
शहर के जूरन छपरा, इमलीचट्टी, अखाड़ाघाट, मोतीझील, ब्रrापुरा, मिठनपुरा, कलमबाग, सूतापट्टी, भगवानपुर व चंदवारा में दुकान व ऑफिस के लिए आमतौर पर भाड़े का मकान 30 रुपये से लेकर 50 रुपये प्रति वर्ग स्कवायर फीट है. वहीं मोतीझील में 100 रुपये तक है. हर तीन साल में 15 फीसदी भाड़ा बढ़ाया जाता है. जिला परिषद मार्केट में स्थिति ठीक विपरीत है. आले हुसैन के पुत्र आले नुरैन के नाम आवंटित कमरा संख्या 9 का भाड़ा 276 रुपये है. इसी प्रकार जिला परिषद् मार्केट की अधिकांश दुकान, होटल व संस्थानों का भाड़ा तय किया गया है. यदि आले नुरैन के दुकान की जगह 100 स्कवायर फीट है, तो उसका भाड़ा प्रति वर्ग फीट 2.76 रुपये होता है.
जिला परिषद की दुकान का भाड़ा 276 रुपये मासिक
मार्केट में दुकानों का रेट तीन से पांच हजार प्रतिमाह है
उठ रहे सवाल
आखिर किस कमेटी ने किस नियम के अनुसार जिला परिषद् मार्केट का भाड़ा तय किया है. उसका आधार क्या था. किसके प्रभाव में और किस लाभ के कारण इतनी कम दर पर दुकानों का आवंटन हुआ. कई वर्षो से दुकानों का किराया जिला परिषद् कोष में क्यों नहीं जमा हो पा रहा है.
विज्ञापन निकाल कर दुकानों का आवंटन हुआ है. विज्ञापन के आधार पर मेरे पुत्र व परिवार के सदस्यों ने आवेदन दिया. जिसके आधार पर उनके नाम पर आवंटन किया गया. यह अवैध नहीं है. सैयद आले हुसैन, जिला अभियंता, जिला परिषद्
जिला परिषद् मार्केट का निर्माण स्ववित्त पोषण योजना से होना था, लेकिन इसमें लोगों से एडवांस लेकर बनाया गया. दुकानों के आवंटन में काफी अनियमितता बरती गयी. भाड़ा व किराया निर्धारण में बहुत बड़ा खेल हुआ. आले हुसैन की भूमिका शुरू से ही विवादों में रही, फिर भी उनका सेवा विस्तार होता रहा. जिला परिषद् की सभी अनियमितताओं में वे शामिल रहे. मुक्तेश्वर प्रसाद सिंह, जिला पार्षद

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