राजकिशोर के यहां छापामारी करने के बाद क्यूआरटी ने पुलिस पदाधिकारी को सूचना दी थी. छापेमारी के बाद दारोगा गंगा दयाल प्रसाद पांच होमगार्ड जवानों के साथ मौके पर पहुंचे थे. उन्होंने भी क्यूआरटी के जवानों का साथ देते हुए राजकिशोर को पकड़ कर थाने ले आये. गाली-गलौज कर उसे हाजत में बंद कर दिया. जांच के दौरान तत्कालीन डीएसपी एएन त्रिपाठी ने जांच रिपोर्ट में राजकिशोर के कमरे से हथियार बरामद होने की पुष्टि की थी. तत्कालीन डीआइजी ने जांच में मामला असत्य पाते हुए एसपी को सभी छह पुलिस कर्मी व दारोगा गंगा दयाल प्रसाद के खिलाफ विभागीय कार्रवाई करने का आदेश दिया था.
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दूसरे के लिए बनाया फंदा, खुद के गले में पड़ा
मुजफ्फरपुर: निर्दोष राज किशोर पासवान को आर्म्स एक्ट के मामले में फंसाने की साजिश रचने में दारोगा गंगा दयाल खुद फंस गये. अगर उन्होंने क्यूआरटी में शामिल जवानों का साथ नहीं दिया होता, तो उन पर बरखास्तगी की कार्रवाई नहीं होती. इस प्रकरण की जांच हुई तो छापेमारी टीम की सारी कलई खुल गयी. तत्कालीन […]
मुजफ्फरपुर: निर्दोष राज किशोर पासवान को आर्म्स एक्ट के मामले में फंसाने की साजिश रचने में दारोगा गंगा दयाल खुद फंस गये. अगर उन्होंने क्यूआरटी में शामिल जवानों का साथ नहीं दिया होता, तो उन पर बरखास्तगी की कार्रवाई नहीं होती. इस प्रकरण की जांच हुई तो छापेमारी टीम की सारी कलई खुल गयी. तत्कालीन डीआइजी अरविंद पांडेय ने जांच रिपोर्ट में लिखा है कि ‘बिना किसी पुलिस पदाधिकारी के क्यूआरटी पार्टी में शामिल पुलिस कर्मी किसी के यहां छापा नहीं मार सकते.
विमलेश ने की मदद. राजकिशोर के साथी विमलेश झा ने उन्हें न्याय दिलाने के लिए सीएम नीतीश कुमार के जनता दरबार में पहुंचे थे. वे परिवहन व्यवसायी है. सीएम कहने पर तत्कालीन एडीजी कृष्णा चौधरी ने तत्कालीन डीआइजी अरविंद पांडेय को मामले की गहन जांच कर कार्रवाई करने का निर्देश दिया था. जांच में बताया गया कि राजकिशोर को आर्म्स एक्ट में फंसाया गया है.
मुकर गये थे होमगार्ड जवान. छापामारी के बाद राजकिशोर के यहां दारोगा गंगादयाल प्रसाद के साथ होमगार्ड के पांच जवान भी गये थे. सभी जवानों ने कोर्ट में शपथ पत्र देकर यह कहा था कि राजकिशोर के यहां से उसके सामने आर्म्स बरामद नहीं हुआ था. वहीं क्यूआरटी पार्टी ने राजकिशोर के मकान मालिक लखन दास व सुदामा देवी से सीजर लिस्ट पर हस्ताक्षर करा लिया था. यह दंपति भी कोर्ट में कहा था कि गुमराह कर सीजर पर उनसे हस्ताक्षर करा लिया गया था.
छापेमारी के बाद रखा था हथियार
2007 में सीतामढ़ी शहर में अपराधियों व असामाजिक तत्वों पर पैनी नजर रखने के लिए तत्कालीन एसपी एमआर नायक ने छह-सात पुलिस कर्मियों की क्यूआरटी बनायी गयी थी. टीम शहर में बराबर भ्रमण करती रहती थी. कारोबारी सुरेंद्र के कहने पर क्यूआरटी के वाहन चालक इम्तियाज खां ने राजकिशोर को फंसाने की साजिश रची थी. क्यूआरटी में शामिल पांचों पुलिस कर्मी 6 दिसंबर को राजकिशोर के भवदेपुर स्थित किराये के मकान में रात के करीब 12 बजे पहुंचे. वह अपने कमरे में सोया हुआ था. पुलिस कर्मियों ने कमरे की तलाशी ली तो कुछ नहीं मिला था. सभी कमरे से बाहर आ गये. कुछ देर बाद तीन पुलिस कर्मी अंदर गये, यह कहने लगे कि उसके बिस्तर के नीचे से अवैध देशी पिस्तौल बरामद हुआ है.
इसके बाद पुलिस कर्मियों ने नगर थाना को इसकी सूचना दी थी. सूचना पर तत्कालीन दारोगा गंगा दयाल प्रसाद मौके पर पहुंचे थे. राजकिशोर पर आर्म्स एक्ट का मामला दर्ज कर (प्राथमिकी संख्या 601/07) उसे न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया था.
एक लाख लेने का आरोप
मुखिया राज किशोर पासवान का कहना था कि खाद्यान्न कारोबारी से एक लाख से अधिक रुपये लेकर उन्हें फंसाने की साजिश रची गयी थी. बाद में पैसे के लिए आपस में ही पुलिस कर्मी भिड़ गये थे. दारोगा को तो मात्र पांच हजार रुपया ही मिला था.
मिली थी धमकी
राजकिशोर का कहना था कि तत्कालीन डीआइजी के यहां सभी की गवाही होनी थी. झपहां के पास उनलोगों को एके 47 से लैस अपराधकर्मियों ने घेर लिया था. डीआइजी साहब को फोन करने के बाद जान बच पायी थी. उन्होंने गाड़ी भेज कर खुद बुलवाया था.
निलंबित हो चुके है गंगा दयाल
सीतामढ़ी से बदल तीन साल पूर्व गंगा दयाल मुजफ्फरपुर आये थे. शहर के अहियापुर, ब्रrापुरा व काजीमोहम्मदपुर थाने में वह तैनात रहे चुके है. फिलहाल वह नगर थाने में तैनात थे. तत्कालीन नगर डीएसपी उपेंद्र कुमार यादव ने काजीमोहम्मदपुर थाने में तैनाती के दौरान उनके खिलाफ निलंबन की अनुशंसा की थी. गंगा दयाल दिवा गश्ती के दौरान नो इंट्री में आलू लदे दो ट्रक को पकड़ कर एलएस कॉलेज मैदान ले गये थे. वहां पर पैसे लेकर ट्रकों को छोड़ने का आरोप लगा था.
कारगर नहीं था हथियार
राज किशोर के पास जो हथियार बरामद दिखाया गया था, वह हथियार जांच के दौरान कारगर नहीं निकला था. कोर्ट में केस के गवाही के दौरान गोली व हथियार की जांच करायी गयी थी. राजकिशोर का कहना था कि उन पर केस दर्ज होने के बाद रिश्वत मांगी गयी थी. पैसे नहीं देने पर तत्कालीन डीएसपी ने केस को सत्य कर दिया था.
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