मुजफ्फरपुर. स्वामी विवेकानंद का दर्शन युवा पीढ़ी के लिए अनुकरणीय है. नि:संदेह सनातन धर्म के प्रति उनकी आस्था थी, मगर धर्मो के वाह्याडंबरों से ऊपर उठकर नि:स्वार्थ सेवाभाव को उन्होंने मानव धर्म कहा और उसे सर्वोपरि माना. उक्त बातें रविवार को ललित नारायण तिरहुत कॉलेज में युवा सप्ताह के समापन के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए डॉ निर्मला कुमारी ने कही. उन्होंने कहा कि स्वामी विवेकानंद इस बात को मानते थे कि सभी मनुष्य के शरीर में ईश्वर बसते हैं. डॉ रजनी रंजन ने वाद विवाद प्रतियोगिता के निर्णायक के रूप में छात्रों को संबोधित करते हुए कहा कि गांधी हमेशा प्रासंगिक है और रहेंगे. गांधी दर्शन का पालन अक्षरश: हुआ तो आज हमारा देश इतना भ्रष्ट नहीं होता. लोभ, लालच और बढ़ती विलासिता संबंधित वस्तुओं की मांग ही भ्रष्टाचार की जड़ है. मौके पर डॉ इंदुधर झा, डॉ रामानन्द सिंह ने छात्रों को संबोधित किया. इस अवसर पर वाद-विवाद, गायन, एक्सटेम्पोर प्रतियोगिता का आयोजन हुआ. जिसमें राष्ट्रीय सेवा योजना के लगभग 30 स्वयंसेवकों ने भाग लिया. वाद विवाद प्रतियोगिता में पारूल कश्यप प्रथम, शुभम कुमार द्वितीय, हर्ष कुमार तृतीय, गायन में चांदनी कुमारी व रोहित कुमार वर्मा प्रथम, पिया कश्यप द्वितीय, कल्याणी कुमारी तृतीय तथा एक्सटेम्पोर में रोहित कुमार प्रथम, शुभम कुमार द्वितीय, पिया कश्यप तृतीय स्थान पर विजेता रही.
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विवेकानंद का दर्शन युवा पीढ़ी के लिए अनुकरणीय : डॉ निर्मला
मुजफ्फरपुर. स्वामी विवेकानंद का दर्शन युवा पीढ़ी के लिए अनुकरणीय है. नि:संदेह सनातन धर्म के प्रति उनकी आस्था थी, मगर धर्मो के वाह्याडंबरों से ऊपर उठकर नि:स्वार्थ सेवाभाव को उन्होंने मानव धर्म कहा और उसे सर्वोपरि माना. उक्त बातें रविवार को ललित नारायण तिरहुत कॉलेज में युवा सप्ताह के समापन के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम […]
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