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59 नि:शक्त बच्चों की बदलेगी जिंदगी

मुजफ्फरपुर: बिहार शिक्षा परियोजना की पहल पर शारीरिक रूप से नि:शक्त बच्चों की जिंदगी में बदलाव आयेगा. परियोजना की ओर से समावेशी शिक्षा कार्यक्रम के तहत वर्ष 2014-15 में 59 नि:शक्त बच्चों का चयन किया गया है. बुधवार को सदर अस्पताल में बच्चों की जांच हुई थी. जांच के बाद राजकीय मध्य विद्यालय ब्रह्नापुरा स्थित […]

मुजफ्फरपुर: बिहार शिक्षा परियोजना की पहल पर शारीरिक रूप से नि:शक्त बच्चों की जिंदगी में बदलाव आयेगा. परियोजना की ओर से समावेशी शिक्षा कार्यक्रम के तहत वर्ष 2014-15 में 59 नि:शक्त बच्चों का चयन किया गया है. बुधवार को सदर अस्पताल में बच्चों की जांच हुई थी. जांच के बाद राजकीय मध्य विद्यालय ब्रह्नापुरा स्थित डे केयर सेंटर से पहले फेज में 22 चयनित बच्चें इलाज के लिए बस से पटना रवाना हो गये. प्रत्येक बच्चों के साथ उनके अभिभावक भी हैं.
समावेशी शिक्षा के समन्वयक श्याम नंदन झा ने बताया कि पटना के महावीर आरोग्य संस्थान में नि:शक्त बच्चों का नि:शुल्क इलाज कराया जायेगा. दूसरे फेज में गुरुवार को 37 बच्चें पटना के लिए रवाना होंगे. कार्यक्रम के तहत छह से 14 आयु वर्ग में अस्थी (हड्डी) नि:शक्त, श्रवण (कान) व आंख की समस्या से पीड़ित बच्चों का चयन किया जाता है. डीपीओ सर्व शिक्षा अभियान नीता कुमारी पांडेय ने बताया कि बच्चों को सुधारात्मक शल्य चिकित्सा के तहत परियोजना की ओर से इलाज कराया जाता है.
इलाज के लिए पटना गये 22 बच्चे. गुड़िया कुमारी, गोलू कुमार, प्रिंस कुमार, सोनू चौधरी, मधु कुमारी, लक्ष्मण कुमार, सोनू कुमार, तारा कुमारी, ओम प्रकाश, मोहम्मद वसीम अकरम, कलामुद्दीन, अमरजीत कुमार, कृष्णा गुप्ता, सन्नी कुमार, काजल कुमारी, अभिजित कुमार, विकास कुमार, निशांत कुमार, सुशील कुमार, दीपक कुमार व छोटू कुमार शामिल है. डे केयर सेंटर से रवाना होने के समय समावेशी शिक्षा से जुड़े प्रियरंजन प्रभाकर व डॉ फैज अहमद फैज उपस्थित थे.
लक्ष्य पूरा हुआ. बिहार शिक्षा परियोजना की ओर से पहली बार शत प्रतिशत लक्ष्य पूरा किया गया है. कार्यक्रम के तहत 60 बच्चों का चयन कर इलाज कराने का लक्ष्य रखा गया था जिसमें 59 बच्चे चयनित किये गये.
विभागीय जानकारी के अनुसार वर्ष 2013 में पहली बार यह कार्यक्रम शुरु किया गया था. लेकिन उस समय इक्का-दुक्का बच्चों को पटना भेज कर इलाज कराया गया था.

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