मुजफ्फरपुर: पूर्व वित्त अधिकारी जेएनपी सिंह को बीआरए बिहार विवि के ओएसडी फाइनेंस के पद से हटा दिया गया है. कुलपति डॉ पंडित पलांडे के आदेश पर रविवार को इसकी अधिसूचना भी जारी कर दी गयी. यह आदेश एक जनवरी से ही लागू होगा.
गौरतलब है कि जेएनपी सिंह बीते साल राजभवन के आदेश से पांच सितंबर को वित्त अधिकारी के पद से हटा दिये गये, लेकिन उनके वित्तीय अनुभवों को देखते हुए कुलति डॉ पंडित पलांडे ने उन्हें ओएसडी फाइनेंस के पद पर बहाल कर दिया. इसके तहत उन्हें प्रतिमाह 45 हजार रुपये भुगतान होना था. विवि के स्टैटय़ूट में इस पद का कोई जिक्र नहीं है. उन्हें यह पद राजभवन से स्वीकृति की प्रत्याशा में दिया गया. राजभवन में संचिका भी भेजी गयी, पर अभी तक वहां से कोई जवाब नहीं आया है.
बीबी लाल ने भी उठाये थे सवाल: केंद्रीय भंडार से कॉपी खरीद मामले में बीबी लाल कमेटी ने जेएनपी सिंह के कार्य शैली पर सवाल उठाये हैं. उस समय जेएनपी सिंह वित्त अधिकारी के पद पर थे. कमेटी के अनुसार, पूरी प्रक्रिया में श्री सिंह ने फाइन अप व डाउन करने के दौरान कहीं भी कोई नोट नहीं लिखा. यहीं नहीं जेनरेटर खरीद में हुई अनियमितता मामले में भी कमेटी ने उन पर गंभीर आरोप लगाये हैं. इसके तहत एजेंसी ने बैक डेट में विवि को गारंटी के रूप में बैंक चेक उपलब्ध कराया. इस पर भी श्री सिंह ने कोई आपत्ति नहीं जतायी. ऐसे में वित्त विभाग उनके हाथों में सुरक्षित नहीं है. कमेटी ने उन्हें तत्काल पद से हटाने की सिफारिश की थी. माना जाता है कि इसके बाद ही उन्हें वित्त अधिकारी के पद से हटाया गया था. बावजूद विवि प्रशासन ने उन्हें ओएसडी फाइनेंस के पद पर बहाल कर दिया था. इसको लेकर सवाल उठाये जा रहे थे.
पे-फिक्शेसन कमेटी के भी थे अध्यक्ष
विवि में पे-फिक्शेसन में एकरुपता के लिए कुलपति डॉ पंडित पलांडे के आदेश पर पे-फिक्शेसन कमेटी का गठन किया गया था. इसके अध्यक्ष ओएसडी फाइनेंस जेएनपी सिंह को बनाया गया. इस कमेटी को सभी 39 कॉलेजों से कर्मचारियों की नियुक्ति से संबंधित संचिकाएं मंगा कर रिपोर्ट तैयार करनी थी. इसका गठन एलएस कॉलेज व आरडीएस कॉलेज के अनुकंपा पर बहाल कर्मियों की आपत्ति के बाद लिया गया था, जिसमें उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के आदेश ‘समान काम, समान वेतन’ की अवहेलना का आरोप लगाया था.
ओएसडी फाइनेंस के पद पर जेएनपी सिंह की बहाली राजभवन से आदेश की प्रत्याशा में किया गया था. लेकिन अभी तक राजभवन का कोई फैसला नहीं आया है. ऐसे में उन्हें एक जनवरी की तिथि से उस पद से हटाने का फैसला लिया गया है. इसकी अधिसूचना भी जारी कर दी गयी है.
डॉ विवेकानंद शुक्ला, कुलसचिव