मुजफ्फरपुर: सूबे के मेडिकल कॉलेज व अस्पतालों में कार्यरत लापरवाह चिकित्सक शिक्षकों की अब खैर नहीं है. सरकार ने उनके खिलाफ बिहार सिविल सेवा (नियमन एवं अपील) के प्रावधानों के तहत सख्त कार्रवाई करने का निर्णय लिया है. लपेटे में वैसे चिकित्सक शिक्षक आयेंगे जो आउटडोर, इमरजेंसी और राउंड ड्यूटी में कोताही बरतते हैं या जो स्वयं ड्यूटी न कर पीजी छात्रों से ड्यूटी कराते हैं. सरकार ने स्पष्ट कर दिया है, उनका यह आचरण कदाचार माना जायेगा.
सरकार को विभिन्न मेडिकल कॉलेज अस्पतालों से यह सूचना मिल रही थी, कुछ चिकित्सक निर्धारित समय पर अस्पताल नहीं पहुंचते और लेट से पहुंचते भी हैं तो ड्यूटी के दौरान काम नहीं करते हैं. कहने के बाद भी इनका रवैया नहीं सुधर रहा है. सरकार को यह भी जानकारी मिली कि चिकित्सक शिक्षक अपने स्थान पर पीजी के छात्रों से ड्यूटी कराते हैं. स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव व्यास जी ने इसे आपत्तिजनक बताया है.
मेडिकल कॉलेजों के प्राचार्यो और अस्पताल अधीक्षकों को गत एक जुलाई को भेजे गये पत्र में उन्होंने सख्त लहजे में कहा है कि पीजी के छात्र चिकित्सक शिक्षकों के साथ रहकर सीखते हैं. ऐसे छात्रों को प्रचलित नियमों के अनुसार इलाज करने की अनुमति नहीं है. उन्होने साफ-साफ कहा है कि यदि पीजी के छात्र ही इलाज करेंगे तो यह न केवल गैर कानूनी होगा, वह सीख भी नहीं पायेंगे.
प्रधान सचिव व्यास जी ने कहा है, राज्य के अस्पतालों में मरीजों की भीड़ बढ़ी है. यह सरकार की स्वास्थ्य सेवाओं के प्रति आमजन का विश्वास बढ़ने का परिणाम है. अब मरीजों की बढ़ी तादाद से उत्पन्न चुनौती का सफलतापूर्वक मुकाबला करने के लिए यह जरूरी है , सभी अस्पतालों में कर्त्तव्य पालन एवं दक्षता के नये मानदंड स्थापित किये जाये. इस क्रम में चिकित्सा महाविद्यालय अस्पतालों में कार्यरत चिकित्सक शिक्षकों से अपेक्षा है कि वे कर्त्तव्यपालन का ऐसा मानक स्थापित करें, जो यूजी एवं पीजी के छात्रों के लिए मिसाल बने.