मुजफ्फरपुर: बीआरजीएफ योजनाओं के इ-टेंडर के लिए राज्य सरकार के पास प्रस्ताव भेजने के साथ नगर आयुक्त व मेयर के बीच खींचतान शुरू हो गया है. एक पखवारा पूर्व मीडिया में नगर आयुक्त व मेयर के बीच उत्पन्न टकराव की स्थिति की खबर आने के बाद मेयर ने बयान जारी कर कहा कि उन दोनों के बीच कोई टकराव की स्थिति नहीं है, लेकिन बीआरजीएफ के तहत योजनाओं का इ-टेंडर के लिए राज्य सरकार को प्रस्ताव भेजते ही मेयर ने अपना रंग-ताल दिखाना शुरू कर दिया है. भीतर ही भीतर नगर आयुक्त व मेयर के बीच जबरदस्त टकराव की स्थिति उत्पन्न हो गयी है. मेयर के साथ-साथ कुछ पार्षद व पार्षद पति भी इसको लेकर आंख तरेरना शुरू कर दिये हैं.
पार्षद व उनके पति का कहना हैं कि जब सरकार व निगम बोर्ड से 7.50 लाख रुपये तक की योजनाओं का निर्माण विभागीय स्तर पर कराना है. फिर क्यों उसका टेंडर किया जा रहा है. निगम विभाग से क्यों नहीं काम करना चाहता है. पार्षदों ने जब यह सवाल बुधवार को नगर आयुक्त के सामने रखा. उन्होंने कहा कि इंजीनियर नहीं चाहते हैं.
मौके पर इंजीनियर को भी बुलाया गया, लेकिन निगम में अब तक चले आ रहे कमीशन के खेल व विजिलेंस जांच की डर से इंजीनियरों ने हाथ खड़ा कर दिया. इसके बाद पार्षद व उनके पति यह कहते हुए निकल गये कि यदि 7.50 लाख के योजनाओं का काम विभागीय नहीं हुआ, तो सारे योजनाओं की जांच विजिलेंस से करायी जायेगी. इसके बाद निगम के अधिकारी जवाब देते रहेंगे.
नगर आयुक्त से मिलने वाले में पार्षद राजा विनीत, मो अब्दुल्लाह, दीपलाल राम, मो अंजार, रंजू सिन्हा, वार्ड 23 के पार्षद पति राकेश कुमार सिन्हा ‘पप्पू’ व वार्ड 49 के पार्षद पति राजा राम शामिल थे.
मैं शहर का विकास चाहता हूं. इसके लिए हर संभव प्रयास कर रहा हूं. मेयर से लेकर पार्षद, जनप्रतिनिधि व कर्मचारियों की मदद की उम्मीद करता हूं, लेकिन जब कुछ नया करना चाहता हूं. तब कोई न कोई अड़ंगा डाल दिया जा रहा है. यदि इस तरह की स्थिति बनी रहेगी, तो मैं नगर पालिका एक्ट के तहत कार्रवाई को बाध्य होंगे.
हिमांशु शर्मा, नगर आयुक्त