मुजफ्फरपुर : अपराध व विकास को लेकर विधायकों की मुहिम टांय-टांय फिस्स होती नजर आ रही है. सोमवार को तय कार्यक्रम के तहत नौ विधायक समारहणालय परिसर में भारत माता नमन स्थल पर धरने पर बैठे. दिन में ग्यारह से दो बजे तक सत्याग्रह करना था, लेकिन मौके पर विधायक तीन बजे तक बैठे रहे, लेकिन इस दौरान न तो कोई अधिकारी मौके पर आया और न ही जिले के प्रभारी मंत्री वृषिण पटेल ने विधायकों की सुधि ली. 20 सूत्री की बैठक करने के बाद मंत्री जी सत्याग्रह स्थल के पास से ही निकल गये. वहीं, सत्याग्रह की रणनीति तय करने में सक्रिय रहे विधान पार्षद दिनेश सिंह ने पाला बदल लिया, वो सोमवार को बीस सूत्री की बैठक में नजर आये.
* चंद लोग ही आये
विधायकों के सत्याग्रह को लेकर सोमवार की सुबह से ही चर्चा थी. इसके लिए भारत माता नमन स्थल पर पंडाल लगाया गया था, जिसमें सत्याग्रह को लेकर बैनर व पोस्टर लगे थे. ग्यारह बजे सभी विधायक एकत्र हुये. इस दौरान इनके समर्थक कहीं नजर नहीं आये. राजद व जदयू पार्टियों तो अपने विधायकों की मुहिम के खिलाफ हैं, जबकि भाजपा ने विधायकों का साथ देने का ऐलान किया था, लेकिन पार्टी के जिला का कोई भी पदाधिकारी मौके पर नजर नहीं आया. चंद लोग ही सत्याग्रह स्थल पर मौजूद थे.
* आयेंगे मंत्री जी
जब विधायकों ने सत्याग्रह शुरू किया, तो इसके कुछ ही देर बाद ये सुगबुगाहट होने लगी कि बीस सूत्री की बैठक के बाद जिले क् प्रभारी मंत्री वृषिण पटेल उन लोगों से मिलने के लिए आयेंगे. इस बीच में सत्याग्रह पर बैठे विधायक भारत माता जिंदाबाद का नारा लगा रहे थे. बीच-बीच में मौके पर मौजूद इनके चंद समर्थक सरकार के खिलाफ भी नारेबाजी कर देते थे, जो विधायकों को ज्यादा रास नहीं आ रही थी. देखते ही देखते सत्याग्रह का समय दो बजे पूरा हो गया, लेकिन विधायक मौके पर डटे रहे.
* निकल गये मंत्री जी
लगभग पौने तीन बजे समाहरणालय में चल रही बीस सूत्री की बैठक समाप्त हुई. इसके बाद प्रभारी मंत्री वृषिण पटेल विधायकों के सत्याग्रह स्थल से चंद कदमों की दूरी से ही चले गये. उन्होंने सत्याग्रह कर रहे विधायकों की ओर देखा तक नहीं. इससे विधायकों की नाराजगी बढ़ गयी. सत्याग्रह पर बैठे कई विधायक गांधी जी की सीख को भूल असली रंग में आ चुके थे. कहने लगे, मंत्री जी यहां क्यों आते, उन्हें पता हैं कि उनके कहने से कुछ नहीं होगा. इसी वजह से वो मुंह चुरा कर मौके से चले गये.
* अक्टूबर में करेंगे समीक्षा
विधायक सुरेश चंचल ने कहा, हम लोग अब अक्तूबर के पहले सप्ताह में विकास व अपराध की स्थिति की समीक्षा करेंगे. उस समय लगेगा, तो हम जनता के बीच जाने का फैसला लेंगे. जनता से भी सहयोग मांगेंगे, ताकि इसे जन आंदोलन का रूप दिया जा सके. हम लोग किसी राजनीतिक दल प्रतिनिधि के रूप में इस मुहिम को नहीं चला रहे हैं. ये जनता की भलाई के लिए किया जा रहा है. इस वजह से हम चाहेंगे, लोग भी इसमें हमारा साथ दें.
* अपने अंदर झांके
जिला राजद के विरोध पर भी विधायकों ने अपनी चुप्पी तोड़ी. पार्टी का नाम लिये बगैर कहा, जो लोग अब ऐसी बातें कर रहे हैं. उन्हें खुद अपने गिरेबान में झांक कर देखना चाहिए. कुछ समय पहले वो भी यही कह रहे थे, जो हम आज कह रहे हैं. हमारी नीति एकदम साथ है, जनता का हित सबसे ऊपर है. इधर, जदयू के जिलाध्यक्ष डॉ अशोक शर्मा ने कहा, विधायक अपना-अपना रास्ता तलाश रहे हैं. इस मुहिम का कोई अर्थ नहीं है.
* हो चुकी हैं कई बैठकें
नौ विधायकों ने बीती 26 अगस्त को परिसदन में बैठक की थी, तब जनांदोलन चलाने का फैसला लिया गया था. प्रशासन को 15 दिन का अल्टीमेटम दिया गया था. इसके अलग दिन डीएम, एसएसपी, डीआइजी व आइजी से विधायकों ने मुलाकात की थी. इस दौरान अपराध व विकास पर बात हुई थी. इसके बाद 13 सितंबर को फिर से विधायकों ने बैठक की, जिसमें जनांदोलन की जगह सत्याग्रह का रास्ता अपनाया.
* इन्होंने किया सत्याग्रह. राजद विधायक ब्रज किशोर सिंह, जदयू विधायक सुरेश चंचल, अजीत कुमार, दिनेश कुशवाहा, राजू कुमार सिंह राजू, भाजपा विधायक सुरेश शर्मा, वीणा देवी, रामसूरत राय व अशोक सिंह.